
आज भी इंग्लिश नहीं बोल पाता नेता अंग्रेजी में बात करें तो टोकता हूं: गहलोत






जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बेबाकी के साथ कहा कि वह आज भी इंग्लिश नहीं बोल पाते और इसको लेकर उन्हें कभी कॉम्प्लेक्स नहीं फील हुआ। मौका था हिंदी दिवस का और ष्टरू जयपुर के सवाई मानसिंह कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘आज भी टूटी-फूटी इंग्लिश बोल कर काम चला रहा हूं। हिंदी भाषी राज्य के राजनेता भी अंग्रेजी में बात करना शुरू कर देते हैं। अगर मैं वहां होता हूं, तो उन्हें टोक देता हूं। मैं उनसे बोलता हूं कि अगर हिंदी में बात नहीं करोगे तो क्या मैं यहां से जाऊं।’
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव भी मौजूद थे। इसी कार्यक्रम में 12वीं क्लास में टॉप करने वाले प्रदेश के 400 छात्रों को सम्मानित भी किया गया।
मैं उन लोगों में से हूं, जिन्होंने उस वक्त इंग्लिश का विरोध किया था। आज मैं सरकार में हूं तो गांव में इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल रहा हूं। क्योंकि अंग्रेजी इंटरनेशनल भाषा बन गई है। मुख्यमंत्री ने कहा- ‘आंदोलन होने पर हिंदी, इंग्लिश और लोकल भाषा का फार्मूला 1965 में आया। भारत सरकार के गृह मंत्रालय की पार्लियामेंट की कमेटी होती है। वह हर राज्य में पता करने जाती है कि हिंदी की कितनी प्रोग्रेस डिपार्टमेंट में हुई है।
वह केवल एक फॉर्मेलिटी होती है। वह जाते हैं, मीटिंग करते हैं। उसका कोई मतलब नहीं निकलता। हमारे देश में हिंदी की प्रोग्रेस हुई है। उसका श्रेय बॉलीवुड को जाता है।’ गहलोत ने कहा- ‘मैं इंग्लिश नहीं बोल पाता हूं। आज भी टूटी-फूटी इंग्लिश बोल कर काम चला रहा हूं।
इसमें कोई घबराने की बात नहीं है। मैं 50 साल से ज्यादा राजनीति कर रहा हूं। 42 साल से पार्लियामेंट, तीन बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार एआईसीसी का महामंत्री, तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, तीन बार मुख्यमंत्री बन चुका हूं।
कभी इंग्लिश नहीं आने को लेकर कॉम्पलेक्स फील नहीं किया। मुझे लगता है हिंदी भाषा बोलने वाले ज्यादा अच्छे से भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं। आजकल हिंदी भाषी राज्य के राजनेता भी अंग्रेजी में बात करना शुरू कर देते हैं। अगर मैं वहां होता हूं, तो उन्हें टोक देता हूं। मैं उनसे बोलता हूं कि अगर हिंदी में बात नहीं करोगे तो क्या मैं यहां से जाऊं।


