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डीटीओ में सक्रिय एजेंटों के बिना नहीं होते कार्य

खुलासा न्यूज,बीकानेर। सरकार के बड़े अधिकारी कैसे भी आदेश जारी करें। उनका क्रियान्वयन नीचे के अधिकारियों की मर्जी के बिना ‘सेवा शुल्कÓ जल्दी काम नहीं होता तो बिचौलिए मलाई खा रहे हैं। डीटीओ दफ्तर में तो एजेंट ही सर्वेसर्वा हैं। लोगों के अनुसार आवेदन जमा कराने से लेकर फाइल जमा कराने से लेकर फाइल बनाने और स्वीकृत कराने में एजेंट की खासी भूमिका रहती है। हालांकि यह गैर कानूनी है। फिर भी एजेन्टों के जरिये ही लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया चल रही है। डीटीओ के बाहर एजेंटों का जबरदस्त बोलबाला है। हर कोई एजेंट बना हुआ है। जांच-पड़ताल में सामने आया कि कार्यालय के बाहर करीब सैकड़ों एजेंट काम कर रहे हैं। इन एजेंटों के जरिए ही लाइसेंस बनाने के कार्य होते हैं।
लर्निंग लाइसेंस के नाम पर ले लेते हैं तीन हजार तक
कार्यालय के बाहर बैठे एजेंट लाइसेंस बनाने वालों से मनमर्जी से पैसा वसूलते हैं। पैसा लेने की उनकी कोई बाध्यता नहीं है। यहां तक की कइयों से तीन हजार रुपए तक लाइसेंस बनवाने के नाम पर वसूल लिए जाते हैं। इन पर कोई रोक-टोक नहीं हैं और इसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता है।
लाइसेंस की यह वाजिब दर
किसी को भी अगर लाइसेंस बनवाना है तो उसकी ऑनलाइन रसीद काटी जाती है। इसमें दो प्रकार होते हैं एक कार व दूसरा बाइक। अगर एक का लाइसेंस बनाना होता है तो 200 रुपए और यदि दोनों प्रकार का बनवाना होता है तो दो सौं में डेढ़ सौ रुपए और जोड़ दिए जाते हैं। इस तरह लर्निंग लाइसेंस के साढ़े तीन सौ रुपए पड़ते हैं। वहीं, परमानेंट लाइसेंस के एक हजार रुपए पड़ते हैं। महिलाओं को लाइसेंस बनवाने में 50 रुपए की छूट होती है।
सीधे लाइसेंस बनवाना मुश्किल…
जिला परिवहन कार्यालय में सीधे जाकर अधिकारियों-कर्मचारियों से लाइसेंस बनवाना बड़ा मुश्किल काम है। पहली बार तो कर्मचारी सीधे जाने वालों को एजेंटों के पास भेज देते हैं और किसी ने सीधे बनवाने के प्रयास कर लिए तो उसे कई महीनों तक दफ्तर के चक्कर लगवाएं जाते हैं और वह आखिरकार हारकर एजेंटों के पास पहुंच ही जाता है।

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