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डॉ. स्वामी की बड़ी उपलब्धि : मरीज को मौत के मुंह से निकाला, बीकानेर के लिए गौरव की बात

खुलासा न्यूज़, बीकानेर। आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के विभागाध्यक्ष डॉ बीएल स्वामी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डॉ. स्वामी ने मरीज को मौत के मुंह से निकाला है। यह बीकानेर संभाग के लिए गौरव की बात है।
सादुलगंज पॉलिटेक्निक कॉलेज के सामने स्थित आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के विभागाध्यक्ष डॉ बीएल स्वामी के पास घड़साना निवासी बरकत अली पहुंचा। हार्ट अटैक आने पर पहुंचे इस मरीज़ हालत बेहद गंभीर थी। स्वामी ने प्राथमिक ट्रीटमेंट देते हुए तुरंत ईसीजी करवाई तो तीव्र बदलाव देखे गए। इस पर एंजियोग्राफी करवाई गई तो पता चला कि लेफ्ट एंटिरियर डिफेंडिंग नस 99 प्रतिशत तक ब्लॉक थी। वहीं डायगोनल नस भी 99 प्रतिशत तक ब्लॉक पाई गई। अंतिम रूप से बाइफ्रकेशन पॉइंट पर स्टेंट डालना जरूरी हुआ, लेकिन समस्या यह थी कि यहां स्टेंट डालना बेहद मुश्किल कार्य था। ऐसे में डॉ बीएल स्वामी ने मरीज़ के परिजनों से बात कर मिनीक्रश बाइफ्रकेशन स्टेंटिंग तकनीक से इलाज करने की सहमति ली।

ऐसा किया गया इलाज
पहले दोनों नसों को गाइड से हुक कर तार डाल दिए गए। फिर दोनों नसों की एक साथ बैलूनिंग की गई। ऐसा करने से नसों में रक्त प्रवाह बढ़ा और छाती के दर्द में आराम आने लगा। इसके बाद डायगोनल नस में स्टेंट डालते हुए इस नस से वायर बाहर निकाला गया, बैलून लेफ्ट एंटिरियर डिसेंडिंग आर्टरी में फुलाया गया। इसके बाद डायगोनल पार्ट के प्रोक्सीमल पार्ट को क्रश किया गया। इसके बाद लेफ्ट एंटिरियर डिसेंडिंग आर्टरी में स्टेंट फुलाया गया। ऐसा करने के बाद स्टेंट की जाली को वायर से क्रॉस किया गया। यह कार्य बड़ा कठिन है। इसके बाद इन थालियों को बैलून से क्रॉस कर बैलून फुलाया गया। जिसमें डायगोनल के मुख से स्टेंट स्ट्रंट यानी जाली हटाकर नस की दीवार से लगा दी गई। फिर अंतिम रूप से दोनों नसों में बैलून को खास कोण में फुलाकर किसिंग द्वारा इस विभाजन स्थान की संपूर्ण ब्लॉकेज को हटा दिया गया।
डॉ स्वामी के अनुसार इस तरह के स्टेंटिंग प्रोसीजर देश में कुछ गिने चुने संस्थानों में भी कुछ गिने चुने कार्डियोलॉजिस्ट ही कर पाते हैं। इस पूरे प्रोसिजर की वजह से मरीज़ बायपास सर्जरी से बच गया। पूरी प्रक्रिया में करीब 120 मिनट का समय लगता है लेकिन डॉ स्वामी ने यह प्रोसिजर 84 मिनट में पूरा कर लिया। मरीज़ को दूसरे दिन छुट्टी भी दे दी गई है। सेंटर के निदेशक डॉ पवन चौधरी व डॉ दुर्गा ने बताया कि सेंटर की टीम काफी जोखिम भरे चिकित्सा कार्यों में सफलता हासिल कर रही है। दिल्ली ले जाने में समय लगता है ऐसे में कभी रास्ते में तो कभी देरी की वजह से मृत्यु हो जाती है। लेकिन बीकानेर में ऐसी सुविधा होने से संभाग के मरीजों की जान बचाना आसान हुआ है।

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