
बिजली के बिल का तेज होगा करंट, उपभोत्ताओं पर पड़ेगा अतिरिक्त भार






जयपुर। कोरोना जनित हालात और मंहगाई के इस दौर में आप भले ही आर्थिक परेशानियां झेल रहे हों, बिजली पहले से ही बहुत महंगी हो मगर यह बिल आपको अब और झटका देगा। बिजली दर में बेतहाशा बढ़ोत्तरी से जूझ रहे राज्य के 1.52 करोड़ उपभोक्ताओं पर अब 4500 से 5 हजार करोड़ रुपए का बोझ पडऩे वाला है। कोयला भुगतान मामले में अडानी पॉवर से हारे ऊर्जा महकमे ने अब कानूनी अपील नहीं करने का फैसला किया है। इसके बाद साफ हो गया है कि बिजली वितरण कंपनियों को यह मोटी रकम चुकानी होगी और जिसकी वसूली बिजली बिल के जरिए जनता से की जाएगी। इसी कारण ऊर्जा महकमे और ऊर्जा विकास निगम ने अडानी पावर को दी जाने वाली वास्तविक राशि की गणना शुरू कर दी है, जिसके लिए ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में उच्चाधिकारियों की कमेटी गठित की है।
गौर करने वाली बात यह कि इस रोकड़ में 2 हजार करोड़ रुपए तो केवल कैरिंग चार्ज के हैं, जो देरी से भुगतान के लिए बतौर पेनल्टी है। इस मामले में ऊर्जा विभाग से लेकर राज्य सरकार तक में हलचल मची हुई है। निगम की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई थी।
मांगे थे 5300 करोड़, अब 7400 करोड़ से ज्यादा देंगे अडानी पावर ने वर्ष 2018 में 5300 करोड़ रुपए का आकलन कर डिस्कॉम्स को नोटिस दिया। न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2019 में कंपनी को 2426 करोड़ रुपए का शुरुआती भुगतान देने के आदेश दिए।।इस आधार पर डिस्कॉम्स ने भुगतान किया।
-अब मूल राशि और कैरिंग चार्ज सहित अब बकाया राशि 4500 से 5000 करोड़ रुपए होगी।
ऐसे में कुल चुकाई जाने वाली रोकड़ 6926 से 7426 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। यानि, शुरुआती मांग राशि की तुलना में अब यह राशि करीब 2100 करोड़ रुपए ज्यादा हो गई।
आपके बिल में पुरानी वसूली चलेगी 36 माह तक
2426 करोड़ डिस्कॉम पहले ही दे चुका है कोर्ट के आदेश पर, जिसका भार विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है
36 माह तक 5 पैसे प्रति यूनिट गणना के आधार पर बिजली बिल में वसूली की जा रही है जयपुर, अजमेर, व जोधपुर तीनों डिस्कॉम के उपभोक्ताओं से
अडानी का कवई में है बिजली प्लांटडिस्कॉम्स और अडानी पॉवर राजस्थान लि. के बीच अनुबंध है। कंपनी ने राजस्थान के कवई में 1320 मेगावॉट क्षमता का बिजली उत्पादन प्लांट लगाया हुआ है। यहां से डिस्कॉम्स को बिजली सप्लाई की जा रही है।
आर्थिक बोझ का जिम्मेदार कौनऊर्जा विभाग के अफसर एग्रीमेंट से जुड़े चेंज इन लॉ धारा पर मुख्य रूप से जोर देते रहे। इसके तहत दावा किया गया कि कंपनी कोयला कहीं से भी मंगवाए, उसे भुगतान अनुबंध के तहत निर्धारित दर से ही किया जाएगा। जबकि, अडानी पॉवर दावा करता रहा है कि कोयला उपलब्ध ही नहीं कराया गया, इसलिए उसे इंडोनेशिया व स्थानीय स्तर पर कोयला मंगवाना पड़ा, जिसके लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ा। कंपनी ने यही अंतर राशि डिस्कॉम्स से मांगी।


