डॉ नांगल ने फिर किया कमाल,कुसा तकनीक से निकाली पित्त की थैली में कैंसर की गांठ - Khulasa Online डॉ नांगल ने फिर किया कमाल,कुसा तकनीक से निकाली पित्त की थैली में कैंसर की गांठ - Khulasa Online

डॉ नांगल ने फिर किया कमाल,कुसा तकनीक से निकाली पित्त की थैली में कैंसर की गांठ

खुलासा न्यूज,बीकानेर। कैंसर का नाम सुनते ही मरीज व उसके घर वालों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। इस घातक बीमारी से बचाने वाले डॉक्टर मरीज के लिए दूसरे जन्मदाता हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही मामला श्रीमति  उमादेवी भतमाल मेमोरियल नांगल कैंसर हॉस्पीटल में देखने को मिला। जहां, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ जितेन्द्र नांगल ने  पित्त की थैली में कैंसर की गांठ का अत्याधुनिक कुसा तकनीक के जरिये मरीज का  सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। मरीज का नाम संदीप सिंह (31वर्ष) है, जो हनुमानगढ़ का निवासी हैं। डॉक्टरों ने कैंसर मुक्त करने के लिए मरीज के लिवर का कुछ हिस्सा काट दिया।
कोरोना में हुआ कुसा तकनीक से ऑपरेशन
अस्पताल के चिकित्सा डॉ नांगल की टीम ने 5 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज के खराब लिवर के पार्ट को कुसा (सीयूएसए) मशीन से काट कर अलग किया। डॉ नांगल ने बताया कि मरीज का  सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। 15 दिन पहले पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हुआ। जिसके बाद उसने हनुमानगढ़ में चिकित्सक को दिखाया। जिसने सोनोग्राफी करवाने की  सलाह दी। सोनोग्राफी में मरीज  के पित्त की थैली में पथरी और एक गांठ होने की बात सामने आई। जिसके बाद संदीप सिंह ने बीकानेर में श्रीमति उमादेवी भतमाल मेमोरियल नांगल कैंसर हॉस्पीटल में कैंसर  रोग विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र नांगल  को दिखाया। यहां मरीज की सिटी स्केन में पता चला कि मरीज के पित्त की थैली में गांठ के साथ साथ खून में ट्यूमर मारकर बढ़ा हुआ है जो कैंसर की तरह इंगित करता है।  डॉ नांगल में बताया कि पित्त की  थैली में गांठ होने के बाद ऑपरेशन जटिल होता है। फिर भी इस जटिल ऑपरेशन को करने का निर्णय लिया गया। लगभग पांच घंटे चल इस ऑपरेशन रेडिकल कोलिसिस्टेक्टोमी पद्वति से पित्त की थैली के  कैंसर के साथ लीवर का हिस्सा सैग्मेंट 4 बी 5 भी निकाला जाता है व हिपरोड्यडेनल लिफनोड भी निकलते है ।लेकिन इनके पास स्थित लीवर की  नसों हीपेटिक आर्टिरी,पोर्टल वेन व सीबीडी के  चारों ओर हिपरोड्यडेनल लिफनोड होता है।  जिन्हें भी बचाना जरूरी होता है। अगर इनको किसी प्रकार की क्षति होती है तो रक्त स्त्राव के चलते लीवर डेमेज होने का खतरा भी बना रहता है।
क्या होती है एनेस्थसिया तकनीक
एनेस्थेटिस्ट डॉ सुमन सिंह बताती है कि इसमें विशेष एनेस्थसिया अपनाई जाती है। ऑपरेशन के दौरान इवेजिव ब्लड प्रेशर नापा जाता है। इसमें एक कैनूला खून की नस में लगाई जाती है। जो मॉनिटर पर  दिल की हर  धड़कन के उतार चढ़ाव का पता चलता रहता है। यहीं नहीं इस तकनीक में बी पी को 100 के आसपास रखा जाता है ताकि लीवर को कट करते समय रक्त स्त्राव कम से कम हो।
क्या है सर्जरी तकनीक
इसके लिये कुसा मशीन  द्वारा लीवर के हिस्से काटना,तकनीक से नार्मल लीवर न के बराबर नुकसान होता है। कुसा तकनीक व ब्रेन के ऑपरेशन में दुनिया की सबसे सुरक्षित तकनीक है।
लिवर के महज 30 प्रतिशत हिस्से पर रह सकते हैं जिंदा
डॉ नांगल बताते है कि मरीज के लिवर के करीब 20 प्रतिशत हिस्से में कैंसर का ट्यूमर फैल चुका था। ट्यूमर को निकालने के लिए 4बी व 5 सेगमेंट लिवर को निकाला गया. डॉक्टरों के मुताबिक मनुष्य लिवर के 30  प्रतिशत हिस्से पर जिंदा रह सकता है। समय के साथ 30 प्रतिशत अपने आप डेवलप हो जाता है। इसी तरह लिवर का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा तैयार हो जाता है। इसके लिए मरीज को खान-पान पर अधिक  ध्यान देने की जरूरत होती है।
इस टीम की रही उपलब्धि
इस ऑपरेशन में डॉ नांगल के साथ एनेस्थेटिस्ट डॉ सुमन सिंह के अलावा सौरभ,कल्लाराम,ममता ने सेवाएं दी।
error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26