डायबिटीज के मरीज को डॉक्टरों की सलाह पर ही स्टेरॉयड दिया जाए, लक्षण दिखें तो तुरंत इलाज कराएं

डायबिटीज के मरीज को डॉक्टरों की सलाह पर ही स्टेरॉयड दिया जाए, लक्षण दिखें तो तुरंत इलाज कराएं

कोरोना वायरस के साथ ही इन दिनों कुछ लोगों में एक और बीमारी का असर देखने को मिल रहा है, वह है ब्लैक फंगस। देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के केस सामने आए हैं। हालांकि, यह संक्रमण शुगर के मरीजों में ज्यादा देखा जा रहा है। इसी को लेकर दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने शुक्रवार को कई अहम जानकारियां दीं।

डॉ. गुलेरिया की तीन अहम बातें…

1. मरीज को स्टेरॉयड की हल्की डोज दें
ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर ही स्टेरॉयड दिया जाना चाहिए। साथ ही स्टेरॉयड की हल्की और मध्यम डोज ही मरीज को देनी चाहिए।

2. कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड इंजेक्शन की खपत बढ़ी
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में स्टेरॉयड इंजेक्शन की खपत बढ़ी है। इन दिनों देखा जा रहा है कि मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर इस इंजेक्शन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। स्टेरॉयड देने के बाद ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है।

3. स्टेरॉयड लेते हैं तो ब्लड शुगर चेक करते रहें
यदि कोई लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहा है, तो डायबिटीज जैसी समस्या आ सकती है। ऐसे में फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इस बीमारी में म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस बहुत सामान्य है। एस्परगिलोसिस जैसे फंगल संक्रमण भी हो सकते हैं। इसलिए स्टेरॉयड लेते हैं तो ब्लड शुगर चेक करते रहना चाहिए।

ब्लैक फंगस के लक्षणों को लेकर सतर्क रहें: डॉ. त्रेहन
ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने बताया कि नाक में दर्द / जकड़न, गाल पर सूजन, मुंह के अंदर फंगस पैच, आंख की पलक में सूजन, आंख में दर्द या रोशनी कम होना, चेहरे के किसी भाग पर सूजन है। अगर ऐसे लक्षण आते हैं, तो तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस को काबू करने का एक ही रास्ता है, स्टेरॉयड का विवेकपूर्ण उपयोग और मधुमेह का नियंत्रण। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि ब्लैक फंगस खासकर मिट्टी में मिलता है, जो लोग सेहतमंद होते हैं, उन पर ये हमला नहीं कर सकता है।

तीन महीने तक चल सकता है इलाज
डॉ. नरेश त्रेहन ने बताया कि यह भी नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद यह आंख तक पहुंचती है और तीसरे चरण में यह दिमाग पर अटैक करता है। इसके इलाज के लिए 4 से 6 हफ्ते तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं। कई गंभीर मामलों में तीन महीने तक इलाज चल सकता है।

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