
बीकानेर में कोरोना : हार्ट अटैक का बढ़ा खतरा, डॉ. स्वामी ने नई तकनीक से किया उपचार, देखें वीडियो






जिले में शहर हो या ग्रामीण अंचल। कोरोना हर जगह पर कहर बरपा रहा है। लगातार पॉजीटिव केसों में बढ़ोतरी हो रही है। चिंता की बात तो यह हे कोरोना ने कई जिंदगियों को छीन लिया है। मौत का बढ़ता ग्राफ देख हर कोई भयभीत है। कोरोना में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह अचानक ऐसे मरीजों की संख्या क्यों बढ़ी। इसका कारण एक्सपर्ट डॉक्टर बी.एल.स्वामी ने बताया है। आप भी वीडियो के माध्यम से इसे समझिए…
खुलासा न्यूज, बीकानेर। कोरोना से रिकवरी के बाद आये हार्ट अटैक के मरीजों का नई विधियों द्वारा उपचार किया। यह उपचार सादुल गंज पॉलिटेक्निकल कॉलेज के पास स्थित आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर में किया गया है। इस सम्बंध में सेंटर के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. बी.एल.स्वामी ने बताया कि कोरोना के बाद अब हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ गया है। जिसे अचानक कम उम्र के हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।जिसकी मुख्य वजह, कोरोना की वजह से धमनियों की झिल्ली में सूजन आना बताया है। ऐसे मरीजों में हार्ट अटैक के बाद बना थ्रोम्बस ज्यादा गाढ़ा होता है। जिससे हार्ट की नसों से थ्रोम्बोसक्शन कर निकालना काफी मुश्किल कार्य होता है। जिसे अब आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर की टीम ने पिछले दिनों में किए केसों में बड़े आकार का थ्रोम्बोसक्शन डिवाइस उपयोग में लिया है, साथ ही इंट्राकोरोनरी थ्रोम्बोलाइटीक (खून पतला करने की दवा) एवं अन्य दवाइयां कोरोनरी नस में दी जाती हैं। जिसे स्लोफलो कम होता है, साथ ही स्टंट डालने के बाद एन्टीकोयेगुलेशन दवा के उपयोग से स्टंट को बंद होने से बचाया जाता है। इस बार लॅाकडाउन के बाद इस हार्ट सेंटर ने पोस्ट कोविड मरीजों की इन विधियों से अनेकों मरीजों की जान बचाई है। जो कि इस महामारी के दौरान एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। क्योंकि अगर सही समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीजों की जान भी जा सकती है, साथ ही छाती में दर्द को पेट की गैस का दर्द समझ कर घर पर स्वयं उपचार नहीं लें। हार्ट के डॉक्टर से उचित सलाह के बाद ही दवा ले, क्योंकि हार्ट अटैक का विंडो पीरियड 2 घंटे होता है। उसके बाद अस्पताल पहुंचने पर हार्ट की दीवारें डैमेज हो जाती हैं। जिससे मरीज की जान भी जा सकती है एवं भविष्य में सांस फूलने की दिक्कत हो जाती है, क्योंकि ह्रदय का इजेक्शन फ्रेक्शन (पंपिंग) कम हो जाती है
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