
गहलोत बोले-कई एक्सईएन,अफसर ठेकेदारों के पार्टनर बन जाते हैं इसलिए सडक़ें छह महीने में टूट जाती हैं





जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में शहरों की खराब सडक़ों को लेकर पीडब्ल्यूडी के अफसरों और इंजनियरों को खरी-खरी सुनाई है। गहलोत ने खराब सडक़ों के लिए ठेकेदार-अफसर गठजोड़ को जिम्मेदार ठहराया है। गहलोत ने कहा- आजकल कई एक्सईएन तो ठेकेदार के पार्टनर बन जाते हैं। समय के साथ बहुत बदलाव आया है, करप्शन बहुत बढ़ गया है। कई एक्सईएन को मैं देखता हूं, नीचे के अफसर ठेकेदारों के पार्टनर बन जाते हैं। ठेकेदार फिर क्चालिटी से समझौता करता है और बिजनस पार्टनर से रिश्ते भी निभाता है। इस कारण से सडक़ों की क्वालिटी इतनी खराब बन जाती है कि छह महीने में ही टूट जाती हैं।
गहलोत ने कहा- सब कुछ मंजूर है लेकिन सडक़ों की क्वालिटी से समझौता मंजूर नहीं होगा। हम सडक़ों को बनाने के बाद थर्ड पार्टी जांच भी करवा रहे हैं। सडक़ों की क्वालिटी चीफ इंजीनियर पर निर्भर है। आपके यहां आजादी के बाद से जो सिस्टम बना हुआ है, वह सिस्टम है। आप ठेकेदारों को दो टूक कह दीजिए कि क्वालिटी से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। मैं दो टूक कहना चाहता हूं कि मैं नीचे वालों को जिम्मेदार नहीं मानूंगा, जिम्मेदारी चीफ इंजीनियर की है। जो गड़बड़ी करते हैं उन्हें आप एपीओ करें, खिंचाई करें , कुछ भी करें लेकिन सडक़ों की क्वालिटी से समझौता बर्दायत नहीं होगा।
सडक़ों के मेंटीनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार की, अफसरों की लापरवाही से जनता तकलीफ में
गहलोत ने कहा- ठेकेदार जब टेंडर लेता है तो उस सडक़ की मेंटीनेंस की जिम्मेदारी उसकी होती है, एग्रीमेंट कर लिया,पाबंद कर दिया। बाद में आप उसे देखते ही नहीं हैं। ठेकेदार जानबूझकर उस सडक़ को रिपेयर नहीं करता है और जनता तकलीफ पाती है। जनता में मैसेज गलत जाता है। हमारी लापरवाही से जनता तकलीफ पाती है। ठेकेदार को पांबद किया हुआ है और टेंडर एग्रीमेंट में होता है कि सडक़ की रिपेयर की जिम्मेदारी ठेकेदार की है, फिर मॉनिटरिंग का काम कौन करेगा। इसलिए अफसर अपने दिल से पूछकर काम करें कि वे पोस्ट पर बैठे हैं तो जनता की तकलीफ का ध्यान रखें।
शहरों में सडक़ों की हालत बहुत खराब हो चुकी है
गहलोत ने कहा- शहरों में सडक़ों की हालत बहुत खराब हो चुकी है। कल ही जोधपुर जाकर आया हूं। जोधपुर की पूरी सडक़ें बर्बाद हो चुकी हैं। मुझे कहना पड़ा कि जिन अधिकारियों को यहां रहना है, उन्हें सडक़ें ठीक करनी होंगी, रिपेयर करनी होंगी। यह बात खाली जोधपुर की नहीं है, यह हालत सब शहरों की बनी हुई है, गांवों की बनी हुई है। इसे चैलेंज के रूप में स्वीकार कीजिए। जब धन की कमी नहीं है, सडक़ें सरकार की टॉप प्रायरिटी पर है , इसलिए चीफ इंजीनियर से लेकर सब जिम्मेदार दौरें करें और सडक़ें ठीक करवाएं। जो जिस पद पर बैठा है वह ईमानदारी से ड्यूटी निभा ले तो जनता की तकलीफ दूर हो जाएगी।
राजस्थान से जाते वक्त झटकों से नींद खुल जाए तो समझो गुजरात आ गया
राजस्थान में पिछले 20 साल में सडक़ों में अच्छा काम हुआ है। राजस्थान की सडक़ें अब गुजरात से अच्छी हो गई हैं। पहले कहा जाता था कि आप गुजरात से आ रहे हैं और झटकों से नींद खुल जाए तो समझो कि राजस्थान आ गया। अब गुजरात के लोग उसके उल्टी बात कहने लग गए हैं। अब लोग कहते हैं राजस्थान से यात्रा करते वक्त झटकों से नींद खुल जाए तो समझो गुजरात आ गया। पिछले 20 साल से राजस्थान ने सडक़ों के मामले में अच्छा काम किया है और कई कहावतों को बदलाहै। मुझे खुशी है कि सडक़ों के मामले में गहलोत ने कहा- सडक़ें सरकार की टॉप प्रायरिटी है। सडक़ों के मामले में राजस्थान अव्वल बने, यह सरकार चाहती है। जब सडक़ें अच्छी होंगी तो ही प्रदेश में निवेश आएगा, विकास होगा। अक्टूबर में जो इन्वेस्टमेंट समिट हो रहा है, उसके लिए 11 लाख करोड़ के एमओयू अब तक हो चुके हैं। राजस्थान में लॉ एंड ऑर्डर तुलनात्मक रूप से अच्छा है।


