राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए करने होंगे सतत एवं सामूहिक प्रयास: कला एवं संस्कृति मंत्री - Khulasa Online राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए करने होंगे सतत एवं सामूहिक प्रयास: कला एवं संस्कृति मंत्री - Khulasa Online

राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता के लिए करने होंगे सतत एवं सामूहिक प्रयास: कला एवं संस्कृति मंत्री

 

बीकानेर। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी कल्ला ने कहा कि राजस्थानी, विश्व की समृद्धतम भाषाओं में शामिल है। इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता मिले, इसके मद्देनजर समन्वित और सतत प्रयास करने की जरूरत है।
डॉ. कल्ला शुक्रवार को सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से इटली के राजस्थानी शोधार्थी एल.पी. तेस्सीतोरी की 103वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित होने वाले सात दिवसीय कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एल.पी. तेस्सीतोरी ने राजस्थानी के शोधार्थी के रूप में जो कार्य किए, उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि तेस्सीतोरी की जन्मस्थली उदीने से उनका भावनात्मक रिश्ता है। उन्हें उदीने जाने का अवसर मिला।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि राजस्थान की विधानसभा में वर्ष 2003 में ही राजस्थानी भाषा की मान्यता का संकल्प पारित कर दिया गया। अब केंद्र सरकार द्वारा इसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। यह दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान ओपन बोर्ड की परीक्षा में राजस्थानी को शामिल किया जाएगा तथा सरकारी सीनियर सेकेंडरी विद्यालयों में आवश्यकता के अनुसार राजस्थानी संकाय प्रारंभ किए जाएंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने कहा कि अकादमी द्वारा राजस्थानी साहित्य से जुड़ी गतिविधियां सतत रूप से आयोजित की जाएगी। शीघ्र ही पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग और पुरस्कार की कार्ययोजना बनाई जाएगी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक महेंद्र खड़गावत थे। उन्होंने कहा कि गत चार वर्षों में राजस्थान की कला, संस्कृति के संवर्धन के क्षेत्र में अनेक कार्य हुए हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए शिक्षाविद मनोज बजाज ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से राजस्थानी भाषा और साहित्य की जानकारी जन-जन को हो सकेगी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए इंस्टीट्यूट के सचिव राजेंद्र जोशी ने बताया कि सात दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित साहित्य की प्रदर्शनी से हुआ है। उन्होंने 7 दिनों तक आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के बारे में बताया। एन डी रंगा ने आगंतुकों का आभार जताया।
इससे पहले प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए डॉ. कल्ला ने इंस्टीट्यूट के साहित्य का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित किया जाए। उन्होंने तेस्सीतोरी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर चंद्रशेखर जोशी, डॉ अजय जोशी, राजाराम स्वर्णकार ,डॉ मोहम्मद फारुख चौहान, हीरालाल हर्ष, ओमप्रकाश सारस्वत, योगेंद्र पुरोहित, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, डॉ. नमामी शंकर आचार्य, सुशील छंगाणी ,जुगल पुरोहित, अशफाक कादरी और जन्मेजय व्यास सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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