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संविदाकर्मियों ने सरकार के खिलाफ खोल दिया मोर्च, पुराने अनुभव को सर्विस नियम में शामिल करे

जयपुर। राजस्थान के संविदा कर्मियों ने कॉन्ट्रैक्च्यूअल सर्विस रूल्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संविदा कर्मियों का कहना है कि सरकार ने सीनियरिटी की गणना को रूल्स में शामिल नहीं किया। जिससे पिछले कई सालों से काम कर रहे संविदा कर्मियों के साथ अन्याय हो रहा है। ऐसे में अगर सरकार सर्विस रूल्स में संशोधन कर संविदाकर्मियों की पुरानी सर्विस को काउंट नहीं किया। तो प्रदेशभर के संविदाकर्मी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
मनरेगा लेखा सहायक संघ के प्रदेश महासचिव अमृत शर्मा ने बताया कि सरकार ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है। कॉन्ट्रैक्च्यूअल सर्विस रूल्स में संविदाकर्मियों के पूर्व में किए गए काम को सर्विस रूल्स के साथ नहीं जोड़ा गया है। जिसकी वजह से सालों से काम कर रहे संविदाकर्मी को इसका सीधा नुक्सन उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अब हम एक बार फिर शांतिप्रिय तरीके से अपनी मांग रख रहे है। लेकिन सरकार अगर फिर भी नहीं जागी। तो हम सरकार के खिलाफ ही आंदोलन की शुरुवत करेंगे।
दरअसल, पिछले दिनों सरकार ने सरकारी विभागों में काम कर रहे 1 लाख 10 हजार से ज्यादा संविदाकर्मियों को नियमित करने का फैसला किया गया था। जिसमें शिक्षाकर्मी, पैराटीचर्स और ग्राम पंचायत सहायक को कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस रूल्स के दायरे में लेने का 21 अक्टूबर को ही फार्मूला तय किया था। जिसके तहत जिन संविदाकर्मियों का पहले का वेतन ज्यादा होगा। तो उन्हें मिलने वाले वेतन में दो सालाना इंक्रीमेंट जोडक़र नया वेतन तय किया करने का प्रावधान है।
वहीं संविदा पर शुरुआती वेतन 10 हजार 400 रुपए हर महीने तय होगा। ऐसे में 9 साल सर्विस पूरी करने पर 18 हजार 500 और 18 साल की सर्विस पूरी होने पर 32 हजार 300 रुपए का वेतन मिलेगा। इसके साथ ही जिन संविदा कर्मचारियों का पहले से मिलने वाला वेतन संरक्षित किया गया है। उनकी 9 और 18 साल की सर्विस की गिनती इन नियमों के आने की तारीख से होगी। पहले की सर्विस 9 और 18 साल की गिनती में शामिल नहीं होगी। जिसको लेकर संविदारकर्मी विरोध कर रहे है।

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