क्षात्र पुरूषार्थ फाउंडेशन के उद्देश्यों व कार्ययोजना पर चर्चा की - Khulasa Online क्षात्र पुरूषार्थ फाउंडेशन के उद्देश्यों व कार्ययोजना पर चर्चा की - Khulasa Online

क्षात्र पुरूषार्थ फाउंडेशन के उद्देश्यों व कार्ययोजना पर चर्चा की

बीकानेर. श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के चौथे स्थापना दिवस के अवसर पर श्रीकरणी राजपूत छात्रावास नोखा में एक कार्यक्रम रखा गया। जिसमें फाउंडेशन के उद्देश्यों, गठन व अब तक की कार्य योजना पर चर्चा की। एसकेपीएफ की स्थापना 12 जनवरी 2019 को की गई राम सिंह चरकड़ा ने क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के बारे में बताते हुवे कहा की -समाज में सामाजिक भाव वाले युवाओं को सकारात्मक काम के लिए सयोजित कर क्षत्रिय युवक संघ की विचारधारा से परिचित करवाना। समाज में संवैधानिक मूल्यों के प्रति आदर भाव जागृत कर युवाओं में नकारात्मक भाव को समाप्त करना। समयानुकूल संवैधानिक साधनों एवं सरकारी योजनाओं के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करना, जरुरत मंद की सहायता करने के क्षात्र भाव को जागृत करना। राजनैतिक, प्रशासनिक, व्यवसायिक एवं अन्य क्षेत्रो में कार्यरत युवा नेतृत्व के बीच सम्पर्क, सामंजस्य एवं सहयोग बढाकर उन्हें समाज के लिए अधिकतम उपयोगी बनाना। अन्य समाजो के प्रति सम्मान भाव पैदा करना और सौहार्दपूर्ण सम्बन्धो को बढ़ाने के अवसरो का उपयोग करना। समाज के सम्भावनाशील युवा नेतृत्व को उभारना और आपस में परस्पर सहयोग करने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना एवं इस हेतू विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना ही फाउंडेशन के मुख्य उद्देश्य है।इस वर्ष की कार्यकारिणी के बारे में जानकारी दी । प्रताप सिंह पीपासर ने युवा दिवस एवं स्वामी विवेकानंद जी जयंती के अवसर पर उनके बताये मार्ग पर चलने के लिए युवाओं से आह्वान किया। आज युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद जी है उनकी जीवनी को पढ़े, मनन करे और भारतवर्ष को पुन: उस जाज्वलय इतिहास की तरफ अग्रसित करे। प्रान्त प्रमुख करणी सिंह भेलू ने कार्यक्रम का संचालन किया, और कहा कि यह संगठन श्री क्षत्रिय युवक संघ का आनुषागिक संगठन है इसलिए संघ के नेतृत्व से सदैव मार्गदर्शन लेकर कार्य करता रहता है। हमारे जीवन व्यवहार में वो सभी गुण दिखाई देने चाहिए जिसकी हम प्राय चर्चा करते है। क्षत्रिय युवक संघ एक संस्था नहीं है अपितु उपासना पद्धति है। संघ सम्पूर्ण जीवन दर्शन है, एक व्यथा है, संकल्प है, यज्ञ है, जिसे जीवन मे उतारा जा सकता है आचरण कर अंगीकार किया जा सकता है। शार्दुल सिंह दुलरासर, रिछपाल सिंह बगसेउ, लाल सिंह ढिंगसरी, मदन सिंह चिमाना आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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