
राज्य सरकार व जिला प्रशासन की छवि खराब कर रहे है निगम आयुक्त





बीकानेर। कोरोना संकट को लेकर जहां पूरा देश एकजुट होकर इस विपदा से निपटने के लिये लगा हुआ है। वहीं दूसरी ओर बीकानेर के नगर निगम आयुक्त डॉ खुशाल यादव राज्य सरकार व जिला प्रशासन की छवि को धूमिल करने में लगे हुए है। बताया जा रहा है निगम आयुक्त डॉ खुशाल यादव से न तो भाजपा बोर्ड के पार्षद खुश है और न ही सतापक्ष के पार्षद। ऐसे में बिना जनप्रतिनिधियों को साथ लिये एक ला चलो की नीति पर चल रहे निगम आयुक्त के कारण राज्य सरकार की जनता में थू थू हो रही है। जिसकी वजह से जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम के द्वारा कोरोना महामारी को लेकर जिले में किये जा रहे काम पर पानी फेर रहे है।
आखिर क्या है विवाद
जिला प्रशासन ने राहत सामग्री पहुंचाने के लिये निगम को एजेन्सी के तौर पर काम दिया है। किन्तु जिला कलक्टर के पास लगातार इस बात की शिकायतें पहुंच रही है कि निगम की वितरण व्यवस्था सही नहीं है। इस बात को लेकर सता व विपक्ष के पार्षदों ने निगम आयुक्त डॉ खुशाल यादव से मिलकर वार्ड वाइज क रवाएं गये सर्वे की लिस्ट मांगी। करीब डेढ दिन की मशक्कत और हंगामें के बाद केवल हंगामा करने वाले पार्षदों को ही लिस्ट उपलब्ध करवाई गई। इससे भी पार्षद सन्तुष्ट नहीं थे। इस बात को लेकर जिला कलक्टर के हस्तक्षेप के बाद भी विवाद अगले दिन तक बरकरार रहा। निगम अधिकारी की इस कार्यशैली के कारण निगम इस संकट में भी एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
सीएम की प्रधानमंत्री ने की थी वाहीवाही
इस महामारी में पूरे देश के राज्यों में हो रहे प्रबंधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम संबोधन के दौरान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ की थी। जो इस बात को इंगित करता है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल सदस्यों और प्रशासनिक अमले के साथ प्रदेश में कोरोना के हालात को नियंत्रण करने में लगे हुए है। परन्तु इस प्रकार के अधिकारी के कारण राज्य सरकार को जनता की खरी खोटी सुननी पड़ती है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदनहीनता करने वाले अधिकारियों पर पूर्व में भी गाज गिराई है।
बीकानेर मॉडल को लागू करने की बात कर चुके है गहलोत
उधर जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम की ओर से जिला स्तर पर किये जा रहे कार्य और उनके मैनेजमेंट की प्रशंसा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर चुके है और उनके द्वारा बीकानेर में अपनाएं गये मॉडल को राज्य में लागू करने की बात भी कही है। गौतम के इस प्रयास पर शहर का जिम्मेदार विभाग निगम पलीता लगाते दिख रहा है।
हमेशा रहा है विवादों
हमेशा ही किसी न किसी बात को लेकर विवादों में रहने वाले निगम प्रशासन के पास इस संकट के हालात में अपनी छवि को सुधारने का एक अवसर था। किन्तु संकट के शैशवकाल में ही अपनों के साथ समन्वय नहीं बैठाकर निगम प्रशासन ने यह साबित कर दिया कि वो अपनी इसी छवि के आधार पर जनता में पहचाना जाएगा। मंजर ये है कि निगम आयुक्त के इस रवैये के कारण न तो महापौर सुशीला कंवर खुश है न उपमहापौर राजेन्द्र पंवार। इतना ही नहीं सतापक्ष के पार्षद भी बार बार पार्षद से समन्वय नहीं रखने की शिकायत अपने प्रदेश नेतृत्व व मुख्यमंत्री को कर चुके है।
वर्जन
ऐसी स्थिति में सता व विपक्ष के सभी पार्षदों के साथ समन्वय रखकर निगम आयुक्त को काम करना चाहिए,क्योंकि एक वार्ड पार्षद ही अपने वार्ड एरिया को बेहतर समझ सकता है। आयुक्त को सरकार का जिम्मेदार प्रतिनिधि होने के नाते सभी पार्षदों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन वे ऐसा न कर पार्षदों को बेवजह ही नाराज कर रहे है। सुशीला कंवर राजुपरोहित महापौर
इनका कहना है
निगम आयुक्त जब से निगम में आएं है,अपने हठधर्मी रवैया अपनाएं हुए है। ऐसी विपदा में भी आयुक्त का रवैया निदंनीय है।
जावेद पडिहार,कांग्रेस पार्षद


