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सियासी जमीन बचाने अगले सप्ताह से फील्ड में उतरेंगे गहलोत

जयपुर। कोरोना काल में लंबे समय तक फील्ड से दूर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब अगले सप्ताह से फील्ड के दौरों की शुरूआत कर रहे हैं। गहलोत उपचुनावों में प्रचार से दौरों की शुरुआत कर रहे हैं। अप्रैल में सुजानगढ, सहाड़ा और राजसमंद उपचुनाव की नामांकन सभाओं के बाद गहलोत ने किसी सभा में भाग नहीं लिया है। करीब छह महीने बाद गहलोत पार्टी नेताओं के साथ अगले सप्ताह चुनावी सभा में दिखेंगे। कांग्रेस 3 से 5 अक्टूबर के आसपास धरियावद और वल्लभनगर में चुनावी सभा की तैयारी कर रही है, इसे कार्यकर्ता सम्मेलन नाम दिया है। इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी अजय माकन सहित वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। अक्टूबर में दोनों सीटों पर कई चुनावी सभाओं में सीएम गहलोत जाएंगें।
अचानक गांवों-कस्बों में पहुंचकर चौंकाने की रणनीति
सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश के कई जिलों के दौरे का लंबा कार्यक्रम बनाया है। इस कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री जिलों में जाकर 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे प्रशासन गांवों के संग अभियान और प्रशासन शहरों के संग अभियान के कैंपों का अचानक निरीक्षण करेंगे। सीएम गहलोत का गांव और कस्बों में अचानक पहुंचकर कैंपों और सरकारी स्कीम के कामों का इंस्पेक्शन करने का कार्यक्रम तैयार है। गहलोत गांव-कस्बों में अचानक पहुंचकर चौंकाएंगें। एक दिन में कई जिलों का प्रोग्राम तैयार रहेगा, इसके बाद ऐनवक्त पर तय होगा कि सीएम कहां जाएंगे। इस तरह अचानक फील्ड में जाकर गहलोत सरकारी की योजनाओं का हाल जानेंगें।
सियासी जमीन बचाने की रणनीति
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दो साल से फील्ड के दौरे नहीं किए हैं। कांग्रेस सरकार के दिसंबर में तीन साल पूरे हो रहे हैंं। नवंबर-दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव हैं। तीन साल के कार्यकाल में अब सियासी तौर पर कांग्रेस के सामने बाहरी और अंदरूनी बहुत सी दिक्कतें हैं। कोरोना काल में मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही बैठकें, उद्घाटन शिलान्यास किए हैं। बीजेपी ने मुख्यमंत्री के बाहर नहीं निकलने को मुद्दा बना रखा है। गहलोत अब फील्ड के दौरे करके कांग्रेस की सियासी जमीन बचाने के साथ विपक्ष के आरापों का जवाब देना चाहते हैं।
गांवों और शहरों में पट्टे बांटने के अभियान पर फोकस, कांग्रेस को इससे वोट बढऩे की उम्मीद
सरकार 2 अक्टूबर से गांव और शहरों में दिसंबर तक अभियान चलाकर लोगों को जमीन के पट्टे देने का अभियान चला रही है। इस अभियान का नाम प्रशासन शहरों के संग अभियान और प्रशासन गांवों के संग अभियान नाम रखा है। गांव और शहरों में बसे जिन लोगों के पास मकान का मालिकाना हक नहीं है, उन्हें सरकार इस अभियान में पट्टे देकर मालिकाना हक देगी। कांग्रेस सरकार के रणनीतिकारों को लगता है कि इस अभियान को सही तरीके से चलाने का राजनीतिक फायदा होगा और इससे कांग्रेस के वोट बढेंगे। मुख्यमंत्री और सभी मंत्री इसलिए इस अभियान को जांचने फील्ड में निकलेंगे। बीजेपी पट्टे बांटने के अभियान पर निशाना साध रही है।

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