43वें दिन अनशन हुआ स्थगित : ईसीबी कार्मिकों के पक्ष में आया फैसला, सात अप्रेल तक वेतन भुगतान के आदेश - Khulasa Online 43वें दिन अनशन हुआ स्थगित : ईसीबी कार्मिकों के पक्ष में आया फैसला, सात अप्रेल तक वेतन भुगतान के आदेश - Khulasa Online

43वें दिन अनशन हुआ स्थगित : ईसीबी कार्मिकों के पक्ष में आया फैसला, सात अप्रेल तक वेतन भुगतान के आदेश

हाइकोर्ट की टिप्पणी- मुकद्मेबाजी को अनावश्यक रूप से बढ़ाने के राज्य सरकार के दृष्टिकोण की निंदा
वेतन भुगतान नहीं होता है तो फिर से होगा आंदोलन : महावीर रांका
खुलासा न्यूज, बीकानेर। भाजपा नेता महावीर रांका की अगुवाई में इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के 18 कार्मिकों की ज्वाइनिंग की मांग को लेकर चल रहे आमरण अनशन के 43वें दिन हाइकोर्ट का बड़ा आदेश कार्मिकों के पक्ष में दिया गया है। पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका ने सोमवार शाम को एक प्रेसवार्ता आयोजित कर बताया कि विगत 24 जनवरी 2023 को महाविद्यालय प्रशासन व राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया गया था तथा आज 20 मार्च 2023 को हाइकोर्ट में आदेशों की अवमानना की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट द्वारा इस बात को दोहराया गया है कि कर्मचारियों का निष्कासन आदेश पारित करते समय महाविद्यालय द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त का खुला उल्लंघन किया गया है। हाइकोर्ट ने टिप्पणी में मुकद्मेबाजी को अनावश्यक रूप से बढ़ाने के राज्यसरकार के दृष्टिकोण की निंदा की तथा कहा कि अनावश्यक वाद का राज्य सरकार द्वारा आगे अपील करने का कोई ठोस कारण व कोई औचित्य नहीं है। इसी क्रम में हाइकोर्ट द्वारा महाविद्यालय प्रशासन व राज्य सरकार को तथा समस्त याचिकाकर्ताओं को मार्च 2023 तक के वेतन भुगतान करने के 7 अप्रेल तक के आदेश दिए जाते हैं। भाजपा नेता महावीर रांका ने बताया कि प्रकरण को 27 अप्रेल को सुनवाई किया जाना तय किया है। साथ ही निर्देशित भी किया गया है कि यदि याचिकाकर्ताओं को वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रतिवादी सं.4 प्राचार्य अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर को व्यक्तिगत हाइकोर्ट में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा। भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के सहसंयोजक महावीर रांका ने बताया कि हाइकोर्ट ने 18 अशैक्षणिक कार्मिकों को राहत प्रदान करते हुए वेतन भुगतान के आदेश जारी किए हैं। अत: 6 फरवरी से जारी आमरण अनशन को स्थगित कर दिया गया है। रांका ने कहा कि कॉलेज प्रशासन व राज्य सरकार यदि हाइकोर्ट के आदेशों की पालना अब भी नहीं करती है तो पुन: आंदोलन किया जाएगा। रांका ने बताया कि उक्त मामले में राज्य सरकार व कॉलेज प्रशासन अब केवल सुप्रीम कोर्ट में ही याचिका दायर कर सकती है।

प्रेसवार्ता को भाजपा जिला देहात अध्यक्ष जालम सिंह, पूर्व अध्यक्ष ताराचन्द सारस्वत, पूर्व शहर अध्यक्ष अखिलेशप्रताप सिंह, पूर्व संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. सिद्धार्थ असवाल व युधिष्ठर सिंह भाटी ने सम्बोधित किया। देहात अध्यक्ष जालम सिंह ने कहा कि महावीर रांका भाजपा के सच्चे सिपहसालार हैं तथा लोकतंत्र की हत्या करने वालों के विरुद्ध इन्होंने 43 दिनों तक मोर्चा संभाल रखा था। जन-जन की आवाज बने महावीर ने संघर्ष में कोई कसर नहीं छोड़ी और ईसीबी कार्मिकों की ज्वाइनिंग के लिए निरन्तर डटे रहे। भाजपा के पवन महनोत ने बताया कि अनशनकारियों श्रवण नैण, मनोज पडि़हार, महेन्द्र हटीला, दिनेश सांखला व आदर्श शर्मा को ज्यूस पिलाकर उठाया गया।

पूर्व पार्षद राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि अनशन के 43वें दिन भाजपा नेता महावीर रांका सहित उपस्थित सभी वरिष्ठजनों का माला पहना कर आभार व्यक्त किया गया। इस दौरान डॉ. भगवानसिंह मेड़तिया, भाजयुमो जिला देहात अध्यक्ष जसराज सींवर, ओम राजपुरोहित, तेजाराम राव, शंकरसिंह राजपुरोहित, नरेश मक्कड़, श्रवण चौधरी, मघाराम सियाग, मधुसूदन शर्मा, शंभु गहलोत, लक्की पंवार, सत्यनारायण गहलोत, विष्णुभगवान तंवर, मोहित बोथरा, आनन्द सोनी, बंशीलाल तंवर, जेठूसिंह पडि़हार, कैलाश पारीक, इंद्र ओझा, पूर्व पार्षद शिवकुमार पांडिया, रमेश सैनी, नवरतन सिंह सिसोदिया, सवाई सिंह तंवर, घनश्याम रामावत, रतन जयपाल, मालचंद जोशी, जितेन्द्रसिंह भाटी, साहिल सोढा, रतनलाल पारीक, मोहित बोथरा, पंकज गहलोत, मदन सारड़ा, टेकचंद यादव, जय उपाध्याय, प्रणव भोजक, प्रहलाद पंचारिया, दिनेश चौधरी, सुखराम दावां, अर्पित तंवर, सिद्धार्थ नाहटा आदि उपस्थित रहे।

 

संघर्ष में सहयोग के लिए जताया आभार

भाजपा नेता महावीर रांका ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि 43 दिन के अनशन में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं तथा मीडिया का काफी सहयोग रहा। रांका ने अनशन में अब तक बैठे 57 अनशनकारियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने कम से कम तीन दिवस अथवा अधिकतम 7 दिवस तक अनशन कर आंदोलन में सहयोग दिया। विशेषरूप से एमएलए बिहारीलाल बिश्नोई जिन्होंने दो बार अनशन मुद्दे को विधानसभा में उठाया जिस पर मंत्री व मुख्यमंत्री निरुत्तर रहे।

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