गहलोत बोले- विधायक किसी भी कीमत पर दल-बदल नहीं करें

गहलोत बोले- विधायक किसी भी कीमत पर दल-बदल नहीं करें

खुलासा न्यूज। सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर विधायकों की खरीद-फरोख्त और दल-बदल का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि कई बार लोग लालच में पार्टियां बदल लेते हैं। यह नहीं होना चाहिए। आजकल हॉर्स ट्रेडिंग से सरकारें गिराई जाती हैं। विधायक उसमें भागीदार बनते हैं। यह बहुत ही चिंता का विषय होना चाहिए। यह पार्टी का सवाल नहीं, देश का सवाल है। हॉर्स ट्रेडिंग होगी और ऐसे ही सरकारें गिराई जाएंगी तो लोकतंत्र के मायने क्या रह जाते हैं? गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में बोल रहे थे। गहलोत ने कहा कि इससे नई पीढ़ी में गलत संदेश जाता है। हमारी लड़ाई विचारधारा की लड़ाई है। हमारी आपस में कोई दुश्मनी नहीं है। लोकतंत्र में जरूरी है कि हम अपनी विचारधारा के पक्के प्रतिबद्ध और निष्ठावान रहें। किसी भी कीमत पर हम दल-बदल करने की नहीं सोचें।

आगे बोलते हुए गहलोत ने कहा कि राजनीति में जाने के बाद हम सब पब्लिक प्रॉपर्टी हो जाते हैं, हम जनता के ट्रस्टी हैं। मेरा शुरू से मानना रहा है कि राजनीति सेवा का माध्यम है। पूरी ईमानदारी, निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ जनता की सेवा करना हमारा परम धर्म होना चाहिए। अपनी पार्टी और विचारधारा के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध रहना एक बहुत बड़ा गुण होना चाहिए क्योंकि पार्टियों में अप एंड डाउन चलते रहते हैं। गहलोत ने कहा कि हमारी आजादी को 75 साल हो गए। 75 साल से हमारे देश में लोकतंत्र कायम रहा, मजबूत रहा। पाकिस्तान हमारे साथ आजाद हुआ, लेकिन वहां बार-बार सैन्य शासन लगते रहे हैं। लोकतंत्र की हत्या हुई। हमारे मुल्क का सौभाग्य है कि 75 साल के बावजूद भी यहां पर लोकतंत्र कायम है। एकता और अखंडता के साथ हमारा मुल्क आगे बढ़ रहा है।

गहलोत ने कहा कि मेरा मानना है कि राजनीति में आने के बाद नई पीढ़ी को प्रेरणा देनी चाहिए। हम कितने भी ऊंचे पद पर पहुंच जाएं, लेकिन विनम्रता रहनी चाहिए। कभी विनम्रता नहीं छोडऩी चाहिए। हमारा व्यवहार राजनीति में ऐसा हो कि लोग इम्प्रेस हों। हम सादगी और ईमानदारी से रहें। ईमानदारी के साथ राजनीति करें, तब जाकर नई पीढ़ी को प्रेरणा दे सकेंगे, अपनी ड्यूटी निभा पाएंगे। अगर हमारे अंदर करप्शन रहेगा, करप्शन की शिकायत आती रहेगी और बढ़ती रहेगी तो हम नई पीढ़ी को प्रेरणा नहीं दे पाएंगे। आने वाली जनरेशन हमें क्या कहेगी?

गहलोत ने कहा कि अन्याय, उत्पीडऩ और अत्याचार की स्थिति में जनप्रतिनिधि को चाहिए कि किसी भी कीमत पर दोषियों के साथ नहीं दिखें, उनकी सिफारिश नहीं करें। चाहे वो कितना भी नजदीकी हो या परिवार का आदमी भी क्यों न हो, अन्याय-अत्याचार में शामिल लोगों की पैरवी नहीं करें। उनको चाहिए कि मजबूती के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम करें, तब जाकर एमएलए, एमपी और नेताओं की समाज में क्रेडिबिलिटी बनी रहेगी।

गहलोत ने कहा कि हमारी दुश्मनी किसी से नहीं है, विचारधारा की लड़ाई है। यह भाव होना चाहिए। पहले जमाने में हम सुनते थे कि असेंबली में कितनी ही गरमा-गरम बहस होती थी। आरोप लगते थे, लेकिन जैसे ही बाहर निकलते तो लॉबी में पक्ष-विपक्ष के लोग आपस में भाईचारे से खूब हंसी-मजाक करते थे। आज वैचारिक मतभेद दुश्मनी में बदलते जा रहे हैं। पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव दिखता है। तनाव समाप्त करने के लिए सत्ताधारी पार्टी को पहल करनी चाहिए। सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है कि वह इस भूमिका को निभाने के लिए पहल करे। आज राज्य और केंद्र दोनों में यह पहल करने की आवश्यकता है।

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