
बीकानेर में छह घंटे बिजली ने रुलाया, आधा शहर रहा परेशान






बीकानेर। संभाग मुख्यालय पर बुधवार को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक त्राहि-त्राहि मची रही। दरअसल, आधे शहर में बिजली की अघोषित कटौती कर दी गई थी। शहर में 80 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति व्यवस्था में से 45 मेगावॉट की आपूर्ति आपातकालीन सेवाओं के नाम पर की गई। शेष 35 मेगावॉट काटकर ग्रामीण क्षेत्र में देने की कोशिश की गई। हालांकि उसका भी कोई खास नतीजा नहीं निकला। ग्रामीण इलाकों में भी हालात में कोई खास सुधार देखने में नहीं आया। रही शहर की बात, तो इस काटा-पीटी के खेल में दोपहर दो बजे बाद ही शहर में बिजली आपूर्ति बहाल हो पाई। बिजली कटौती की मार आम लोगों, गरीब बस्तियों, व्यापारियों, छोटे बाजार और मोहल्लों के उपभोक्ताओं पर पड़ी। जिला कलक्टर-एसपी दफ्तर से लेकर सिविल लाइंस समेत अफसरों के सरकारी आवास वाले क्षेत्रों में बिजली निर्बाध रूप से मिलती रही। इसके पीछे तर्क आपातकालीन सेवाओं का दिया गया। हकीकत यह है कि सरकारी अस्पताल और जलदाय विभाग के पम्प हाउस को छोड़कर आपातकालीन सेवाओं का दायरा सरकारी अफसरों ने अपनी सुविधा के अनुसार बढ़ा रखा है।प्रसारण निगम के जीएसएस में तकनीकी खामी को दुरुस्त करने के लिए बीकानेर शहर की बिजली काटने की आवश्यकता नहीं थी। परन्तु प्रशासन किसानों को कुछ न कुछ बिजली आपूर्ति देने के लिए अड़ गया। ऐसे में शहर से आवश्यक सेवाओं को छोड़कर 35 मेगावॉट बिजली को पांचू व नापासर आदि क्षेत्र के किसानों को देने का प्रयास किया गया। हालांकि, इसमें सफलता भी नहीं मिली। साथ ही सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली को भी ग्रामीण क्षेत्र में देने का प्रयास किया गया। इसमें भी सफलता नहीं मिली। ऐसे में शहर में कुछ क्षेत्रों में बीच-बीच में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बिजली आपूर्ति चालू भी की गई।


