
पतंग व्यवसाय पर कोरोना की मार, फीका दिख रहा है मकर संक्रांति का त्योहार






बीकानेर. भारत त्योहारों का देश है और हर त्योहार का अपना-अलग महत्व है. इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है- मकर संक्रांति. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो ज्योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस अवसर को देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग त्योहार के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार उत्तर भारत में हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. इसे पतंगों का त्योहार भी कहा जाता है।
रोजाना नीला नजर आने वाला आसमान इस दिन रंग-बिरंगी उड़ती पतंगों से भर जाता है लेकिन इस साल की मकर संक्रांति कुछ फीकी सी लग रही है, जहां स्थानीय बाजारों में रौनक कम है। पतंगों की दुकानों पर भी बिक्री कुछ खास नहीं है, पिछले सालों से कम है और इसका प्रमुख कारण कोरोनावायरस महामारी है।
इस तरह से कोविड-19 महामारी ने देश-दुनिया में हर इंसान, व्यवसाय को प्रभावित किया है। भारतीय पतंग उद्योग भी इससे अछुता नहीं रहा है. पतंग विक्रेता ने बताया कि इस साल व्यापार में लगभग 80 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है क्योंकि इस साल कोरोना महामारी और नई गाइडलाइन के चलते राति को 8 बजे से दुकाने बंद करनी हैं, जिसके कारण पतंग-मांझे और फिरकी की बिक्री पर इसका विपरीत असर पड़ा है. इस सुस्ती के कारण व्यापारियों में चिंता का माहौल है।


