शिक्षा की दुकान जगह- जगह खुली: अरिवंद

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बीकानेर। शिक्षा को मंदिर कहा जाता है लेकिन आज के दौर में शिक्षा एक व्यवसाय बनता जा रहा है शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें संस्कार, अनुशासन, प्रतिभा सामने आनी चाहिए हमेशा शिक्षा देने वाला शिक्षक कुशल और योग्य व अनुशासनत्मक होना चाहिए तभी वह विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा दे सकता है ये बात रविवार को अभिप्रेरणा कोचिंग क्लासेज में पत्रकारों से रुबरु होते पूर्व जिला कलक्टर आर.एन.अरिवंद ने कहा उन्होंने कहा कि शिक्षा का मशीनीकरण नहीं होना चाहिए आज के देखने को मिलता है कि शिक्षा का मशीनीकरण हो रहा है और ये बच्चों के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि अभिप्रेरणा में ऐसे शिक्षकों द्वारा अध्ययन कराया जायेगा जो बच्चों की हर निराशा को दूर करेंगे बच्चे में आ रहे नकारात्मक सोच को बदलकर सकारात्मक सोच में बदलने के प्रयास किये जायेगे। उनको मनोबल को ऊंचा लेने मे अभिप्ररेणा हर कोशिश करेंगा। प्रतिभाशली बच्चा हो और कोचिंग के लिए साधन नही हो तो अभिप्ररेणा कोचिंग उसको नि:शुल्क कोचिंग करवाने की पूरी कोशिश करेगा जिससे की उसकी प्रतिभा जिंदा रहे।

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