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शहर में अपराधी हुए बेलगाम, पुलिस पस्त, जनता त्रस्त

बीकानेर। अपराधी मस्त, पुलिस पस्त, जनता त्रस्त, इन दिनों शहर समेत जिले के हालात ऐसे ही हैं। अपराधियों के जेहन से पुलिस का खौफ निकल चुका है। शहर में चोरों के हौसले इतने बुलन्द है कि शहर में आये दिन चोर चोरी करके आसानी से माल ले जाने में भी सफल हो गए।जानकारी के अनुसार अभी कुछ महिने पहले ही नयाशहर थाना क्षेत्र में चोरों ने हाथ साफ किया तो वहीं लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में बने दानपात्र को तोड़ दिये है। इससे पहले भी मंदिर व दुकानों में चोरों ने चोरी की वादातों को अंजाम दिया है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि चोरी की वारदातें लगातार हो रही है। लेकिन चोर पुलिस की पकड़ से दूर होते जा रहे है। वहीं शहर में अवैध शराब, जुआ-सट्टा, नशीले पदार्थों की बिक्री का मामला कोई नया नहीं है। यह सबकुछ पुलिस के संरक्षण में ही चल रहा है? इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि सालों से थानों में जमे पुलिसकर्मियों के कारण इन पर रोक नहीं लग पाती है। इससे अपराधियों को भी पूरा सहयोग मिलता है।
हर दिन बाइक चोरी
अगर देखा जाये तो पुलिस का ढर्रा पिछले कुछ समय से इतना खराब हो चुका है कि न तो निरीक्षण किया जाता है न सुधार की कोशिश की जाती है। आए दिन बाइक चोरी हो रही है। पुलिस सिर्फ रिपोर्ट दर्ज करने तक सीमित होकर रह गई है। यही कारण है कि बदमाश कार्रवाई नहीं होने के कारण दूसरे ही दिन वारदात को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं।पुलिस वाहन चोर पकड़ती है लेकिन कुछ समय बाद ही यह चोर छूट जाते है और फिर वहीं चोरी की वारदातों को अंजाम देते है। अगर कोई पुलिस नियंत्रण कक्ष में शिकायत भी करे तो संतोषजनक जवाब तक नहीं मिल पाता है। मुक्ताप्रसाद, रामपुरा इलाके में जुआ-सट्टा, अवैध शराब का कारोबार हो रहा है। इससे यहां एक गिरोह भी सक्रिय है। इनमें से ज्यादातर नशे के आदी है। यह रात को चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं। कुछ बदमाश जेल से जमानत पर हैं तो कुछ पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जानकारों ने बताया कि इन्हीं बदमाशों की ओर से ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है।
बिना नबंरी की गाडिय़ों की भरमार
अगर देखा जाये तो पूरे शहर में बिना नबंरी के वाहन चोर शहर की सडक़ों पर सरपट दौड़ते नजर आते है। लेकिन उनको रोकने वाला कोई नही है यातयात पुलिस व थाना पुलिस बस अपने इलाके में शाम को दो घंटे नाके पर खड़े होकर टारगेट पूरा करते नजर आते है।प्राय: पुलिस के आगे से बिना नंबर की गाडिय़ां निकलती है लेकिन पुलिस इनको नहीं रोकती है।
पुलिस के वजूद पर खड़ा हुआ सवाल
अपराधियों की सक्रियता के पीछे अब लोग पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ को वजह मानने के लिए मजबूर हो गए हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लोगों ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि पुलिस अपना वजूद और अस्तित्व सियासी कोठरी में गिरवी रख चुकी है। शायद यही वजह है कि वह खुल कर अपराधियों के गिरेबान को कस नहीं पा रही। क्योंकि घटनाओं को बेखौफ हो कर अंजाम देने वालों के सिर पर खाकी का ही हाथ होता है। दबी जुबान लोगों की मानें तो जिले में अपराध बेलगाम होने के पीछे यह एक बड़ी वजह है। अपराध गुनाह की फैलती टहनियों को काटने में पुलिस की नाकामी लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल बन चुकी है। इधर पखवाड़े भर से एकाध दिन छोड़ दिया जाए तो हर रोज अपराधियों ने घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस और कानून दोनों को चुनौती दी है।सोमवार को भी जिले के नोखा तहसील में एक दोस्त ने अपने ही दोस्त को मौत के घाट उतार दिया था।

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