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डॉ. कल्ला को चुनावी वर्ष में युवाओं का गुस्सा झेलना पड़ेगा, शिक्षकों के पद घटाना पड़ेगा भारी!

राजस्थान में रीट परीक्षा के पीछे एक के बाद एक ऐसे विवाद आते जा रहे हैं कि बेरोजगार युवाओं का सरकारी नौकरी पाने का सपना ना जाने कब पूरा होगा? इस परीक्षा को शुरू हुए डेढ़ वर्ष बीत गए और अभी ना जाने कितना समय और लगेगा बेरोजगार को सरकारी शिक्षक बनते-बनते।

पहले पेपर के लीक होने के बाद सरकार ने परीक्षा निरस्त कर दी थी, जिससे लाखों बेरोजगार युवा और उनके परिजन सरकार के प्रति आक्रोशित हुए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार की तब देश भर में बहुत किरकिरी हुई थी। सरकार के विरोध में प्रदेश भर में युवाओं और भाजपा कार्यकर्ताओं ने धरने, प्रदर्शन, रैली और विधानसभा का घेराव तक किया। और अब सरकार ने अचानक इसी भर्ती परीक्षा में शिक्षकों के 6000 पद घटा दिए हैं। इसी के साथ सरकार ने प्रत्येक सरकारी स्कूल में गेस्ट फैकल्टी के तहत शिक्षकों से जो आवेदन मांगे हैं, उनमें भी बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता देने के बजाए सेवानिवृत्त शिक्षकों को वरीयता देने का निर्णय किया है।

भर्तियों के प्रति लेट-लतीफी और ढीले-ढाले रवैये के चलते सरकार को चुनावी वर्ष में युवाओं का गुस्सा झेलना पड़ेगा। बेरोजगार इसकी चेतावनी सरकार को दे चुके हैं। इधर भाजपा भी दीपावली के बाद इस मुद्दे पर सरकार को घेरेगी।

शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला का कहना है कि पद घटाने का फैसला स्कूलों में विद्यार्थियों के नामांकन के आधार पर किया गया है। पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थियों की नामांकन संख्या ज्यादा है, इसलिए उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों (लेवल-1) के पदों की जरूरत ज्यादा है, जबकि आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की संख्या कम हैं, तो उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों की जरूरत भी कम हैं। ऐसे में उनके पद 31,500 से 6000 घटाकर 25,500 किए गए हैं। हालांकि डॉ. कल्ला इस बात का जवाब कहीं नहीं दे रहे हैं कि पूर्व में बिना नामांकन के आंकड़े देखे ही लेवल-2 के 31,500 पदों पर भर्ती की घोषणा क्यों की गई थी, जो पद अब घटाने पड़े हैं।

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