सुजानदेसर-भीनासर गोचर अब राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी भूमि, रातों-रात गोचर हुई अराजीराज

सुजानदेसर-भीनासर गोचर अब राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी भूमि, रातों-रात गोचर हुई अराजीराज

सुजानदेसर-भीनासर गोचर अब राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी भूमि, रातों-रात गोचर हुई अराजीराज

बीकानेर। मास्टर प्लान के रास्ते गोचर भूमि के अधिग्रहण का भारी विरोध होने के बाद शनिवार को जिला प्रशासन की हैरान करने वाली कार्यवाही सार्वजनिक हुई। भूमि की जमाबंदी में सुजानदेसर-भीनासर गोचर का नामांतरण (म्यूटेशन) 10 अक्टूबर को जमाबंदी में बदला प्रदर्शित होने लगा। तहसीलदार प्रशासन ने गैर मुमकिन गोचर के नाम से सुजानदेसर व भीनासर गोचर भूमि को अराजीराज किया है। इस कार्यवाही से ठीक एक दिन पहले ही 9 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बीकानेर दौरे पर भाजपा नेता देवीसिंह भाटी और विधायक जेठानंद व्यास सहित गोचर बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया था कि मुख्यमंत्री से मिल कर इस मुद़दे पर बात की जाएगी। इसके बाद जिला प्रशासन में हलचल देखी गई।

इस गोचर भूमि को रकबाराज (जमाबंदी में गोचर की जगह सरकारी भूमि) के रूप में दर्ज करने की कार्यवाही हुई। ओरण-गोचर आदि का जमाबंदी में अलग से खाता होता है। यह खाता संख्या 1 में रहता है। शनिवार को लोगों को जैसे ही गोचर भूमि का म्यूटेशन बदलने की भनक लगी, ऑनलाइन जमाबंदी पर पुरानी जमाबंदी देखने के लिए खाता खोलना चाहा। परन्तु खाता संख्या 1 डालने पर सिस्टम उसे स्वीकार ही नहीं कर रहा था। इसकी जगह खाता संख्या 10 आने लगा। इसी तरह सरेह नथानिया ग्राम की भूमि का भी ऑनलाइन खाता लॉक है। कोई भी इसे देखना चाहे, तो खुलता नहीं है।

जानिए… म्यूटेशन से क्या बदलेगा
अब तक यह भूमि गैर मुमकिन गोचर भूमि के रूप में सरकारी रिकॉर्ड में थी। अब रकबाराज होने से अन्य सरकारी भूमि की तरह हो जाएगी। यानी सीधे तौर पर प्रशासन या सरकार जिस उपयोग में लेना चाहे, जिसे आवंटित करना चाहे कर सकेगी। पहले प्रशासन के लिए वनभूमि, ओरण-गोचर के रूप में दर्ज भूमि का अन्य उपयोग करना आसान नहीं था। जबकि रकबाराज पूर्णत: सरकारी भूमि होगी। अभी बीकानेर विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान 2043 में सरेह नथानिया, गंगाशहर-भीनासर, सुजानदेसर व उदयरामसर की करीब 40 हजार बीघा भूमि आवासीय व अन्य उपयोग के लिए प्रस्तावित है। इस भूमि अधिग्रहण को निरस्त कराने के लिए हजारों आपत्तियां दर्ज हो चुकी हैं। ऐसे में बीडीए प्रशासन पर गोचर भूमि का अन्य उपयोग प्रस्तावित करने के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए भारी दबाव है। रकबाराज होने के बाद यह भूमि बीडीए के स्वामित्व में आ जाएगी।

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