
दिवाली विशेष : रसगुल्ला खाओ बिंदास, एक्सपर्ट डॉक्टर विनिता का कहना





– बीकानेर में एक लाख रसगुल्ले होते है तैयार, एक्सपर्ट डॉक्टर भी दे रहे इसे खाने की सलाह
– बीकानेर रसगुल्ले व भुजिया की बढ़ी डिमांड
खुलासा न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर शहर की देश और दुनिया में पहचान अन्य चीजों के अलावा रसगुल्ले, भुजिया और पापड़ के कारण भी है। बीकानेर में रसगुल्ला, भुजिया-पापड़ एग्रो फूड प्रोसेसिंग की छह सौ इकाइयां है। बीकानेर के करीब 60 हजार लोग इस उद्यम से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार पा रहे है। पश्चिमी राजस्थान का बीकानेर क्षेत्र पशुधन बहुल क्षेत्र है। इस इलाके में दूध का खाद्य प्रसंस्करण के रूप में उपयोग करने के लिए रसगुल्ले उद्योग चालू हुआ। छने की मिठाई के रूप में देश-दुनिया में बीकानेर के रसगुल्ले को चाव से खाया जाता है। दूध का नीबू के रस से ‘फाड़कर’ छेना बनाया जाता है। जो शुद्ध प्रोटीन होता है। रसगुल्ला सुपाच्य और शक्तिवध्र्दक होता है।
शारीरिक रूप से कमजोर बीमार को प्रोटीन की पूर्ति के लिए डाक्टर रसगुल्ला खाने की भी सलाह देते हैं। रसगुल्ला ऐसी मिठाई है जो निचोडऩे से बिना चीनी की हो जाती है। शुगर के बीमार भी रसगुल्ला निचोड़ कर सादे पानी में डुबोकर खा सकते हैं। पानी में डालने से यह मिठाई बिना चीनी की हो जाती है। रसगुल्ले के पैक डिब्बे देश के अन्य राज्य में बीकानेर रसगुल्ले के नाम से चलते हैं। वहीं विदेशों में भी बीकानेरी रसगुल्ले की मांग है। कोरोना के कहर में भी बीकानेर रसगुल्ले का स्वाद कम नहीं हुआ बल्कि प्रदेशभर में इसकी डिमांड बढ़ी है। बताया जाता है हर दिन करीबन एक लाख रसगुल्ले तैयार होते है।
एक्सपर्ट डॉ. विनिता चौधरी की सलाह
पीबीएम अस्पताल की गैस्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर विनिता चौधरी का कहना है कि त्योहार के मौके पर मावे की मिठाईयों में मिलावटखोरी ने लोगों के मुंह से जैसे स्वाद ही छीन लिया है। ऐसे में शुद्ध मिठाईयों की परख करना बड़ा मुश्किल होता है। जहां तक संभव हो सके तो घर पर मिठाई बनाकर ही खानी चाहिए फिर भी बाजार की मिठाई खानी हो तो इसमें रसगुल्ला ही श्रेष्ठ है क्योंकि इसमें मिलावट नाममात्र की हो सकती है। बात की जाए बीकानेर रसगुल्ले की तो इसका स्वाद ही अलग है। इस दिवाली को मिलावटी मिठाईयों की बजाय आप रसगुल्ले की मिठास से मुंह मीठा कर सकते है। यह सेहत के लिए श्रेष्ठ साबित होगा। सीएम गहलोत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग लगातार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत फैक्ट्रियों से सैम्पल वगैराहा ले रही है,यह सुखद बात है। यह अभियान लगातार जारी रहना चाहिए।

