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कांग्रेस जिलाध्यक्षों की सूची का काउंटडाउन शुरु, 40 जिलों में बदलाव संभव, 70 से 80 प्रतिशत नाम फाइनल

कांग्रेस जिलाध्यक्षों की सूची का काउंटडाउन शुरु, 40 जिलों में बदलाव संभव, 70 से 80 प्रतिशत नाम फाइनल
जयपुर। बिहार विधानसभा चुनाव और अंता उपचुनाव के परिणामों के ठीक बाद राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक उथल-पुथल की आहट तेज हो गई है। पार्टी के जिलाध्यक्षों की बहुप्रतीक्षित सूची जारी होने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उनकी टीम 15 नवंबर तक सूची जारी कर सकती है।
बताया जा रहा है कि राजस्थान के 50 जिलों में से करीब 80 प्रतिशत जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल हो चुके हैं, जबकि 40 जिलों में बदलाव की संभावना है। इससे पार्टी के भीतर दौड़ में शामिल विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व मंत्रियों, पूर्व सांसदों और युवा नेताओं की धडक़नें तेज हो गई हैं। सभी बेसब्री से अंतिम सूची का इंतजार कर रहे हैं।
3 दिन तक जिलाध्यक्षों के नामों पर मंथन
सूत्र बता रहे हैं कि बिहार चुनाव के दूसरे चरण के प्रचार थमने के साथ ही राहुल गांधी और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने एआईसीसी वार रूम में तीन दिन तक जिलाध्यक्षों के नामों पर मंथन किया। फाइनल सूची लगभग तैयार है, लेकिन अंतिम रूप देने से पहले दिग्गज नेताओं से राय ली जा रही है।
आधा दर्जन जिलों में फंसे पेंच भी सुलझा लिए गए हैं। चर्चा है कि राहुल गांधी आज या कल पीसीसी चीफ सहित प्रदेश नेताओं से वर्चुअल बैठक कर सकते हैं। इसके अलावा, चार राज्यों में पीसीसी चीफ बदलने की भी सुगबुगाहट है।
अगले 3-4 दिनों में आ सकती है सूची
संगठन सृजन अभियान के तहत पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राहुल गांधी ने 30 केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी। इन पर्यवेक्षकों ने 1 से 15 अक्टूबर तक जिलों में कार्यकर्ताओं और नेताओं से वन-टू-वन संवाद किया। 4 अक्टूबर तक रिपोर्ट तैयार कर आलाकमान को सौंपी गई। प्रत्येक जिले से 6-6 नामों का पैनल बनाया गया, जिसे पिछले महीने केसी वेणुगोपाल को सौंपा गया।
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को क्रॉस-चेक करने के बाद ही सूची जारी होगी। प्रदेश प्रभारी, पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष से भी जिलेवार नामों पर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। अगले 3-4 दिनों में या 15 नवंबर के बाद कभी भी 50 जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है।
किसी नेता की सिफारिश को प्राथमिकता नहीं
चयन प्रक्रिया में किसी नेता की सिफारिश को प्राथमिकता नहीं दी गई। पूरी तरह पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इससे संगठन में निष्पक्षता का संदेश गया है। सूची में 4-5 जिलों में महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाने की योजना है। अल्पसंख्यक और दलित वर्ग को साधने का प्रयास किया जा रहा है। जिन जिलों में लंबे समय से एक ही जाति के अध्यक्ष बनते आ रहे थे, वहां नए फॉर्मूले के तहत बदलाव देखने को मिल सकता है। सूची में कई चौंकाने वाले नाम शामिल होंगे, जो पार्टी के भीतर हलचल मचा सकते हैं।
संभावित नामों को लेकर चर्चाएं तेज
संभावित नामों को लेकर प्रदेश भर में चर्चाएं तेज हैं। जयपुर में पुष्पेंद्र भारद्वाज और सुनील शर्मा के नाम प्रमुखता से उभर रहे हैं। सीकर और झुंझुनू में महिलाओं को मौका मिलने की संभावना है। अजमेर और डीडवाना-कुचामन के लिए दिलचस्प समीकरण बने हैं। अगर अजमेर में नसीम अख्तर को कमान सौंपी जाती है, तो डीडवाना-कुचामन में चेतन डूडी जिलाध्यक्ष बन सकते हैं। वहीं, अगर अजमेर में विकास चौधरी को चुना जाता है, तो डीडवाना-कुचामन में जाकिर हुसैन गैसावत की ताजपोशी हो सकती है।

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