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दो से ज्यादा बच्चों वाले कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन, हाई कोर्ट ने बैक डेट से प्रमोशन देने के आदेश से हटाई रोक

खुलासा न्यूज नेटवर्क। दो से ज्यादा बच्चों वाले राज्य कर्मचारियों को प्रमोशन देने पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटा लिया है। चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने पहले लगाई गई अंतरिम रोक को हटा लिया। दरअसल पहले हाई कोर्ट ने ही 30 अगस्त को इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी। आज राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस रोक को हटा लिया। रोक हटने के बाद अब राज्य सरकार 16 मार्च 2023 की अधिसूचना से ऐसे कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन दे सकेगी।

केवल आशंका के चलते चुनौती दी गई

सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि जिन याचिकाकर्ताओं ने प्रमोशन को चुनौती दी है। वे पहले से प्रमोट हो चुके हैं। वे केवल इस आधार पर अधिसूचना को चुनौती नहीं दे सकते हैं कि बैक डेट से प्रमोशन होने पर उन्हें आगे प्रमोशन नहीं मिलेगा। केवल आशंका मात्र से ही याचिकाकर्ताओं ने अधिसूचना को चुनौती दी। जबकि सरकार यह साफ कर चुकी है कि जो कर्मचारी पहले से प्रमोट हो चुके हैं। उनके प्रमोशन इफेक्ट नहीं होंगे लेकिन याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए चुनौती दी कि बैक डेट से प्रमोशन होने पर उनकी वरिष्ठता सूची में बदलाव आ गया है। वे वरिष्ठता में नीचे चले गए हैं। जिससे उनकी आगे की पदोन्नति प्रभावित हो रही है।

रिव्यू डीपीसी करके दिया जा रहा था प्रमोशन

दरअसल, साल 2001 में राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके 1 जून 2002 के बाद तीसरा बच्चा पैदा होने पर सरकारी कर्मचारी को 5 साल के लिए प्रमोशन से वंचित करने का नियम लागू किया था। साल 2017 में सरकार ने 5 साल की अवधि को घटाकर 3 साल कर दिया था, लेकिन पिछले साल कार्मिक विभाग ने 16 मार्च 2023 को अधिसूचना जारी करके कहा कि ऐसे सभी कर्मचारी जिनकी पदोन्नति दंड स्वरूप रोकी गई थी। उन्हें उनके पदोन्नति वर्ष से ही प्रमोशन का लाभ दिया जाए। ऐसे में राज्य सरकार के करीब 125 विभागों में रिव्यू डीपीसी के माध्यम से ऐसे सभी कर्मचारियों को उनकी प्रारंभिक पदोन्नति की तिथि से प्रमोशन का लाभ दिया जा रहा था। इसे बारां और झालावाड़ के पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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