मंगलवार को चतुर्थी होने से इस दिन की गई गणेश पूजा से दूर होती हैं बीमारियां

मंगलवार को चतुर्थी होने से इस दिन की गई गणेश पूजा से दूर होती हैं बीमारियां

धार्मिक मान्यताओं में संकष्टी चतुर्थी का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन जो भी विघ्नहर्ता गजानन की विधि विधान से पूजा-अर्चना करता है, श्री गणेश उसकी सभी कामना पूर्ण करते हैं। संकष्टी चतुर्थी इस बार 23 नवंबर मंगलवार के दिन है। मंगलवार को आने वाली चतुर्थी को अंगारक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं।

अंगारक चतुर्थी: अब अगले साल 19 अप्रैल को बनेगा ये संयोग
हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में एक या 2 ही बार ये संयोग बनता है। इस साल सावन मास के कृष्णपक्ष की गजानन संकष्टी चतुर्थी यानी 27 जुलाई को ये संयोग बना था। इसके बाद 23 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर मंगलवार का संयोग बनेगा। इसके बाद 19 अप्रैल को वैशाख महीने के कृष्णपक्ष की विकट संकष्टी चतुर्थी को मंगलवार होने से अंगारक चतुर्थी का संयोग बनेगा।

गणेशजी के साथ मंगल देव की भी पूजा
इस अंगारक चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा के साथ मंगल देव की भी पूजा की जाती है। ग्रंथों के अनुसार मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। अंगारक चतुर्थी व्रत में मंगल पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन शिवलिंग पर लाल चंदन, लाल फूल और गुलाल चढ़ाना चाहिए। इस चतुर्थी व्रत में लाल कपड़े पहनना चाहिए। इसके साथ ही फलों के रस से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

मंगलवार को लाल फूल से पूजा
माना जाता है कि गणेश जी को हरे रंग के अलावा लाल रंग भी प्रिय है। इसलिए गणेश पूजा में लाल रंग के फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए। गणेश पूजा करते वक्त गुड़हल के फूल का उपयोग कर सकते हैं। मान्यता है कि गुड़हल के फूल से गणेश जी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। साथ ही मंगलवार को गेंदे का फूल चढ़ाना चाहिए।

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