वसुंधरा-नड्डा मुलाकात के बाद शुरू हुई बाड़ेबंदी? विधायकों को गुजरात पहुंचने के निर्देश

वसुंधरा-नड्डा मुलाकात के बाद शुरू हुई बाड़ेबंदी? विधायकों को गुजरात पहुंचने के निर्देश

Rajasthan. आखिरकार वो समय नजदीक आता जा रहा है, जिसका सभी इंतजार कर रहे हैं. इसे सदन में शक्ति परीक्षण कहा जाता है. शक्ति परीक्षण इतना आसान भी नहीं, खास तौर से जब दोनों ही खेमों में ऐसे समीकरण हों, जिसकी कल्पना भी राजनीतिक विशेषज्ञ नहीं कर सकते हों.

सचिन पायलट के आंख दिखाने के बाद से कांग्रेस और उसके समर्थक सारे विधायक लगातार बाड़ेबंदी में चल रहे हैं, अब भाजपा विधायकों की भी बाड़ेबंदी के समाचार आना शुरू हो गए हैं. चर्चा है कि भाजपा विधायकों को गुजरात ले जाया जा रहा है. वो ही गुजरात, जहां के लिए दो दिन पहले यह समाचार आए थे कि पायलट खेमे ने अपने आपको हरियाणा से गुजरात ट्रांसफर कर लिया है. हालांकि इस खबर की पुष्टि करने के लिए ना तो सचिन पायलट उपस्थित हैं और ना ही उनके समर्थक 18 कांग्रेस विधायक.

वसुंधरा के दिल्ली पहुंचते ही बाड़ेबदी, क्यों? समझिए

भाजपा के विधायकों को बाड़ेबंदी की कोई जरूरत नहीं. बाड़ेबंदी की जरूरत कब होती है, जब यह यकीन या सन्देह हो कि बाड़ेबंदी नहीं की गई तो अपने साथ खड़ा भी इधर-उधर हो सकता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बात का डर शुरू से ही सताता रहा, तभी तो विधायकों को पहले जयपुर और फिर जैसलमेर के बिल्कुल एकांत में स्थित एक रिसोर्ट में पहुंचाया गया.

उधर पायलट खेमा भी कहीं नजर नहीं आया. वो भी अज्ञात स्थान पर अज्ञातवास में है. एसओजी, एसीबी सब हो आए मानेसर-दिल्ली, लेकिन राजस्थान सरकार को उनके ही विधायक नहीं मिल पाए.

अब बीजेपी खेमे से भी खबरें आ रही हैं, जिसके तहत कई विधायकों को गुजरात पहुंचने के निर्देश मिल चुके हैं. गहलोत के विधायक हों या पायलट के विधायक, दोनों की बाड़ेबंदी तो समझ में आती है कि दोनों एक दूसरे के परिचित है, एक दूसरे के खेमे को तोड़ सकते हैं लेकिन इतने दिनों से खुले घूम रहे भाजपा विधायकों को भाजपा से ही कौन तोड़ सकता है, गहलोत या पायलट? इसका जवाब छुपा है, वसुंधरा राजे के पास.
वसुंधरा राजे के दिल्ली पहुंचते ही भाजपा विधायकों की बाडेबंदी शुरू हो गई है. यह राजस्थान केे चल रहे अब तक के सियासी घटनाक्रम की सबसे महत्वपूर्ण खबर है.

आखिर वसुंधरा राजे के दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से बात करने के कुछ घंटे बाद ही भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी का काम शुरू हो गया. इस सियासी घटनाक्रम की यही वो सबसे बड़ी खबर है जो बता रही है कि हर राज्य में चौड़ी छाती करके कांग्रेस को पटखनी देने वाली भाजपा राजस्थान में क्यों मौन हैं.

असल में मौन भाजपा नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं. आज जैसे ही वसुंधरा राजे ने वर्तमान स्थितियों पर राष्ट्रीय नेताओं से बात की, वैसे ही भाजपा ने अपना अगला रोडमैप तैयार कर लिया.
विधायकों को गुजरात बुलवा लिया. अब तक को कांग्रेस की तस्वीर सबके सामने आती रही, अब आने वाले कुछ घंटों में भाजपा की तस्वीर भी सबके सामने आ जाएगी.

कांग्रेस में अशोक गहलोत बैठे हैं, तो भाजपा में वसुंधरा राजे, दोनों दो-दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, सीएम गहलोत का तो तीसरा कार्यकाल चल रहा है. गहलोत को यदि किसी कारण बीएसपी के 6 वोटों का समर्थन नहीं मिल पाया तो क्या बीएसपी विधायकों के बिना भी गहलोत की सरकार बच पाएगी? अगर हां, तो कैसे? पिक्चर अभी बाकी है,

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