
शहर में कभी भी हो सकती है गैंगवार जैसी घटना, इन दुकानों पर मिलता है खुलेआम नशा






बीकानेर। प्रदेश में पिछले काफी वर्षों से गैगस्टर की घटना सामने आ रही है प्राय: देखा जा रहा है हर गैंगस्टर की कहानी बीकानेर से शुरु होती है कई ऐसे नामी गैंगस्टर थे जिन्होंने जेल से फरार होने के बाद ज्यादात्तर फरारी बीकानेर में काटी है इसका मुख्य कारण बीकानेर छोटी काशी के नाम से जानी जाती है इसलिए जल्दी से कोई यह पर ठहर कर चला जाता है। अभी हाल ही में राजू ठेहट हत्याकांड के तार बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ से जुडे हुए मिले जहां दो युवक रोहित गोदारा नामक गैंगस्टर की फेसबुक आईडी चलाते थे। लेकिन पुलिस की बड़ी लापरवाही है शहर में कई ऐसे इलाके है जहां देर रात तक बदमाशों का जमावड़ा रहता है और कई बार फायरिंग जैसी घटनाएं होने के बाद भी पुलिस सबक नहीं ले रही है शहर में देर रात को खाने पीने की दुकान पूरी रात खुली रहती है जिससे बदमाश इन दुकानों पर देर रात बैठे रहते है वहीं से उनके काम शुरु होते है। अगर देखा जाये तो सबसे बड़ा अड्डा है जस्सूसर गेट, मुक्ता प्रसाद, कोठरी अस्पताल के पास , मोहता चौक, नत्थुसर गेट आदि ऐसे इलाके है जहां पर 12 बजे बाद हर वो चीजे खाने को मिलेगी जो आपको पंसद है जिसमें पराठे, चाऊमीन, सेडविच आदि देर रात तक मिलते है जिससे दूर दूर तक रहने वाले बदमाश प्रवृत्ति के लोग शहर में दस्तक देते है और फिर इनमें आपस में झगडा होता है। अगर हम बात करे शहर के परकोटे के अंदर की बात तो कभी भी फायरिंग जैसी घटना हो सकती है इसका मुख्य कारण है शहर के आस पास के हिस्ट्रीशीटर देर रात तक परकोटे के अंदर अपना सुरक्षित अड्डा बना लिया है। जहां से उनको हर चीजे उपलब्ध नशे से लेकर हर वो नशा जो उनको चाहिए जिसमें एमडी, चरस, गांजा, व शराब की बोतले तक मिल जाती है। कोतवाली पुलिस की लाख कोशिश की बाद भी कुछ नहीं कर पाई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोतवाली पुलिस व आलाधिकारियों ने भी शहर की देर रात तक खुलने वाली दुकानें को बंद करने में असमर्थ जताई है। उनका कहना है कि अगर दुकानें रात को बंद करवाते है तो कोई ना कोई राजनीति वाला ऊपर तक फोन करके दुकानें खुलवा देते है। इसलिए इन दुकानों को बंद करवाने हमारे हाथ में नहीं है। अगर ऐसा ही तो फिर वो दिन दूर नहीं जब शहर में रात को महिलाओं व साहुकारों को निकलना मुशिकल है पता नहीं कब किस जगह से गोली आ जाये और बन जाये मौत का कारण। नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अभी कुछ दिनो से मोहता चौक व अन्य जगहों पर देर रात को एक बोलेरों गाड़ी आती है जो आकर चौक में खड़ी हो जाती है उसमें सवार युवक उतर कर चले जाते है उनका नहीं पता वो कौन है और कहां से आते है और कहां जाते है। पुलिस ने भी एक दिन कुछ देर छानबीन की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा हारकर पुलिस ने चली गई पुलिस के जाने के बाद बोलेरो चालक आया और गाड़ी लेकर फरार हो गया। अगर इस तरह से शहर में घटनाएं होगी तो फिर इस शहर का रखवाना कौन है आखिर।
ैक्या पुलिस की मजबूरी है दुकान रात को खुलवाना
देर रात तक दुकानें खुलवाना पुलिस की मजबूरी है कोई ऐसे राज नेता का दबाब है जिसके डर से पुलिस के एसएचओ से लेकर आलाअधिकरियों ने हाथ खड़े कर दिये है। तो फिर इस शहर का रखवाला नहीं है। अगर समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया तो कभी ऐसी घटना घटित होगी जिसके बारे में शहरवासियों ने कभी सोचा भी नही था। कई बार रात को झगड़ा फसाद होता है लेकिन आपस में छोडवा देते है और मामला ठंडे बस्ते में रह जाते है।
सब को पता पर पुलिस को नहीं है जानकारी
देर रात को चाय व खाने पीने की दुकानों पर हर प्रकार का नशा मिलता है लेकिन मजे की बात है शहर की कोतवाली व नयाशहर पुलिस इन दुकानों पर बैठकर चाय नाशता करती है लेकिन उनको भनक तक नहीं है। यह गले नहीं उतरता है कभी कभी तो ऐसा लगता है पुलिस को सब पता है पुलिस ने आंखे बंद करके अवैध कारोबार को बढावा देती है।


