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लॉकडाउन के बीच राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट, आयोग और जरुरी नियुक्तियों की शुरुआत

जयपुर। लॉकडाउन के बीच राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट देखी जा रही है. बेहद जरुरी नियुक्तियों को फिलहाल अमलीजामा पहनाया जा रहा। विभिन्न समितियों में भी सियासी नियुक्तियां की गई। बीते दो दिन में करीब 1दर्जन नियुक्तिय़ां सामने आ चुकी है , इनमें सामाजिक कल्याण आधिकारिकता और देवस्थान से जुड़े आयोग और समितियां शामिल है। इनमें मौटे तौर पर गहलोत समर्थकों को वरियता मिली है।

पहले चरण में संवैधानिक व जरुरी सियासी नियुक्तियां की जाएगी:
विश्वस्त सूत्रों की माने तो आलाकमान ने नियुक्तियों को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। पहले चरण में संवैधानिक व जरुरी सियासी नियुक्तियां की जाएगी,इनमें कांग्रेस विचारधारा के कार्यकर्ताओं को मिलेगी नियुक्ति, माना जा रहा सोनिया गांधी व अविनाश पांडे की हरी झंडी भी मिल चुकी, कुछ माह पहले पीसीसी की ओर से नाम अविनाश पांडे को दिये जा चुके।

फिलहाल चैयरमेन बनाने से पहले सदस्य बनाये जायेंगे:
अल्पसंख्यक आयोग,महिला आयोग,आरपीएससी ,श्रम आयोग,उपभोक्ता आयोग सफाई आयोग,एससी एसटी आयोग ,नि:शक्तजन आयोग,किसान आयोग ,ओबीसी आयोग में सदस्यों की नियुक्तियों की संभावना है , फिलहाल चैयरमेन बनाने से पहले सदस्य बनाये जायेंगे।

बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति में राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता:
राज्य सरकार की ओर से बुधवार रात बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति और वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा समिति में और बाल संरक्षण आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी। बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति में राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर की पुत्री वंदना माथुर को सदस्य बनाया गया है। इसी तरह बाल संरक्षण आयोग में शिव भगवान नागा, वंदना दुबे और नुसरत नकवी को सदस्य नियुक्त किया गया है। वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा राज्य स्तरीय समिति में कांग्रेस विधायक इंद्राज गुर्जर, पूर्व विधायक रमेश पंड्या, वरिष्ठ कांग्रेसी वीरेंद्र पूनियां और रणधीर सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है।

लॉकडाउन के चलते राजनीतिक नियुक्तियां रोक दी गई थीं:
कुछ महिने पहले कांग्रेस आलाकमान ने सत्ता और संगठन को जिला और राज्य स्तरीय निगम-बोर्डों, आयोगों और समितियों में 31 मार्च तक सभी राजनीतिक नियुक्तियां करने का आदेश जारी किया था, लेकिन इसी बीच कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते राजनीतिक नियुक्तियां रोक दी गई थीं।

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