
रात को भूलकर भी ना जलाए सिगड़ी, बंद कमरे में अंगीठी/ हीटर जलाने से बनती है जहरीली गैस,15 दिन में दम घुटने से 6 लोगो की मौतें






खुलासा न्यूज़। राजस्थान के कई जिलों में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में सर्दी से बचने के लिए लोग सिगड़ी (अंगीठी) का सहारा ले रहे हैं। लेकिन, यही अंगीठी पिछले 15 दिन में 6 लोगों की जान ले चुकी है। 12 जनवरी (रविवार) को दो अलग-अलग हादसों में 4 लोगों की मौत हो गई। एक्सपर्ट की मानें तो इससे शरीर को अंदरूनी गर्माहट तो मिलती है। लेकिन, जरा सी लापरवाही हुई तो यही अंगीठी मौत की वजह भी बन सकती है।
इस खबर में हम बात करेंगे कि अंगीठी या सिगड़ी जलाते समय कौन-सी सावधानियां बरतनी चाहिए। लगातार कई घंटे अंगीठी के संपर्क में रहने से शरीर को किस तरह के नुकसान होते हैं। अंगीठी से कौन-सी गैसें निकलती हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक होती हैं। इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है?
पहला मामला : सिगड़ी जलाकर सोए पिता-पुत्र और दोस्त की मौत
12 जनवरी को खैरथल-तिजारा के भिवाड़ी में कमरे में सिगड़ी (अंगीठी) जलाकर सोए पिता-पुत्र समेत 3 लोगों की मौत हो गई। रविवार दोपहर 3 बजे तक किसी के भी घर से बाहर नहीं निकलने पर परिजनों और पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़ा तो तीनों मृत मिले।
दूसरा मामला : अजमेर में कमरे में अंगीठी जलाकर सोने से श्रमिक की मौत
12 जनवरी को ही अजमेर जिले के किशनगढ़ से खबर आई कि कमरे में अंगीठी जलाकर सोए तीन श्रमिकों में से एक की मौत हो गई। जबकि 2 की हालत नाजुक बनी हुई है। कमरा अंदर से लॉक था और कटर की मदद से लोहे का दरवाजा काटकर उन्हें बाहर निकाला गया।
तीसरा मामला : कार में सिगड़ी जलाकर सोए दोस्त, CPR देकर बचाया
11 जनवरी को टोंक जिले के निवाई में सर्दी से बचने के लिए दो युवकों ने कार में सिगड़ी जलाकर गेट बंद कर लिए। ऑक्सीजन की कमी होने से दोनों बेहोश हो गए। शीशा तोड़कर गेट खोला गया, तो दोनों युवक अचेत अवस्था में पाए गए। पुलिस ने मौके पर ही CPR देकर बचाया और एंबुलेंस से हॉस्पिटल पहुंचाया।
चौथा मामला : रात को अंगीठी जलाकर सोए दंपती, सुबह मौत की खबर
29 दिसंबर 2024 को सुबह पाली शहर के रामलीला मैदान स्थित शहीद नगर में एक मकान के कमरे में दंपती के शव मिले। पुलिस कहना है कि वे कमरे में सिगड़ी जलाकर सो रहे थे। धुएं से दम घुटने से दोनों की मौत हो गई।
सवाल : इन सभी मामलों में कमरे में अंगीठी जलाने पर लोगों की मौत कैसे हुई?
जवाब: असल में अंगीठी जलाने या हीटर, ब्लोअर चलाने पर प्रॉपर वेंटिलेशन न होने पर कमरे में ऑक्सीजन कम होने लगती है। इंसान सांस लेता है, लेकिन शरीर में भी ऑक्सीजन की सप्लाई धीरे-धीरे कम होने लगती है।
डॉक्टर इस स्थिति को एस्फिंक्सिया कहते हैं। एस्फिंक्सिया दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे हिस्सों में ऑक्सीजन की सप्लाई को कम कर देता है।
जब दिल में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होती है तो दूसरे टिशू सही मात्रा में ब्लड पंप करना बंद कर देते हैं। इससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। बंद कमरे में बेहोश पड़े रहने या हार्ट अटैक आने पर व्यक्ति को तत्काल इलाज न मिलने पर उसकी मौत हो जाती है।
सवाल: अंगीठी जलाने से कौन-सी जहरीली गैस बनती है, जिससे मौत होने का खतरा होता है?
जवाब: अंगीठी जलाने के लिए लकड़ी या कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। जिसके जलने के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें रिलीज होती हैं।
कमरा बंद होने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का स्तर काफी बढ़ जाता है। ये गैस सांस के जरिए शरीर के अंदर जाती है। खून में मिल जाती है। खून में कार्बन मोनोऑक्साइड मिलने से शरीर में ऑक्सीजन कम हो जाती है। ये गैस फेफड़े-दिमाग पर असर डालती है, जिससे दम घुटने लगता है। दिमाग पर असर पड़ता है या हार्ट ब्लॉक हो सकता है। इससे इंसान बेहोश हो सकता है।
अगर काफी देर तक व्यक्ति उसी जगह पर रहता है तो खून में हीमोग्लोबिन कम होने लगता है। इससे व्यक्ति की मौत हो सकती है।

