
त्यौहारी सीजन, सरकारी अवकाश, अधिकारियों की बल्ले – बल्ले बीकानेर बना मिलावटी मावे का अड्डा,स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण लोग हो रहे है बीमार





त्यौहारी सीजन, सरकारी अवकाश, अधिकारियों के बल्ले – बल्ले
बीकानेर बना मिलावटी मावे का अड्डा,स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण लोग हो रहे है बीमार
बीकानेर(शिव भादाणी ) पिछले लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार मिठाई की फैक्ट्रियों पर छापा मार रही है कई मावों की दुकानों पर छापा मारा विभाग की टीम को हर बार बदबूबार गंध मारता मावा मिला है। इससे यह तय है कि बीकानेर शहर में लंबे स्तर पर मिलावटी मावे की खपत की जा रही है। इससे आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। प्राय: देखा जाता है मावे की मिठाई खाते ही पेट में दर्द या उल्टी आनी शुरु हो जाती है इसका मुख्य कारण है मावे व्यापारियों का मावा कोल्ड स्टोरज में 6 से एक साल तक पड़ा रहता है जिससे लोहे की पिपों में पड़ा रहने से खराब हो जाता है और उस पर फफूंद आ जाती है। जब व्यापारी से मिठाई विक्रेता मांगता है तब वो फफूंद हटाकर उसको बेच देते है जिससे लोग बीमार होते है। शहर के मावे पट्टी, चौखूटी पुलियां के पास सैकड़ों मावे के व्यापारी है जहां से रोजाना क्विंटलों मावा शहर की मिठाई की दुकानों पर पहुंचता है।
स्वास्थ्य विभाग की धीमी कार्यवाही से मावे व्यापारियों के बल्ले बल्ले
स्वास्थ्य विभाग के पास पूरी टीम नहीं होने के कारण कार्यवाही बहुत धीमी रहती है जिससे व्यापारियों के हौसले हो गये बुलंद और मजे से शहरवासियो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते नजर आते है।
त्यौहारी सीजन में मिलावटी मावे की मिठाई बेचते है व्यापारी
अगर देखा जाये तो त्यौहारी सीजन में मिठाई की दुकानों पर भयंकर भीड़ रहती है तब ग्राहक बस मिठाई लेकर निकल जाता है लेकिन उस मिठाई खाने के बाद पेट में दर्द या फूडपोईजन तक हो जाता है। विभाग अगर समय पर कोल्ड स्टोरज व मावे की दुकानों पर छापा मारे तो लोगों का जीवन बच सकता है।
बीकानेर से सैकड़ों क्विंटल मावा बाहर जाता है
शाम को जाने वाले निजी बसों में मिलावटी मावा पीपों में भरकर बाहर जयपुर, जोधपुर, अहमदाबाद सहित कई जगहों पर जाता है इसका उदाहरण है अभी दो दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बस में छापा मारकर खराब मावा जब्त किया जिससे ये जाहिर है कि बीकानेर ही नहीं आस पास के जिले व ग्रामीण् इलाकों में भारी मात्रा में खराब मावा सप्लाई हो जिससे लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ा होता है।
ऐसे बनाते हैं मिलावटी खोआ व दूध
शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदा का इस्तेमाल कर नकली या मिलावटी मावा बनाया जाता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन बढ़ाने के लिए मावा में आटा भी मिलाया जाता है। नकली मावा असली मावा की तरह दिखे, इसके लिए कुछ केमिकल भी मिलाए जाते हैं। कुछ लोग मिल्क पाउडर से वनस्पति घी बनाकर नकली मावा तैयार करते हैं। खोआ के व्यापार में कुछ इस तरह का खेल होता। जिसे बेहद कम लागत में तैयार किया जाता है। मिलावटी खोया पर भी ५० रुपए प्रति किलो तक का मुनाफा हो जाता है। मार्केट एक्सपर्ट ने बताया कि खोये में आलू, मैदा, रवा आदि मिलाकर खोये की मात्रा बढ़ाई जाती है। वहीं मिल्क पाउडर व निरमा से भी खोआ बनाने का खेल चलता है।

