
कोरोना… कल के पल, संकट गहरा है बंधु





कोरोना वायरस का तांडव। गंभीर बात है। जीवन के प्रति। अगंभीर लोग इस आलेख को यहीं पढ़ना बंद कर इसे ठंडे बस्ते में डाल दें।
यह बात हमारे देश, राज्य, समाज और हमारे वर्ग के लिए अति महत्वपूर्ण है। हमें अपने, अपने बच्चों और अपने आसपास के लोगों के लिए कल का संघर्षमय दिन सहज-सरल बनाने के प्रयास आज और अभी से करने होंगे। वरना देर हो जाएगी।
न भूलें कि इतिहास में वित्तीय सुदृढ़ता की खुशफहमी बड़े-बड़े धन-कुबेरों को भी भारी पड़ चुकी है। आज, बड़े – बड़े देश, कारपोरेट तक तिजोरियां खंगालने की ओर प्रवृत होने को हैं। कारोबारी अपने खर्च कम करने के लिए सबसे पहले मानवश्रम को निशाने पर लेंगे। कल-कारखाने अपने वैभवी-ऋणों को चुकाने की जुगत में मजदूरी करने वाले हाथ गिनने लगेंगे। ऐसे में हम चाहे अभी किन्हीं भी परिस्थितियों में हों, प्रभावित हुए बिना न रहेंगे। ऐसा ही हमारे आसपास के लोगों के साथ होना है।
कोरोनावायरस के कारण जीवन की शैली और गति बाधाओं से घिर गई है। खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक-धार्मिक आचार व्यवहार, धनोपार्जन के तरीके, मकसद आदि सभी बदलता जा रहा है। लगभग तय है, भावी जीवन का रंगरूप पूर्ववतः नहीं हो सकता।
लॉकडाउन खुल गया तो… न खुला तो…। दोनों स्थितियां सामने हैं। कोरोना से बचाव और उपचार के लिए प्रभावी वैक्सीन आविष्कृत होने तक कोरोना से बचने का प्रयास करने में सफल क्षेत्रों में लॉकडाउन में छूट मिलती जाएगी और जो इलाके खुद को महफूज रखने की बजाय लॉकडाउन से पूर्व का जीवन जीने की कोशिश करेंगे वहां कोरोनावायरस पीड़ा पहुंचाता जाएगा, लॉकडाउन बढ़ाने के सिवाय कोई विकल्प ढूंढ़े न मिलेगा। ऐसे में हमें क्या घर में बैठ कर सोशल मीडिया पर हंसीठट्ठा करते हुए मैसेज ही फारवर्ड करने का जिम्मा मिला है ?
हम लोग कल के लिए जोड़ने में लगे रहे और सारी सीमाएं तोड़ते हुए जोड़ते ही रहे। आज सीमाएं जुड़ गई और हम सीमित होकर चारदीवारी में जुड़ गए। कहां गई कल के लिए जोड़ने की हमारी सोच ? उस सोच को परिमार्जित करो। उठो, बेहतर कल के लिए हौसला और दूरदृष्टि जोड़ो। अपनी जरूरतें छोटी से छोटी और कम से कम कर दो। अपने गांव, शहर में निर्मित और उत्पादित चीजों से ही जीवन चलाने का अभ्यास अभी से शुरू कर दो। आइए, जुड़ जाएं हम आज, कल के कठिन पलों को सरल बनाने के लिए। योजनाएं बनाएं, सोशल मीडिया के माध्यम से आपस में साझा कर, विचार मंथन कर बेहतर कल के लिए योजनाओं को क्रियान्वयन के स्तर तक लाया जाए। ताकि, लॉकडाउन खुलने पर हमें कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़े । और ऐसा कर दिखाने का जज्बा और हौसला हमारे देश, राज्य समाज व हमारे वर्ग में है।
-✍️ मोहन थानवी, स्वतंत्र पत्रकार /साहित्यकार


