राजस्थान में फिर लगेगा महंगी बिजली का करंट सरकार के महंगाई राहत दावे के बीच आई ये झटकेदार खबर!

राजस्थान में फिर लगेगा महंगी बिजली का करंट सरकार के महंगाई राहत दावे के बीच आई ये झटकेदार खबर!

जयपुर। राजस्थान की गहलोत सरकार जहां चुनावी वर्ष में महंगाई राहत कैंप के ज़रिए आमजन को राहत देने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कोयला संकट से जूझते हुए कई गुना दाम पर विदेशोंसे कोयला खरीदने जा रही है, जिसका बोझ घूम-फिरकर बिजली उपभोक्ताओं पर पडऩा तय है।
दरअसल गहलोत सरकार ने अब कोयला संकट के नाम पर प्रदेश के बिजली घरों के लिए विदेशों (इंडोनेशिया या साउथ अफ्रीका ) से फिर कोयला खरीदने की पूरी तैयारी कर ली है। जानकारी के अनुसार3.38 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदने की प्रक्रिया तो शुरू भी कर दी गई है। जानकार मानते हैं कि इससे बिजली उत्पादन 41 पैसे यूनिट महंगा हो जाएगा, जिसका बोझ घूम-फिरकर बिजली उपभोक्ताओंपर पडऩा तय है।ऊर्जा विभाग ने इसके पीछे केन्द्र सरकार के निर्देश का हवाला दिया है। इसके तहत कोल इंडिया से मिलने वाले कोयले का 6 प्रतिशत हिस्सा आयात करने के लिए कहा गया है। स्थानीय स्तर पर कोयला 5हजार रुपए मीट्रिक टन है, जबकि विदेश से आयातित कोयले की दर 15 हजार रुपए मीट्रिक टन है। इस मामले में ऊर्जा मंत्री और विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिल्ली भी जा सकते हैं।विद्युत मंत्रालय: मंत्रालय के निर्देश हैं कि राज्य अपने स्तर पर कोयला आयात करे। आयातीत कोयला कोल इंडिया की कंपनियों से मिलने वाले कोयले में मिलाएं, जिससे कम कोयले में ज्यादा बिजलीउत्पादन हो सके। देश में कोयले के सीमित भंडार और गर्मी व मानसून में पर्याप्त स्टॉक रखने के लिए राज्यों को यह निर्देश दिए गए।हम पर असर: राजस्थान के 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर हैं, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला पहुंचता। इन्हीं प्लांटों में विदेश से आयात होने वाला कोयला आएगा।जवाब मांगते सवालकोविड के बाद औद्योगिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं, इसलिए बिजली की डिमांड भी ज्यादा है।गर्मी और मानसून में कोयले की कमी नहीं आए, इसके लिए बिजलीघरों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक हो।दोनों ही स्थितियों की जानकारी पहले से है तो समय रहते स्थानीय स्तर पर इंतजाम क्यों नहीं किया।केंद्र सरकार के निर्देशकेन्द्र सरकार ने विदेश से आयात करने वाले कोयले की मात्रा 6 प्रतिशत करने के निर्देश दिए हैं। कोल इंडिया से आग्रह किया है कि स्थानीय स्तर पर ही ज्यादा से ज्यादा कोयला उपलब्ध कराएं, जिससेउपभोक्ताओं पर कम से कम अतिरिक्त भार आए। – आर.के. शर्मा, सीएमडी, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम

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