पहले ठगी का दंश,फिर मिले दुत्कार,परिवादों के नहीं हो रहे निस्तारण

पहले ठगी का दंश,फिर मिले दुत्कार,परिवादों के नहीं हो रहे निस्तारण

खुलासा न्यूज,बीकानेर। मोबाइल से ठगी के नए तरीके ने आमजन की नींद उड़ा रखी है। कभी खाते से राशि गायब हो रही है तो कभी ऑनलाइन खरीदारी कर चपत लगाई जा रही। पीडि़त थाने पहुंच रहे है जहां से पुलिस उन्हें दुत्कार भेज रही है। नए तरीके के तेजी से पनप रहे इस अपराध को समझना पुलिस को भारी पड़ रहा है। इन हालातों में ठगी के शिकारी लोगों को राहत की उम्मीद नहीं बंध रही। इस तरह के अपराध में पुलिस की कार्यप्रणाली को समझने के लिए उदाहरण ही काफ ी है। जिससे अपराध को बढ़ावा मिल रहा।
बातों का जाल ऐसा कि सुलझाना मुश्किल
आपके मोबाइल पर फ ोन आता है। फ ोन करने वाला बैंक अधिकारी बनकर इस तरह बातों के जाल में उलझाता है कि वह आपके एटीएम के गोपनीय नम्बर और खाता नम्बर तक पूछ लेता है। दरअसल, इस तरह की धोखाधड़ी करने वाले लोग बात करने में माहिर होते है। जो लोग तकनीकी जानकारी या फि र बैंक से की जाने वाली पूछताछ प्रक्रिया से वाकिफ नहीं होते है, वे ही साइबर क्राइम के शिकार बनते है।
रिपोर्ट परिवाद में, निस्तारण नहीं
पुलिस इस तरह के मुकदमों को दर्ज करने से कतराती है। जिले में हर माह तीन से चार साइबर क्राइम के मामले आ रहे है। लोग थाने पहुंच रहे, लेकिन पुलिस इसमें उलझने से बचने के लिए मुकदमा ही दर्ज नहीं कर रही है। अगर रिपोर्ट ली भी जाती है तो उसे परिवाद में रखकर इतिश्री कर ली जा रही है। मंजर यह है कि जब परिवादी पुलिस के पास जाता है तो उसे या तो दुत्कार मिलती है या यूं ही टाल दिया जाता है। परिवादी की समस्या का निस्तारण नहीं हो रहा है।
सावधानी बरतें तो ऐसा बचा जा सकता
कभी आप अनजान कॉल पर कोई गोपनीय जानकारी नहीं देवें। कम्प्यूटर में खातों को लॉक रखें। किसी को एटीएम कार्ड के बारे में जानकारी नहीं देवें। बैंक खातों को अपडेट करते रहे। बैंक अधिकारी कभी मोबाइल पर आपके खाते की जानकारी नहीं पूछते है। ऐसे में कोई बैंक अधिकारी बनकर खाते की डिटेल मांगे तो आप फ ोन को काट दें।

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