
वन्य जीवों की घटती संख्या पर चिन्ता व्यक्त





डूंगर कॉलेज में वन्यजीव सप्ताह प्रारम्भ
बीकानेर। सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में सोमवार एक अक्टुबर से सात अक्टुबर तक वन्यजीव सप्ताह का शुभारम्भ हुआ। आयोजन सचिव डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि सोमवार को प्रारम्भ हुआ सप्ताह का उद्घाटन टांटिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एम.एम.सक्सेना एवं डूंगर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सतीश कौशिक ने मां सरस्वती के आगे दीप प्रज्जवलन कर किया। डॉ. प्रताप ने बताया कि वर्ष 1952 से ही प्रतिवर्ष वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है तथा इसी कड़ी में 65 वां वन्यजीव सप्ताह महाविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है।प्राचार्य डॉ. सतीश कौशिक ने वन्यजीव सप्ताह के उद्देश्य की जानकारी देते हुए कहा कि केवल सप्ताह मनाने मात्र से ही उद्देश्य पूर्ण नहीं हो जाता है वरन वर्ष पर्यन्त ही सभी को वन्यजीवों के प्रति प्रेम एवं दया का भाव रखने की आवश्यकता है तभी सही अर्थों में इस प्रकार के सप्ताह आयोजित करने की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी।मुख्य अतिथि प्रो. एम.एम.सक्सेना ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि आज के युग में विद्यार्थियों को केवल म्युजियम एवं प्रयोगशाला तक ही सीमित न रहकर जीवों को प्राकृतिक आवासों में अध्ययन करना चाहिये तभी इन जीवों के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। उन्होनें बताया कि अमेरिका में मछली एवं वन्य जीवों का अघ्ययन एक साथ ही किया जाता है। प्रो. सक्सेना ने वन्य जीवों की घटती हुई संख्या पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। उन्होनें कहा कि पारिस्थिति तंत्र के एक भी घटक के नष्ट होने से सम्पूर्ण खाद्य श्रृंखला पर बुरा असर पड़ता है इसी वजह से वन्य जीवों को मजबूरी में शहरों की ओर भटकने पड़ता है। उन्होनें टाइगर प्रोजेक्ट का जिक्र करत हुए कहा कि इस प्रकार के प्रोजेक्ट प्रारम्भ होने से निश्चित रूप से टाइगर आदि वन्य जन्तुओं की सुरक्षा के समुचित परिणाम सामने आये हैं। उन्होनें शोधार्थियों से आह्वान किया कि मीडिया में जन्तुओं की पहचान एवं सख्या आदि के बारे में सही जानकारी ही दी जावे ताकि समाज को इन जीवों की वस्तुस्थिति से अवगत करवाया जा सके।उद्घाटन कार्यक्रम में अतिथियों को स्वागत करते हुए विभाग प्रभारी डॉ. मीरा श्रीवास्तव ने विषय प्रवर्तन किया तथा इस प्रकार के कार्यक्रम की महत्ता के बारे में विद्यार्थियों को अवगत करवाया। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि पूरे सप्ताह के दौरान वृत चित्र प्रदर्शन, निबंध प्रतियोगिता, प्राकृतिक आवास भ्रमण, क्विज एवं फोटो प्रतियोगिता सहित अनेक कार्यक्रम के माध्यम से वन्यजीवों के महत्व एवं संरक्षण की जानकारी दी जावेगी। डॉ. मनीषा अग्रवाल ने सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट किया।


