
पुलिस की लापरवाही से एक नेत्रहीन ने अपने जीवन के 75 दिन बेवजह सलाखों के पीछे काटे, क्या पुलिस उसकी भरपाई कर पायेगी





पुलिस की लापरवाही से एक नेत्रहीन ने अपने जीवन के 75 दिन बेवजह सलाखों के पीछे काटे, क्या पुलिस उसकी भरपाई कर पायेगी
बीकानेर। बीकानेर रेंज के एक थाने में पुलिस की गलत जांच के कारण नेत्रहीन को दो माह से भी ज्यादा जेल में रहना पड़ा। हाईकोर्ट ने नेत्रहीन को रिहा कर मामले की जांच करने वाले अनुसंधान अधिकारी और पुलिस थाने के एसएचओ के खिलाफ विभागीयकार्यवाही के लिए कहा है। इसके अलावा सरकार की ओर से नेत्रहीन को 2 लाख रुपए का हर्जाना देने के भी आदेश दिए गए हैं।बीकानेर रेंज के चूरू जिले में तारानगर पुलिस थाने में 14 मार्च, 25 को हरिसिंह की ओर से भतीजे विनोद के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज करवाया गया था। पुलिस ने इस मामले में सिद्धमुख निवासी नेत्रहीन अमीचंद को 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया और 27अप्रैल को उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। तब से वह जेल में ही है। इस दौरान अमीचंद के भाई संदीप ने पुलिस की जांच कोगलत बताते हुए परिवाद दिया। ट्रेनी आईपीएस निश्चय प्रसाद ने परिवाद की जांच की तो पाया कि अमीचंद के खिलाफ आरोपप्रमाणित नहीं होता। उसकी रिहाई के लिए तारानगर कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट का कहना था कि मामलेमें दुबारा जांच के लिए अनुमति ही नहीं ली गई।
इस पर बीकानेर निवासी वकील कौशल गौतम ने 19 जून को जोधपुर हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका पेश की। कोर्ट ने पूरे मामले कीसुनवाई के बाद नेत्रहीन अमीचंद को जेल से रिहा करने और तारानगर थाने के एसएचओ व अनुसंधान अधिकारी के खिलाफविभागीय जांच के आदेश चूरू एसपी को दिए हैं। इसके अलावा सरकार को दो लाख रुपए हर्जाने के रूप से भुगतने होंगे। यह राशिदो माह से ज्यादा बेवजह जेल में रहने वाले नेत्रहीन अमीचंद को दी जाएगी। पुलिस की लापरवाहीपूर्ण जांच का यह मामला चर्चा मेंहै।


