
कोरोना संक्रमित व्यक्ति या परिवार से ना बनायें भावनात्मक दूरी :- डॉ. अनंत राठी





बीकानेर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर भारतीय मनोचिकित्सा परिषद बीकानेर शाखा तथा योग प्रशिक्षण एवं प्रचार समिति बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में वृद्धजन भ्रमण पथ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा का विषय था कि कैसे कोरोना महामारी के समय में मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। डॉक्टर अनंत राठी, मनोचिकित्सक ऐवम नशामुक्ति विशेषज्ञ, बीकानेर ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी ने अमीर ग़रीब लगभग हर वर्ग के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाला है। लोगों के मन में अशांति, भय, अनिश्चितता या असहायता की भावना आ रही है। बहुत लोगों को तक़लीफ़ इतनी ज़्यादा है कि उन्हें स्वयं के अथवा किसी रिश्तेदार के घर से बाहर जाने पर डर लगने लगा है। ऐसी स्थिति को कोविड फोबिया कहा गया है। हाँ यह बात बिलकुल सत्य है कि सोशल डिस्टन्सिंग आज के समय में बहुत ज़रूरी है परंतु लोगों में इसके साथ साथ एक इमोशनल डिस्टन्सिंग अर्थात् भावनात्मक दूरी भी आने लगी है। मोहल्ले में अगर १०८ वाली ऐम्बुलेन्स रुकती है तो पड़ोसियों में यह चर्चा का विषय बन जाता है की आज कौन पॉज़िटिव आया है। संक्रमित व्यक्ति और उसके परिवार से सभी लोग इस क़दर दूरी बना लेते हैं कि जानें उस परिवार में किसी ने कोई अपराध कर दिया हो। कोई भी व्यक्ति ऐसे मुश्किल समय में उस परिवार की मदद के लिए पास नहीं आता बल्कि सोशल मीडिया उसके प्रति इस प्रकार संदेश प्रसारित करता है कि मानो वे अस्पताल नहीं वरन जेल गए हैं। डॉक्टर राठी ने बताया कि हमें इस महामारी को समझना होगा कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति और परिवार के प्रति सहानुभूति रखें, उनकी मदद करें और कोई दुष्प्रचार न करें। किसी भी प्रकार के तनाव,भय या डिप्रेशन की स्थिति में मनोचिकित्सक से परामर्श लें। तनाव के शारीरिक लक्षण जैसे कि सिर में दर्द, साँस फूलना, धड़कन बढ़ना, छाती में भारीपन लगना, बेचैनी और घबराहट रहना, पेट में पाचन ख़राब होना, एसिडिटि या गैस होना, नींद कम आना, डर लगे रहना, काम में मन ना लगना इत्यादि को समझें। घर में अगर पहले से ही कोई मनोरोगी है तो उसकी दवा का विशेष ध्यान रखें और समय समय पर मनोचिकित्सक से परामर्श लेते रहें।
इसी वार्ता में डॉक्टर कन्हैया लाल मनोचिकित्सक ऐवम नशामुक्ति विशेषज्ञ बीकानेर, ने सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए बताया कि कैसे सकारात्मकता हमारे शरीर में कोर्टिसोल नामक हॉर्मोन, जोकि तनाव के लिए उत्तरदायी होता है, को कम कर देती है। हमारे हँसने से शरीर में एंडोरफ़िन हॉर्मोन बनता है जिससे हमारे शरीर के सारे दर्द मिट जाते हैं। सकारात्मक सोच से हमारा ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम सही ढंग से काम करता है और हमारा ब्लड प्रेशर, शुगर और धड़कन इत्यादि सभी कंट्रोल रहते हैं। यही सकारात्मकता हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। इसी अवसर पर योग प्रशिक्षक श्री विनोद जी जोशी ने योग एवं प्राणायाम के फ़ायदों के बारे में विस्तार से समझाया। कार्यक्रम का समापन सभी ने अपने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए ज़ोर ज़ोर से ठहाके लगाने के साथ हुआ।


