
बीकानेर शहर में हजारों रेंस्टोरेंटों को निगम करेंगे सीज, नहीं करवा रखा है रजिस्ट्रेशन





बीकानेर शहर में हजारों रेंस्टोरेंटों को निगम करेंगे सीज, नहीं करवा रखा है रजिस्ट्रेशन
बीकानेर। बीकानेर शहर में पिछले कुछ सालों से रेस्टोंरेंटो की बाड से आ गई है आजकल हर गली मौहल्ले रेस्टोंरेंट बना रखे है जहां पर दिन से लेकर तक ग्राहकों की भीड़ रहती है। लेकिन इनमें ज्यादात्तर के पास इसका रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। अगर देखा जाये तो शहर में करीब 1500 ऐसे प्रतिष्ठान है जहां खाने-पीने का साधन है। कुछ ने ऑफिसियल रेस्टोरेंट का रूप ले लिया तो कुछ पार्सल कर घर भेजते हैं लेकिन हैरानी ये कि इनमें से ज्यादातर के पास ट्रेड लाइसेंस नहीं है। 2017 के बाद सिर्फ 3 ही ट्रेड लाइसेंस बने। 2017 से पहले जो थे उनमें से सिर्फ 29 ने ही रिन्यू कराया है। नगर निगम अब अवैध रूप से संचालित सभी फूड प्वाइंट (खान-पान की दुकानों) को सीज करने की तैयारी में है।
दरअसल 2017 से पहले नियम अलग थे। तब ये नियम नहीं थे कि जोनल प्लान में चिन्हित व्यावसायिक इलाके में ही रेस्टोरेंट या व्यावसायिक गतिविधियां हो सकती हैं। कोई भी कहीं भी व्यावसायिक गतिविधि शुरू करके उसका ट्रेड लाइसेंस आसानी से बनवा लेता था। 2017 से पहले शहर में करीब 1000 ऐसे स्थान थे जहां खाने-पीने की सामग्री या रेस्टोरेंट थे। बावजूद इसके ट्रेड लाइसेंस सभी के पास नहीं था।
हैरानी की बात ये है कि अभी जब निगम ने इसे खंगालना शुरू किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। वो ये कि 1000 में से सिर्फ 29 ही ऐसे रेस्टोरेंट हैं जिन्होंने ट्रेड लाइसेंस को रिन्यू कराया। यानी बाकी सब का समय पार हो गया और अब वे अवैध की श्रेणी में आ गए। 2017 में नियम बदले। तय हुआ कि जहां जोनल प्लान में व्यावसायिक रोड या एरिया चिन्हित होगा वहीं इस तरह की व्यापारिक गतिविधियां हो सकती हैं लेकिन जयनारायण व्यास कॉलोनी, पवनपुरी, करणीनगर, बसंत विहार समेत शहर की तमाम कॉलोनियां हैं जहां भले ही एरिया रिहायशी हो लेकिन लोगों ने बिना ट्रेड लाइसेंस के व्यापारिक गतिविधियां शुरू कर दी।
निगम ने कुछ ही समय पहले चोरी से एक सर्वे कराकर सभी को सूचीबद्ध कर दिया। अब इनको पहले नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस के बाद जिन्होंने ट्रेड लाइसेंस नहीं लिया या रिन्यू नहीं कराया तो निगम अब उसे सीज करने की तैयारी में है।
जो व्यावसायिक इलाके में नहीं वे सीज ही होंगे
2017 के बाद नियम स्पष्ट आए कि जोनल प्लान में चिन्हित व्यावसायिक इलाके के अलावा कहीं भी कोई मनमर्जी से व्यापारिक गतिविधियां नहीं कर सकते। अगर कर भी लिया और वे अगर ये सोच रहे कि यहां का ट्रेड लाइसेंस बनवा लेंगे तो वो गलतफहमी में हैं। क्योंकि जोनल में प्लान में गैर कॉमर्शियल इलाके के कहीं कोई व्यापारिक गतिविधियां नहीं हो सकती। ना ही उनका ट्रेड लाइसेंस बन सकता क्योंकि जोनल प्लान में छेडछाड़ अब संभव नहीं। ऐसे में ऐसे प्रतिष्ठान सीज ही होंगे। निगम ने इसके लिए पुलिस इमदाद भी मांगी है।
सडक़ पर बिना हेलमेट पहने व्यक्ति के लिए पुलिस पर राजनीतिक दबाव आता है। हर छोटी छोटी जगह राजनीति हावी है तो क्या निगम इतनी बड़ी कार्रवाई कर पाएगा। ये बड़ा सवाल अब खड़ा हो गया है। निगम ने सर्वे करा लिया। नियमों से इतर रेस्टोरेंट चिन्हित हो गए। नोटिस भी जारी कर दिया फिर भी रेस्टोरेंट संचालित हो रहे हैं। अब काम बचा है सीजिंग का।
निगम तैयारी भी कर रहा है लेकिन सवाल ये उठ रहा कि क्या निगम इतनी बारीक राजनीति के बीच इतना बड़ा एक्शन ले सकता है। क्योंकि कुछ रेस्टोरेंट तो ऐसे हैं जिसमें पॉलिटिकल नेताओं का सीधा दखल है। कुछ के रिश्ते नेताओं से हैं। कुछ के लिए ब्यूरोक्रेसी बीच में आकर सिफारिश करेगी। ऐसे में अब लोगों की नजरें निगम के एक्शन पर हैं।

