
मंडल अध्यक्षों के चुनाव में परिवारवाद की बू!






बीकानेर। निगम चुनाव में अर्जुन के तीर से जहां कांग्रेस के कई पराक्रमी धराशाही हो गये। तो भाजपा के भी अनेक बड़े नेता और उभरते नेताओं की आशाओं पर कोहरा छा गया। जिसके चलते कईयों के राजनीतिक जीवन पर सवालिया निशान लगते दिख रहे है। अर्जुन के बाण अब निकाय चुनाव में सफ लता के बाद संगठनात्मक चुनावों में भी विरोधियों को धूल चटाने के लिये चक्रव्यूह रच लिया है। जिसके तहत मंडल स्तर पर अपने चेहतों को अध्यक्ष व कार्यकारिणी में शामिल करने की कवायद पर अंतिम मुहर लगाने की तैयारी चल रही है। जानकारी मिली है कि मंडल चुनावों की व्यूरचना जिस तरह रची गई। उससे साफ तौर पर प्रतीत हो रहा है कि अर्जुन मंडली के समर्थकों का यहां भी बोलबाला होने वाला है और उनके प्रबल विरोधियों को फिर से मुंह की खानी पड़ सकती है।
कांग्रेस की राह पर भाजपा
हमेशा से परिवारवाद की विरोधी रही भाजपा भी अब कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन मंडल अध्यक्षों का मनोनयन होना है उनमें क ई ऐसे मंडल अध्यक्ष हो सकते है,जिनके परिवारजन पहले इस पद पर आसीन है या रह चुके है। यहीं नहीं वे ऐसे मंडल अध्यक्ष के तौर पर जाने जाते है जो अर्जुन सेना के सच्चे सिपे सहालाकार है। ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि मंडल अध्यक्षों की नियुक्तिओं में इस बात की पूरी संभावना है कि मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में परिवारवाद का बोलबाला रहने वाला है।
पूर्व में ही तैयार कर लिया था मास्टर प्लान
बताया जा रहा है कि भाजपा मंडल अध्यक्षों के मनोनयन की प्रक्रिया कुछ इस तरीके से ही तैयार की गई थी। ताकि अपने चेहतों को इस पद पर आसीन किया जा सके। खुलासा टीम को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार जिसको अध्यक्ष पद पर आसीन करना है,उसके आवेदन के साथ एक ऐसा आवेदन भी करवा लिया गया। जो विरोध तो नजर आएं पर अध्यक्ष नियुक्त जाने वाले के पक्ष में अपना नाम भी वापस ले लें। ऐसे में कई युवा नेताओं की आशाओं पर उसी समय पानी फिर गया था। हांलाकि इस प्रक्रिया का संगठन के पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने विरोध भी किया। लेकिन उनके विरोध को दरकिनार कर अपनी मर्जी से प्रक्रिया को अपनाया गया।


