नाथ सागर तालाब परिसर की आगौर में निर्माण कार्य पर न्यायालय ने दिये यथास्थिति के आदेश

नाथ सागर तालाब परिसर की आगौर में निर्माण कार्य पर न्यायालय ने दिये यथास्थिति के आदेश

खुलासा न्यूज बीकानेर। अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश संख्या 2 की पीठासीन अधिकारी जयश्री लमोरिया ने जनहितार्थ दावे में पक्षकारान को आगामी तारीख पेशी 08 दिसंबर 2023 तक यथास्थिति के आदेश प्रदान किये।
संक्षिप्त में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थीगण निशा शर्मा व गणेश शर्मा ने एक जनहितार्थ दावा नाथसागर तालाब परिसर, बीकानेर पर अवैध रूप से सामुदायिक हॉल व दो शौचालय व स्नानघर का निर्माण को रोका जाकर उन्हें अवैध घोषित किये जाने के लिये जनहित में दावा अपने अधिवक्ता निमिषा शर्मा एवं विष्णु के मार्फत न्यायालय में प्रस्तुत किया। जिस पर न्यायालय द्वारा प्रार्थीगण के अन्तरिम निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र पर सुना जाकर एवं प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए मौके पर दोनों पक्षकारान को आगामी आदेश तक विवादित स्थल पर मौके की यथास्थिति बनाये रखने के लिये पाबन्द किया तथा उक्त आदेश जवाब टीआई तक प्रभावी रखने हेतु आदेशित किया तथा मौके की यथास्थिति पत्रावली में वास्ते जवाब टी.आई. तक विवादित स्थल पर मौके की यथास्थिति बनाये रखने हेतु पाबन्द किया। चूंकि प्रार्थीगण ने अपने दावे के मार्फत यह तथ्य उजागर किये कि नाथसागर तालाब परिसर बीकानेर के नाम से कोई भूमि नहीं है विधायक कोटे से कार्य स्वीकृत करवाने वाली संस्था नाथ सागर तालाब परिसर, बीकानेर है जिसका कार्यस्थल नाथ सागर तालाब परिसर अपने आप में तालाब क्षेत्र है जिसमें निर्माण की अनुमति किसी भी हालत में नहीं दी जा सकती क्योंकि तालाब की आगौर खत्म हो जाती है जिससे वर्षा का पानी तालाब में एकत्रित होता है वहां पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य होने से वर्षा का पानी तालाब में एकत्रित नहीं हो सकता इसलिये तालाब की आगौर व गोचर भूमि में कभी भी किसी तरह का निर्माण नहीं होता और ना ही उक्त आगौर बाबत् कोई सार्वजनिक ट्रस्ट बना हुआ है। नाथ सागर तालाब परिसर बीकानेर का ऐतिहासिक तालाब है जो बीकानेर की धरोहर है जिसकी सुरक्षा करना बीकानेर के आम नागरिक का कर्तव्य है, कि तालाब हमेशा तालाब के रूप में ही रहे। विदित रहे कि पूर्व में उक्त तालाब में अमृत जलम योजना के तहत भी कार्य हुऐ है जिनसे तालाब की सुरक्षा की गई थी इसलिये ऐसे तालाब की आगौर पर किसी तरह का निर्माण होता है तो उसे इसी स्टेज पर रोकना अनिवार्य है वरना बीकानेर के ऐतिहासिक तालाब का मूल स्वरूप ही नष्ट हो जायेगा जबकि नाथ सागर तालाब परिसर बीकानेर के राजाओ-महाराजाओं द्वारा निर्मित है और ऐसे तालाब की भूमियों के पट्टे नहीं होते केवल मात्र राजाओं द्वारा ताम्रपत्र लिखे जाते है। पूर्व में भी भूमाफियों द्वारा नाथ सागर आगौर परिसर को अतिक्रमण करने के प्रयास के रोकथाम बाबत् एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय जोधपुर में विचाराधीन है तथा वर्तमान में भी कुछ भूमाफियों द्वारा मिथ्या व वेग तथ्यों पर आधारित तथ्यों से मिस्गाईड कर उक्त अवैध निर्माण की निविदा जारी करवाई गई जिसमें प्रार्थीगण द्वारा अपने अधिवक्ता निमिषा शर्मा के मार्फत उक्त जनहितार्थ दावा न्यायालय में पेश किया। जिस पर न्यायालय द्वारा विवादित स्थल की यथास्थिति के आदेश प्रदान किये।

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