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खुलासा पड़ताल : डॉक्टर प्रमिला खत्री का काला कारनामा, अवैध खेल के वजह सबूत आए सामने

– संपादक कुशालसिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज, बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े हॉस्पीटल पीबीएम में आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पीटल के डॉक्टर की प्राइवेट लैब से मिलीभगत सामने आई है। हॉस्पीटल में मुफ्त सुविधा होने के बावजूद ये चिकित्सक जांच व दवाई बाहर करवाने को मजबूर करते हैं। यह सारा खेल इतना चतुरई से खेला जाता है कि हर कोई समझ ही नहीं पाता है, लेकिन कई वजह सबूत जो छोड़ देते है। ऐसा ही एक मामला आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पीटल में कार्यरत डॉक्टर प्रमिला खत्री से जुड़ा सामने आया है। खुलासा न्यूज की पड़ताल में सामने आया कि आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पीटल में कार्यरत डॉक्टर प्रमिला खत्री जो कि मरीज को दवाई बाहर से प्राइवेट मेडिकल स्टोर से लेने के बाध्य करती है। इतना ही नहीं मरीजों को घर पर बुलाने के लिए मजबूर करती है। डॉक्टर प्रमिला की प्राइवेट लैब से मिलीभगत के वजह सबूत भी सामने आया है।

 

मजे की बात तो यह है कि सरकारी तनख्वाह लेने वाली डॉ. प्रमिला जो सरकारी दवाई डायरी पर ही एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाई लाने के लिए मरीज को बाध्य करती है। इसका वजह सबूत भी सामने आया है। वजह सबूत से स्पष्ट होता है कि यह प्राइवेट लैब से मिलीभगत है। पता चला है कि नागौर निवासी हेमाराम उम्र करीबन 70 वर्ष जो आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पीटल में इलाज लेने के लिए आता है तो यहां कार्यरत डॉ. प्रमिला जो सरकारी दवाई डायरी पर अंकित करती है कि इस हॉस्पीटल के बाहर कैम्पस में 13 नंबर प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाई ही लेना।

इसका दूसरा वजह सबूत से यह सामने आया कि डॉ. प्रमिला जो इसी मरीज को इसी तारीख को घर पर बुलाती है और यहां भी एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर जिसका नाम स्वास्तिक फार्मा जो मेडिकल कॉलेज के पास स्थित है, इससे दवाईयां लेने को मजबूर करती है। यह वजह सबूत जो अपने आप में प्रमाण करता है कि सरकारी तनख्वाह लेने वाले कैसे अवैध खेल करते है। अब देखने वाला विषय यह होगा कि इस अवैध खेल पर संभागीय आयुक्त नीरज के पवन क्या कार्यवाही करते है ? खुलासा न्यूज इस अवैध खेल को लगातार प्रकाशित कर रहा है। लोगों को संभागीय आयुक्त नीरज के पवन से काफी उम्मीदें है। अगर इस अवैध खेल को रोक पाए तो संभागीय आयुक्त की बड़ी कामयाबी होगी।

इनका कहना है…
यह सही बात है कि सरकारी हॉस्पीटल की ‘दवाई डायरी’ पर प्रावइेट मेडिकल स्टोर का नाम कतही अंकित नहीं करना चाहिए। यह दवाईयां अंदर नहीं मिली तो मरीज को समझाने के वास्ते यह नाम अंकित किया था। यह कहना गलत होगा कि मैं किसी भी मरीज को घर पर बुलाती हूं।
– डॉ. प्रमिला खत्री, आचार्य तुलसी कैंसर हॉस्पीटल, पीबीएम

सरकारी तनख्वाह लेने वाले सरकारी डॉक्टर मरीजों को प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेने के लिए मजबूर करते है, आप क्या मानते है, दीजिए हमें राय…   +91 76659 80000

वजह सबूत

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