
पैसों के लालच में बीकानेर डॉ. गौरव गोंबर ने ले ली बच्ची की जान!, तीन चिकित्सकों के खिलाफ केस दर्ज







डॉ. गौरव गोंबर पर जांच कमेटी के सामने गलत तथ्य पेश करने का भी आरोप
बीकानेर। बीकानेर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोंबर सहित तीन चिकित्सकों के खिलाफ बच्ची के ईलाज में लापरवाही बरतना व जांच कमेटी के सामने गलत तथ्य पेश करने के आरोप में बीकानेर सदर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा रानी बाजार निवासी जगदीशचंद्र खत्री पुत्र रमेश चंद्र ने दर्ज करवाया है। जिसमें मारवाड. हॉस्पिटल बीकानेर में कार्यरत बाल रोग विशेष डॉ. गौरव गोंबर, जयपुर स्थित हॉप हॉस्पिटल दुर्गापुरा जयपुर के गुर्दा रोग विशेष डॉ. अंकित मंगला व डॉ. प्रियंका मित्तल के खिलाफ दर्ज कराया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने बच्ची के ईलाज में गंभीर लापरवाही बरती, जिसके कारण बच्ची हैजल खत्री की मौत हो गई। डॉ. गौरव गोंबर द्वारा ईलाज में लापरवाही बतरने के साथ-साथ पैसों के लालच में बच्ची को जयपुर रैफर करना, वो भी गलत डॉक्टर्स के पास। साथ ही डॉ. गोंबर पर जांच कमेंटी के सामने सही तथ्य छुपाकर गलत तथ्य पेश करने का भी आरोप है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यह है पूरा प्रकरण
परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि मेरी पत्नी आसा खत्री ने दिनांक 13.09.2022 को पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर में एक पुत्री हैजल खत्री को जन्म दिया। मेरी पत्नी की पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर में नोर्मल डिलवरी हुई थी और बच्ची हैजल खत्री भी पूर्णतया स्वस्थ पैदा हुई थी और इसी कारण डिलवरी के तीन दिन पश्चात् मेरी पक्षी व बच्ची को पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर से छुट्टी दे दी गई थी। यह कि मेरी पत्री का डिलबरी से पूर्व डॉक्टर्स स्वाति फलोदिया गायक्रोलोजिस्ट का ईलाज चला था। दौराने ईलाज डिलीवरी से पूर्व डॉ. फलोदिया ने मेरी पत्री की सोनाग्राफी करवाने की सलाह दी जिस पर मैंने अपनी पत्री के प्रेग्रेन्सी काल के दौरान 6 वे माह में सोनोग्राफी करवाई तो सोनोग्राफी की रिपोर्ट देखकर डॉ. फलोदिया ने बताया कि आपकी बच्ची की बायी तरफ की किडनी अदृश्य है और कहा कि बच्ची के जन्म लेने व विकसित होने के पश्चात उक्त किडनी दिखना संभव हो सकता है। परिवादी ने बताया कि जन्म के डेढ़ वर्ष पश्चात् मेरी पुत्री को बुखार 103 डिग्री आने पर मैं अपनी पुषी को गंगाजहर स्थित डॉ. एल.सी. बैद के पास लेकर गया तो वहां डॉ. ने मेरी पुत्री की कुछ जांच करवाने के पश्चात् मेरी पुत्री को पेशाब में संक्रमण बताया और 3 दिन की मेडिसिन दी जिससे मेरी पुत्री पूर्णतया स्वस्थ हो गई। यह कि इसके करीब 6 माह पश्चात् मेरी पुत्री को पुनः बुखार आने पर मैं उसे लेकर डॉ. एल.सी. बैद के पास गया। जहां डॉ. साहब ने मेरी पुत्री की पुनः जांचे करवा कर बताया कि आप की पुत्री के पैशाब में इन्फेक्शन है और डॉ. बैद ने मेरी पुत्री को पुनः 3 दिन की मेडिसन दी जिससे मेरी पुत्री पुनः पूर्णतया स्वस्थ हो गई।
इसके पश्चात् सितम्बर 2024 में मेरी पुत्री को पुनः बुखार आया तो मैं उसे लेकर मारबाड हॉस्पीटल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोम्बर के पास लेकर गया जहां डॉ. गौरव गोम्बर को मैंने बताया कि मेरी पुत्री को हर 6 माह पश्चात् पेशाब में संक्रमण की समस्या हो जाती है और मैंने उसे पूर्व में दो बार गंगाशहर स्थित डॉ. एल.सी. बैद को दिखा दिया है लेकिन इसके पश्चात भी मेरी पुत्री की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है, जिस पर डॉ. गौरव गोम्बर ने कहा कि हमारी हॉस्पीटल में हॉप हॉस्पीटल दुर्गापुरा, जयपुर से गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित मंगला आते है, जो आज भी हमारी मारवाड हॉस्पीटल (आशीवाद चाइल्ड केयर सेंदर, बीकानेर) में आए हुए है। आप अपनी पुत्री को डॉ. अंकित मंगला साहब को दिखा देखें, तब मैंने डॉ. गौरव गौम्बर की सलाह पर अपनी पुत्री को डॉ. अंकित मंगला को दिखाया और उन्हें अपनी पुत्री की जन्म के पश्चात् की पुरी मेडिकल हिस्ट्री से अवगत कराया। तब डॉ. अंकित मंगला ने मुझे कहा कि आप अपनी पुत्री को जयपुर स्थित हमारे चिकित्सालय हाँस हॉस्पीटल लेकर लाओ, जहां पर आपकी पुत्री की कुछ जरूरी जांचे करनी पड़ेगी क्योंकि में आपकी पुत्री की जो जाँचे करवाना चाहता हूँ वह बीकानेर में संभव नहीं है और आपकी पुत्री की जांचे करने के पश्चात् ही आपकी पुत्री का ईलाज शुरू कर सकता है।
परिवादी बताया कि डॉ. अंकित मंगत्ला के बड़े अनुसार में अपनी पत्री के साथ अपनी पुत्री को लेकर दिनांक 4.9.2024 को हॉप हॉस्पीटल जयपुर गया और डॉ. अंकित मंगला से सम्पर्क किया तो उन्होंने वहां जाते ही मेरी पुत्री को अस्पताल में भर्ती कर लिया और मेरी पुत्री को लगातार एंटीबायोटिक दवाईयां देते रहे और कहा कि एंटीबायोटिक दवाईयों से आपकी पुत्री का पेशाब का संक्रमण कम कर देगी।
अंकित मंगला ने दिनांक 08.09.2024 को मेरी पुत्री की MCU STUDY (मुत्राशय की जॉच) करवायी और कहा कि आपकी पुत्री की एक और जॉच RENAL DMSA SCAN (किडनी सम्बंधी जाँच) होगी जो हमारे हॉस्पीटल में उपलब्ध नहीं है। इसके लिये आपकी पुत्री को हमारी हॉस्पीटल की स्टॉफ गेटवेल हॉस्पीटल लेकर जायेगा। तब मैंने दिनांक 09. 09.2024 को अपनी पुत्री की उपरोक्त जांच नेटवैल हॉस्पीटल से करवायी। तत्पशचात् दिनांक 10.9.2024 को डॉ. प्रियंका मित्तल ने मेरी पुत्री की एक और जांच CYSTOGRAPHY (मुत्रालय सम्बंधी जॉच) की, इसके पश्चात् भी डॉ. अंकित मंगला व डॉ. प्रियंका मित्तल ने मेरी पुत्री को क्या समस्या है इसके बारे में मुझे नहीं बताया। यह कि तत्पश्चात उपरोक्त जांचे लेकर में डॉ. अंकित मंगला के पास गया लेकिन उनके नहीं मिलने पर में डॉ. प्रियंका मित्तल के पास गया तब डॉ. प्रियंका मित्तल ने बताया कि आपकी पुत्री का ऑपरेशन करना पड़ेगा। क्योंकि आपकी पुत्री की बायीं तरफ की किडनी नहीं है और यूरेटर (पेशाब नली) 2 है। इसलिये आपकी पुत्री के यूरेटर का रिप्लांट करना पड़ेगा जिससे आपकी पुत्री की यूरीन इंफेक्शन की समस्या पूर्णतया समाप्त हो जाएगी और आपकी पुत्री पूर्णतया स्वस्थ हो जाएगी। तत्पश्चात में डॉ. अंकित मंगला से मिला और उन्हें भी अपनी पुत्री की जांचे बतायी तो उन्होने कहा कि आपकी पुत्री का यूरेटर रिप्लांट करना पड़ेगा और ब्लेडर का आकार भी सही करना पड़ेगा। इसके लिये आपको 25 दिन की दवाईया लेनी पडेगी जिससे की आपकी पुत्री का अवेडर मजबूत हो जायेगा और ऑपरेशन करवाने में सक्षम हो जायेगी। इसके पश्चात् मेरी पुत्री को डॉ. अंकित मंगला ने दिनाक 11.09.2024 को डिस्वार्ज कर 25 दिन की मेडिसन दे दी थी और में अपनी पुत्री को लेकर बीकानेर आ गया। यह कि दिनांक 12.09.2024 को मैं अपनी पुत्री को लेकर अपने घर बीकानेर आ गया। इसके पश्चात् मेरी पुत्री की तबीयत पुनः खराब हो गई और मेरी पुत्री को प्रतिदिन युरीन इंफेक्शन होने लगा और प्रतिदिन 103 डिग्री से ज्यादा बुखार होने लगा तो मैं अपनी पुत्री को पुनः दिनांक 14.09.2024 को अपनी पुत्री को लेकर मारवाह हॉस्पीटल में डॉ. गौरव गोम्बर के पास लेकर गया तो डॉ. गौरव गोम्बर ने मेरी पुत्री को भर्ती कर लिया ओर हॉप हॉस्पीटल के डॉ. अंकित मंगला से सलाह मश्चरा करके एटीबोयोटिक दवाईयां शुरू कर दी और यह सिलसिला करीब 20-25 दिन तक चलता रहा। इस दरमियान डॉ. गौरव गोम्बर मेरी पुत्री को भर्ती करते रहे और डिस्चार्ज करते रहे लेकिन मेरी पुत्री के यूरीन इंफेक्शन में कोई सुधार नहीं हुआ। तब गौरव गोम्बर ने मुझे कहा कि आपकी पुत्री के केनूला लगा हुआ है आप तुरंत इसे जयपुर लेकर जाओ और इसका तुरंत ऑपरेशन करवालो तभी आपकी पुत्री के यूरिन इंफेक्शन में सुधार होगा। यह कि तत्पश्चात में दिनांक 14.10.2024 को अपनी पुत्री को लेकर हॉप हॉस्पीटल गया और डॉ. अंकित मंगला से मिला तो उन्होनें मेरी पुत्री को भर्ती कर लिया, भर्ती करने के पश्चात लगातार 7 दिनों तक मेरी पुत्री को एंटिबायोटिक दवाईयां देते रहे और दिनांक 22.10.2024 को डॉ. प्रियंका मित्तल ने मेरी पुत्री का ऑपरेशन किया, उस वक्त मेरी पुत्री को यूरीन इंफेक्शन व 103 डिग्री बुखार था। मेरे द्वारा उक्त बात डॉ. प्रियंका मित्तल को बताने पर भी डॉ. प्रियंका मित्तल व डॉ. अंकित मंगला मेरी पुत्री को ऑपरेशन थियेटर ले गये, और मेरी पुत्री का ऑपरेशन किया जो करीब 4 घंटे तक चला था। यह कि ऑपरेशन के बाद मेरी बेटी को ICU में भेज दिया और उसे खून चढ़ाया गया, मेरी पुत्री के पेट पर 10-12 टांके लगे हुये थे व ऑपरेशन पश्चात मेरी पुत्री का जो X-RAY किया गया था वह X-RAY भुलवश हॉस्पीटल स्टॉफ ने मुझे सूपूर्व कर के चला गया तो मैंने एक्स रे को देखा तो उसमें मेरी पुत्री के पेट के अंदरूनी हिस्से में धागे ही धागे नजर आ रहे थे और एक स्टंट नजर आ रहा था तब में उक्त एक्स-रे लेकर डॉ. प्रियका मित्तल व हाँ अंकित मंगला के पास गया और उनसे मेरी पुत्री के लगे धागे के बारे में पुछा तो दोनों ने कहा कि आप की पुत्री के पेट को खोलने पर उसमें हमें कई समस्या नजर आयी तब हमने सभी समस्याओं का निस्तारण कर आपकी पुत्री के पेट में स्टंट डालकर 200 टांके लगाए हैं इससे कुछ ही दिनों में आपकी पुत्री पूर्णतया स्वस्थ हो जायेगी और इसके 45 दिनों पश्चात आपकी पुत्री के पेट में लगा स्टंट हटा दिया जायेगा। यह कि तत्पश्चात दिनांक 30.10.2024 को मेरी पुत्री के पेट के ऊपर लगे टांके खोलकर डिस्चार्ज कर 45 दिनों बाद वापस आने का कहा तब मैं अपनी पुत्री को लेकर घर आ गया। घर आने के पश्चात् मेरी पुत्री 4-5 दिनों तक सही रही, फिर उसे पुनः 106 डिग्री बुखार आ गया जिस पर मैं अपनी पुत्री को लेकर डॉ. गौरव गोम्बर के पास मारवाड अस्पताल ले गया। जहां डॉ. गौरव गोम्बर ने मेरी पुत्री को भर्ती कर लिया और डॉ. अंकित मंगला व डॉ प्रियंका मित्तल से सलाह मशविरा किया तथा डॉ. अकित मंगला ने कहा कि बच्ची के ऑपरेशन की बजह से बुखार की समस्या आ सकती है और वॉ गौरव गोम्बर को बच्ची को देने हेतु कुछ मेडिसिन की सलाह दी जिस पर डॉ. अंकित मंगला व डॉ. प्रियंका मित्तल के निर्देशानुसार डॉ गौरव गोम्बर ने मेरी पुत्री को लगातार 3-4 दिन तक दवाईयां देते रहे, जिससे मेरी पुत्री की हालत अत्याधिक बिगड गई और मेरी पुत्री के पुरे शरीर पर अत्याधिक सुजन आ गई तो मेरे द्वारा वॉ गौरव गोम्बर से पुछने पर उन्होंने कहा कि मेरी डॉ. अंकित मंगला से बात हो गई है, यह आपको आपकी पुत्री को लेकर जयपुर बुला रहे है और आपकी पुत्री का ईलाज अंकित मंगला द्वारा ही किया जायेगा।
परिवादी बताया कि तत्पश्चात में दिनांक 13.11.2024 को जयपुर हॉप हॉस्पीटल अपनी पुत्री को लेकर रात्रि 12 बजे पहुंचा जहां डॉ. अंकित मंगला के निर्देशानुसार हॉस्पीटल स्टॉफ ने मेरी पत्री को ICU में भर्ती कर लिया और मेरी पुत्री की कुछ जांचे करवाई और सुबह मेरी पुत्री को ICU से कॉटेज में शिफ्ट कर दिया गया और डॉ. अंकित मंगला व प्रिंयका मित्तल ने बताया कि आपकी पुत्री की सभी जांचे सामान्य है. आपकी पुत्री को मात्र टायफाईड है इसके लिये आपकी पुत्री को सामान्य टायफाईड व बुखार की दवाईयां दी जायेगी और फिर मेरी पुत्री के डॉ. प्रिंयका मित्तल ने के वेटर लगाकर दवाईया शुरू कर दी और लगातार चार दिनों तक मेरी पुत्री को दवाईयां देते रहे। दिनांक 18.11.2024 को मेरी पुत्री की रात्रि के समय बुखार आने पर उसे डॉ. अंकित मंगला के निर्देशानुसार दवाईयां दी गई जिससे मेरी पुत्री के उल्टियां शुरू हो गई, फिर मैं अपनी पुत्री को लेकर आईसीयू में गया जहां हॉस्पीटल स्टॉफ ने बच्ची को आईसीयू में रखा और मुझे कहा कि बच्ची को हम ईलाज हेतु आईसीयू में ही रखेंगे। तत्पश्चात करीब 3 घंटे बाद मैं आईसीयू में गया तो मेरी पुत्री के ऑक्सीजन पाईप व ईसीजी से सम्बंधित अन्य मशीने लगी हुई थी, तब मैंने आईसीयू में बैठे डॉक्टर से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हम जो कुछ कर रहे है यह डॉ. अंकित मंगला व प्रियंका मित्तल के निर्देशानुसार ही कर रहे है, आप सुबह उनसे बात कर सकते है। तत्पश्चात दिनांक 19.11.2024 को सुबह छः बजे मैं आईसीयू में गया और अपनी पुत्री को चाय व बिस्किट का नाश्ता करवाया तो मेरी पुत्री ने बताया कि मेरे पेट में दर्द है, तब मैंने आईसीयू में बैठे कम्पाउन्डर से अपनी पुत्री के पेट दर्द के बड़ा तो उसने डॉ. अंकित मंगला से बात की और एक इजेक्शन मेरी पुत्री को लगाया और मुझे आईसीयू में बाहर भेज दिया। यह कि करीब एक घंटे बाद मेरी पुत्री रोते हुये आईसीयू से बाहर आयी और मुझे आईसीयू रूम में लेकर गई तो मैंने देखा की मेरी पुत्री का पूरा शरीर नीना पड़ चुका था तो मैंने कम्पाउन्डर को मेरी पुत्री को दिये गये इंजेक्शन के बारे में पुछा तो कम्पाउन्डर ने कहा कि मैंने तो डॉ. अंकित मंगला ने जो कहा वहीं इंजेक्शन लगाया है तो मैंने इसके बाद डॉ. अंकित मंगला को कई बार फोन लगाया पर उन्होने मेरा फोन रिसीव नहीं किया, फिर मैंने डॉ. गौरव गौम्बर से इस संदर्भ में वार्तालाप की तो डॉ. गौरव गौम्बर ने कहा कि में डॉ अंकित मंगला से बात करके आप को बताता हूँ। इस दरमियान मेरी पुत्री की स्थिति अत्याधिक खराब हो गयी उस दरमियान हॉस्पीटल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. तब उसके करीब दो घंटे पश्चात डॉ. अंकित मंगला व प्रिंयका मित्तल आये और उन्होंने मेरी पुत्री को देखकर मुझे अपते केबिन में बुलाया, तब में मेरी पुत्री व मेरा भाई किसन, डॉ. अंकित मंगला के केबिन में गये जहां डॉ. अंकित मंगला व प्रिंयका मित्तल बैठे थे। हमारे जाते ही उक्त दोनों ने हमें डांटते व धमकाते हुये कहा कि आप अपनी पुत्री को हमारी हॉस्पीटल से ले जाओ, हमारे पास आपकी पुत्री का कोई इलाज नहीं है। तब मैने कहा कि इस क्रिटीकल स्थिति में में अपनी पुत्री को कहा लेकर जाऊ और आपके द्वारा दिये गये इंजेक्शन से मेरी पुत्री के पूरे शरीर में जहर फैल गया है और मेरी पुत्री का पुरा शरीर नीला पड़ चुका है, तब उपरोक्त दोनों डॉक्टर अत्याधिक आक्रोशित हो गये और उपहास करते हुये कहा कि आप अपनी पुत्री को अमेरीका ले जाओ, जहां उसका पुरा ईलाज हो जायेगा, हमारी हॉस्पीटल में आपकी पुत्री को कोई ईलाज नहीं है। तब में व मेरी पत्नी दोनों डॉक्टरों के सामने गिडगिडाते हुये व रोते हुये कहा कि हम अपनी पुत्री को अमेरीका ले जाकर इलाज कराने में असमर्थ है, तब उपरोक्त दोनों डाक्टरों ने कहा कि आप अपनी पुत्री को दिल्ली स्थित वेदांता हास्पीटल ले जाओ जहां आपकी पुत्री का ईलाज हो जायेगा। यह कि तत्पश्चात उक्त लोगों ने मेरी पुत्री का डिस्चार्ज कार्ड बनाया जिस पर उन्होंने लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस अंचित कर दिया तो मेरे द्वारा विरोध करने पर की मैं अपनी पुत्री को अपनी स्वेच्छा से लेकर नहीं जा रहा हूँ बल्कि आप मेरी पुत्री को बेहतर ईलाज के लिये रेफर कर रहे हो इसलिये डिस्वार्ज कॉर्ड पर लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस की जगह रेफर अंकित कर के मेरी पुत्री को डिस्चार्ज करे, इस.पर उक्त डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कॉर्ड फाडकर एक समरी बनाई जिसपर लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस अंकित कर दिया लेकिन उक्त समरी के अंदर उन्होनें मेरी पुत्री को रेफर करना अंकित बताया है। मेरी पुत्री का स्वास्थ्य अत्याधिक खराब होने के कारण उपरोक्त दोनों डॉक्टरों ने मेरे सामने डिस्चार्ज कॉर्ड जिस पर लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस अंकित था मेरा विरोध करने पर मेरे सामने काट दिया था लेकिन फिर भी उक्त दोनो डॉक्टरों ने मेरे साथ छल-कपट करके व अपना बचाव करते हुये समरी में भी लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस अंकित कर दिया था।
परिवादी बताया कि दिनांक 19.11.2024 को एंबुलेंस द्वारा अपनी पुत्री को दिल्ली वेदांता हॉस्पीटल लेकर गया जहां पर मेरी पुत्री को भर्ती करके कुछ जांचे करवाई गई और वेदांता हॉस्पीटल के डॉक्टरों द्वारा मुझे बताया गया कि आपकी पुत्री के शरीर में 24 घंटे पूर्व से ही एसिड बनना शुरू हो गया था इस बाबत आपकी पुत्री का हॉप हॉस्पीटल के डॉक्टरों द्वारा कोई इलाज नहीं किया गया और अत्याधिक स्थिति खराब होने के कारण मेरी पुत्री का दिनांक 20.11.2024 को सुबह 7 बजे वेदांता हॉस्पीटल, दिल्ली में देहांत हो गया और मैं अपनी पुत्री का डेडबॉडी लेकर अपने घर बीकानेर आ गया।
परिवादी बताया कि डॉक्टर गौरव गोम्बर, डॉ. अंकित मंगला, डॉ. प्रिंयका मित्तल ने आपस में एकराय होकर व आपस में सांठ-गांठ करके मुझ से रूपये हड़पने के कपटपूर्ण आशय से मेरी पुत्री को पूर्णतया स्वस्थ करने का झांसा देकर मेरी पुत्री को कई दिनों तक अपनी-अपनी अस्पतालों में भर्ती रखकर मुझ से लाखो रूपये हड़प किये है एंव मेरी पुत्री की स्थिति अत्याधिक खराब होने पर उपरोक्त सभी ने मिलकर मेरी पुत्री के यूरीन इंफेक्शन एंव अत्याधिक बुखार की स्थिति में मेरी अनुमति के बिना जबरदस्ती ऑपरेशन किया और मेरी पुत्री के पेट के अंदरूनी हिस्से में 200 टांके लगाये है और ऑपरेशन के पश्चात मेरी पुत्री की स्थिति अत्याधिक किटीकल होने पर उपरोक्त सभी ने आपस में सलाह-मशविरा कर के मेरी पुत्री को जहर का इंजेक्शन लगाया जिससे मेरी पुत्री का पुरा शरीर नीला पड़ गया और मेरे द्वारा इंजेक्शन के बारे में पुछने पर उपरोक्त सभी ने इंजेक्शन में बारे में मुझे बताने से इंकार कर दिया और मेरे द्वारा बिरोध करने पर उपरोक्त सभी डॉक्टरों ने एकराय होकर और आपस में सलाह-मशविरा कर के मेरी पुत्री को जबरदस्ती अपनी हॉस्पीटल से डिस्वार्ज कर दिया।
परिवादी बताया कि सभी डॉक्टरों की चिकित्लीय लापरवाही के कारण मेरी पुत्री का दिनांक 20.11.2024 को वेदांता हॉस्पीटल दिल्ली में देहांत हो गया है। यह कि उपरोक्त सभी ने मिलकर करीब दो माह तक मेरी पुत्री के इलाज में घोर लापरवाही का परिचय दिया है और मेरी पुत्री की सम्पूर्ण जांचे करवाने के पश्चात भी उपरोक्त सभी डॉक्टरों को मेरी पुत्री की बिमारी पकड में नहीं आयी फिर भी उपरोक्त सभी डॉक्टर मेरी पुत्री का ईलाज करते रहे और मेरी पुत्री के ईलाज में नये-नये फॉमूने प्रयोग करते रहे और अंत में मेरी पुत्री की स्थिति क्रिटिकल होने पर उपरोक्त सभी डॉक्टरों ने मिलकर व आपस में सलाह-मशविरा कर के मेरी पुत्री को जान से मारने के आशय से उसे जहर का इजेक्शन लगाया, जिससे मेरी पुत्री का पुरा शरीर नीला पड गया और उसकी मृत्यु हो गई।
परिवादी बताया कि सभी डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण मेरी पुत्री की मृत्यु हुई है। परिवादी बताया कि मैंने एक प्रार्थना पत्र मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी बीकानेर को आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने हेतु प्रस्तुत किया था। मेरे उक्त प्रार्थना पत्र पर मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी बीकानेर ने अपने आदेश क्रमांक 11628 दिनांक 07.02.2025 के द्वारा एक जांच कमेटी का गठन किया था, उक्त जांच कमेटी में डॉ. रमेश कुमार गुप्ता एंव डॉ. मुकेश जनागल शामिल थे।
परिवादी बताया कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी बीकानेर को प्रस्तुत की, जिसमें यह तथ्य आया की हैजल खत्री दिनांक 03.09.2024 को उच्चस्तरीय ईलाज हेतु डीएमएसए तथा मैकग की जांच करवाने हेतु कहा तथा बच्चों के किडनी रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करने की सलाह दी लेकिन जांच रिपोर्ट में यह तथ्य आया है कि डॉ. गौरव गोम्बर ने सही तथ्य छिपाकर जांच कमेटी के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किये है। सही तथ्य यह ही है कि डॉ. गौरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को डॉ. अंकित मंगला को दिखाने की सलाह दी गई थी। जो कि नेफ्रोलॉजिस्ट है जो कि बच्चों की किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं है और डॉ गौरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को ईलाज के लिये हॉप हॉस्पिटल जयपुर रैफर किया था। उपरोक्त सभी तथ्य गौरव गोम्बर ने जांच कमेटी के समक्ष झूठे बयान किये है। इससे भी बची हैजल खत्री के ईलाज में डॉ गौरव गोम्बर की गंभीर लापरवाही दर्शाती है।
परिवादी बताया कि 14.09.2024 को डॉ गोरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को पेशाब में संक्रमण होने के कारण भर्ती किया गया था तथा 14.09.2024 से 19.09.2024 तक ईलाज किया गया था और दिनांक 08.11.2024 को डॉ गोरव गोम्बर द्वारा 5 दिन तक लगातार हैजल खत्री को एंटीबायोटिक दी गई हैजल खत्री दिनांक 03.09.2024 को उ स्तरीय ईलाज हेतु DMSA तथा MCUG की जांच करवाने हेतु कहा तथा बच्चों के किडनी रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करने की सलाह दी लेकिन जांच रिपोर्ट में यह तथ्य आया है कि डॉ. गौरव गोम्बर ने सही तथ्य छिपाकर जांच कमेटी के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किये है। सही तथ्य यह ही है कि डॉ. गौरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को डॉ. अंकित मंगला को दिखाने की सलाह दी गई थी। जो कि नेफ्रोलॉजिस्ट है जो कि बज्ञों की किडनी रोग विशेषज्ञ नहीं है और डॉ गौरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को ईलाज के लिये हॉप हॉस्पिटल जयपुर रैफर किया था। उपरोक्त सभी तस्य गौरव गोम्बर ने जांच कमेटी के समक्ष झूठे बयान किये है। इससे भी बची हैजल खत्री के इलाज में कॉ सौरव गोम्बर की गंभीर लापरवाही दर्शाती है।
परिवादी बताया कि 14.09.2024 को डॉ गोरव गोम्बर द्वारा हैजल खत्री को पेशाब में संक्रमण होने के कारण भर्ती किया गया था तथा 14.09.2024 में 19.09.2024 तक ईलाज किया गया था और दिनांक 08.11.2024 को डॉ गोरव गोम्बर द्वारा 5 दिन तक लगातार हैजत बची को एंटीबायोटिक दी गई और हैजल खत्री के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर डॉ. गोरव गोम्बर द्वारा दिनांक 13.11.2024 को जयपुर रैफर कर दिया गया था जबकि डॉ. गोरव गोम्बर को यह भलीभांति जानकारी थी कि हैजन खत्री की सर्जरी पीडियाट्रिक यूरो सर्जन द्वारा हॉप हॉस्पिटल में इसकी सर्जरी की गई है, तो इसके बावजूद भी डॉ. गोरव गोम्बर ने विना किसी उचित कारण के हैजल खत्री को अपनी हॉस्पिटल में रखा। जहां पीडियाट्रिक पूरो सर्जन व बच्चों के लिये अलग से नर्सरी आईसीयू रूम की व्यवस्था नहीं है. इसके बावजूद भी डॉ. गोरख गोम्बर ने हैजल खत्री को समय पर जयपुर रैफर नहीं किया। डॉ. गोरव गोम्बर को यह भलीभांति जानकारी थी कि यह पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लीकेशन हो सकता है और हैजल के शरीर में सूजन भी आ गई। इसके लिये डॉ, गोरव गोम्बर को समय पर हैजल खत्री को रैफर करना था लेकिन हैजल खत्री को डॉ गोरख गोम्बर द्वारा समय पर उच्चस्तरीय ईलाज हेतु रैफर नहीं किया जाना भी उसके ईलाज में लापरवाही बरतने की श्रेणी में आता है।
परिवादी बताया कि हैजल खत्री की मृत्यु ऑपरेशन के बाद हुवे कॉम्प्लीकेशन के कारण हुई है। ऑपरेशन के बाद हैजल खत्री के क्रिएटेनीन तथा मूरिया बढ़ गई थी, अगर डॉ. गोरव गोम्बर द्वारा समय पर हैजल खत्री को उच्चस्तरीय ईलाज हेतु रैफर कर दिया जाता और समय पर हैजल खत्री का ऑपरेशन हो जाता तो हैजल खत्री की मृत्यु नहीं होती। उक्त तथ्य से भी डॉ गोरव गोम्बर की लापरवाही है। परिवादी बताया कि क्लीनिकल इस्टेबलिसमेंट एक्ट के तहत डॉ. गोरव गोम्बर को हैजल खत्री को ईलाज हेतु नजदीक के अस्पताल रैफर किया जाना था. लेकिन डॉ. गोरव गोम्बर ने हैजल खत्री को सम्भाग के सबसे बड़े चिकित्सालय पी.बी. एम. हेतु रैफर ना किया जाकर हॉप हॉस्पिटल जयपुर रैफर किया गया। इससे भी डॉ. गौरव गोम्बर की हैजल खत्री के ईलाज में लापरवाही दर्शाती है। परिवादी बताया कि उपरोक्त सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि बेबी हैजल खत्री की मृत्यु डॉ. गोरव गोम्बर, डॉ अंकित मंगला व डॉ प्रियंका मित्तल की ईलाज के दौरान की गई लापरवाही से हुई है। परिवादी की रिपोर्ट पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच एएसआई अशोक अदलान को सौंपी है।

