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मंत्रिमंडल फेरबदल के कयासों पर एक बार के लिए फुलस्टॉप: राजनीतिक नियुक्तियां भी फंसी

जयपुर। राहुल गांधी से ईडीकी पूछताछ और कांग्रेस के विरोध को देखते हुए फिलहाल पार्टी ने सभी बड़े फैसले रोक दिए हैं। फिलहाल पार्टी का पूरा फोकस ईडी विरोध आंदोलन पर सिमट गया है। राजस्थान को लेकर होने वाले फैसले अब आगे के लिए टल गए हैं। राज्यसभा चुनावों के बाद मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट पर भी फिलहाल फुलस्टॉप लग गया है। पार्टी का फोकस पॉइंट बदलने से अब इन सब पर बाद में फैसला होगा।
मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार और संगठन में कोई बड़ा बदलाव या फेरबदल करने की गुंजाइश भी कम ही है। कांग्रेस ने राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में आगे भी आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ​दिल्ली में ईडी को लेकर विरोध-प्रदर्शनों और रणनीतिक फैसलों में मोर्चा संभाल रखा है। गहलोत रविवार को फिर दिल्ली जाकर राहुल गांधी के समर्थन में ईडी विरोधी मुहिम में ग्राउंड संभालेंगे। ऐसे में मुख्य फोकस अब ईडी विरोधी मुहिम पर हो गया है।
मंत्रिमंडल फेरबदल के कयासों पर एक बार के लिए फुलस्टॉप
राज्यसभा चुनावों में तीन सीटों पर जीत के बाद सियासी हलकों में इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती हैं। राहुल गांधी और सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में ईडी का समन मिलने और राहुल से पूछताछ के बाद हालात बदल गए हैं। कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड मामले को प्रेस्टिज पॉइंट बना लिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मौजूदा हालात में एक बार के लिए मंत्रिमंडल फेरबदल से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों जैसे फैसले करना संभव नहीं होगा। इसलिए कुछ समय के लिए मंत्रिमंडल फेरबदल के कयासों पर फुलस्टॉप लग गया है।
राहुल के बाद सोनिया से भी ईडी पूछताछ करेगी, इसलिए विरोध लंबा चलेगा
राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ सोमवार से फिर शुरू हो रही है। ईडी ने सोनिया गांधी को 23 जून को पूछताछ के लिए बुला रखा है। सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। आगे सोनिया गांधी को ईडी पूछताछ के लिए बुलाती है तो कांग्रेस का ईडी विरोधी मूवमेंट और लंबा खिंचेगा। कांग्रेस में अब अगले बड़े फैसले सोनिया-राहुल से ईडी पूछताछ के समय पर निर्भर करेंगे।
प्रभारी और सीएम ने दिए थे छह महीने बाद मंत्रिमंडल फेरबदल के संकेत
नवंबर में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस की बैठकों में प्रदेश प्रभारी अजय माकन और सीएम अशोक गहलोत ने जून के आसपास फिर से फेरबदल के संकेत दिए थे। माकन और सीएम गहलोत ने कांग्रेस की बैठकों में कहा था कि छह महीने तक मंत्रियों के कामकाज का रिव्यू करके फिर फेरबदल हो सकता है। अजय माकन और सीएम गहलोत ने उस वक्त नॉन परफॉर्मर मंत्रियों को हटाने तक की चेतावनी दी थी। राज्यसभा चुनावों के बाद इसी आधार पर मंत्रिमंडल फेरबदल के कयास लगाए गए थे, लेकिन अब सियासी हालात बदल गए हैं।
30 मंत्री बन सकते हैं
पिछले साल नवंबर में गहलोत मं​त्रिमंडल का विस्तार हुआ था। उस वक्त गोविंद सिंह डोटासरा,रघु शर्मा, हरीश चौधरी ने एक व्यक्ति एक पद फार्मूले के हिसाब से मंत्री पद से इस्तीफे दिए थे। नवंबर के विस्तार में मंत्रिमंडल की पूरी कैपेसिटी के हिसाब से मंत्री बना दिए गए। राजस्थान में कुल विधायकों के 15 फीसदी के हिसाब से मुख्यमंत्री सहित 30 मंत्री बन सकते हैं। फिलहाल 30 पद भरे हैं, ऐसे में आगे किसी नए विधायक को मंत्री बनाना होगा तो पहले किसी मंत्री को हटाना होगा। जितने नए मंत्री बनेंगे उतने ही पुराने हटाने पड़ेंगे।
डोटासरा बोले मंत्रिमंडल फेरबदल हाईकमान और मुख्यमंत्री का विषय
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से जब मंत्रिमंडल फेरबदल के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- मंत्रिमंडल फेरबदल हाईकमान और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है। इस पर कब क्या फैसला लेना है यह हाईकमान और सीएम ही जवाब दे सकते हैं।

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