भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने यूआईटी पर लगाया लाखों के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने यूआईटी पर लगाया लाखों के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप

 

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने यूआईटी पर लगाया लाखों के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप
बीकानेर। नगर विकास न्यास के पास सडक़ों के लिए भले ही पैसा ना हो लेकिन 39 लाख के काम पब्लिक पार्क में हाथ लगाने के लिए मिल गए। 39 लाख का टेंडर लगाया। 18 सितंबर को वर्क आर्डर जारी किया और सिर्फ 10 दिन में काम भी पूरा हो गया। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने इस टेंडर के आधार पर यूआईटी पर मिलीभगत कर टेंडर देने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
पब्लिक पार्क में कई जगह हाथों की डिजाइन समेत आर्ट, फाइन आर्ट एंड कल्चर के कुछ प्रतीक चिन्ह लगाए गए। कोई इसे देखकर ये नहीं कहेगा कि इन पर 39 लाख रुपए खर्च हुए हैं। सवाल टेंडर की शर्त संख्या 2 से उठा। उसमें शर्त थी कि टेंडर के लिए पात्र वही होगा जिसने टेंडर राशि जितना काम किया हो। इसका सर्टीफिकेट भी सरकार, सरकारी बोर्ड या निगम से सर्टीफिकेट चाहिए लेकिन जिस फर्म को टेंडर मिला उसने एक प्राइवेट बैंक का सर्टीफिकेट दिया। उसमें भी जिस आधार के काम का सर्टीफिकेट मांगा गया उसमें सिर्फ 17 लाख का ही काम शो हो रहा था। बाकी काम तो फोटो प्रिंट जैसे ऐसे काम थे जो यूआईटी की ओर से किए गए कामों से मैच नहीं किया। जबकि यूआईटी ने जिन दो फर्मों को इस टेंडर से दूर किया उसमें से एक फर्म ने इसका काम किया हुआ था। बावजूद इसके यूआईटी ने टेंडर दिया। सूत्र बताते हैं कि जिला प्रशासन और यूआईटी ने पहले ही टेंडर देने वाली फर्म को विश्वास दिलाने के साथ सारा काम दिखा दिया था। उसने टेंडर से पहले ही सारा काम तैयार किया हुआ था। इसीलिए वर्कआर्डर जारी होने के सिर्फ 10 दिन में काम भी पूरा कर दिया। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रतापसिंह ने न्यास सचिव अर्पणा गुप्ता को 25 अक्टूबर को पत्र देकर इस मामले की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि कैसे प्रशासन के इशारे पर खजाने की लूट हो रही ये मामला सीएम तक ले जाऊंगा।

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