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गहलोत बोले- गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के चापलूस थे कहा- 42 साल पदों पर रखा

जयपुर। गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोडऩे के लेटर में राहुल गांधी पर चापलूसों से घिरे रहने के आरोप के बाद सियासत तेज हो गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुलाम नबी आजाद पर पलटवार करते हुए उन्हें राजीव गांधी के भाई संजय गांधी का चापलूस बताया है। गहलोत ने शुक्रवार को जयपुर में मीडिया से कहा-संजय गांधी के वक्त में ये सब चापलूस ही माने जाते थे।
आज ये जिन लोगों को चापलूस कह रहे हैं, उस वक्त गुलाम नबी आजाद समेत जो लोग भी संजय गांधी के साथ थे। वे चापलूस ही माने जाते थे। साइकोफेंट माने जाते थे। संजय गांधी ने परवाह नहीं की। आजाद इतने बड़े नेता बने। उस वक्त कई नेता कहते थे कि संजय गांधी चापलूसों से घिरे हुए हैं। उस वक्त संजय गांधी अगर दबाव में आकर हटा देते तो आज गुलाम नबी आजाद का नाम देश के लोग नहीं जानते।
गहलोत ने कहा- संजय गांधी भी कई लोगों की बात नहीं मानते थे। दूसरे कई नेता और गुलाम नबी आजाद उन्हीं के प्रोडक्ट हैं। संजय गांधी यूथ कांग्रेस में थे। तब उन पर एक्स्ट्रा कांस्टीट्यूशनल अथॉरिटी बनने के आरोप लगे थे। उस वक्त के प्रोडक्ट ही आगे जाकर मुख्यमंत्री, मंत्री, केंद्रीय मंत्री और पार्टी संगठन में बड़े-बड़े पदों पर पहुंचे। पदों पर 90 फीसदी वे नेता पहुंचे, जो संजय गांधी के साथ थे।
मैं भी संजय गांधी के फैसलों का विरोधी था
गहलोत ने कहा- गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के बहुत करीब रहे हैं। उस समय मेरी तरह देश के कई नेताओं के संजय गांधी से विचार मेल नहीं खाते थे, वे विरोधी थे। फिर भी मैं एमपी बना। कई पदों पर मौका मिला। लंबी कहानी है, राजनीति में चलता रहता है।
इंदिरा गांधी तो आजाद की शादी में गईं थीं
आज राहुल गांधी आए हैं, वे अपनी सोच से कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाना चाहते हैं। संजय गांधी के साथ शुरुआत करने वाले नेता 40 साल से राज कर रहे हैं। आजाद मेरे मित्र रहे हैं। पार्टी ने 42 साल तक आजाद को पार्टी में रखा। संजय गांधी के साथ इंदिरा गांधी तो गुलाम नबी आजाद की शादी में गईं थीं।
नौजवान आजाद को वे आगे बढ़ाना चाहती थी। आजाद को कांग्रेस ने अवसर देने में कोई कमी नहीं रखी। जिस आजाद को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महासचिव से लेकर 42 साल तक पदों पर रखा हो वे आज इस तरह का पत्र लिखेंगे उसकी उम्मीद नहीं थी।
सोनिया गांधी की बीमारी के वक्त ऐसा लिखना संवेदनाओं के खिलाफ
गहलोत ने कहा- पहले सोनिया गांधी बीमार थीं तो आजाद ने लेटर लिखा। उस पर कई नेताओं ने गुस्सा जताया था। अब वो इलाज के लिए अमेरिका गई हैं। तब आप पत्र लिखकर क्या मैसेज देना चाहते हैं? हमारी नेता हमारे दबाव की वजह से राजनीति में आईं। वे तो राजनीति में आना ही नहीं चाहती थीं। उनकी बीमारी के समय इस तरह लिखना मानवीय संवेदना के खिलाफ है।

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