एक्सपर्ट पीयूष शंगारी से जानिए इक्विटी और कमोडिटी बाजार में अंतर और समानताएं

एक्सपर्ट पीयूष शंगारी से जानिए इक्विटी और कमोडिटी बाजार में अंतर और समानताएं

वित्त मामलों के एक्सपर्ट   पीयूष शंगारी से हम शेयर बाजार और वित्तीय निवेश के बारे में लगातार जानकारी लेते रहते हैं और उसे हमारे पाठकों तक निरंतर पहुंचाते रहते हैं। आज की इस कड़ी में हमारे संवाददाता को पीयूष जी ने शेयर बाजार के बारे में थोड़ी और जानकारी देते हुए इक्विटी ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग के बीच के फर्क को समझाने की कोशिश की है।

सबसे पहले पीयूष जी ने इक्विटी और कमोडिटी के बीच की आम चीजों के बारे में समझाना शुरू किया उन्होंने बताया कि यह दोनों ही विकल्प वित्तीय निवेश के लिए भारतीय बाजार में उपलब्ध विकल्पों में से एक हैं इक्विटी किसी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी के शेरों को बोलते हैं और जब बात कमोडिटी ट्रेडिंग की आती है तो हमारे लिए यह जानना जरूरी है की बाजार में बिकवाली या ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध किसी भी रो मटेरियल को कमोडिटी कहते हैं। कमोडिटी को फिजिकली भी यानी कि हाजिर में भी खरीद सकते हैं और कैश सेटलमेंट के माध्यम से भी।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीयूष जी ने कहना जारी रखा की फिजिकल रूप से या हाजिर में कमोडिटी को सिर्फ वही लोग खरीदते हैं जो सीधे तरीके से उससे जुड़े हुए होते हैं। उदाहरण के लिए अगर हम बात करें कि कोई किसान अगर गेहूं की खेती करता है तो वह उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमा सकता है। देखते हैं कैसे- मान लीजिए कि गेहूं की कीमत अभी ₹2000 प्रति क्विंटल चल रही है परंतु बाजार में एक ऐसा इंसान भी है जो यह कहता है कि मैं 3 महीने बाद गेहूं ₹2500 में खरीद लूंगा। इसका मतलब यह हुआ कि यह वर्तमान की कीमत से ऊपर का भाव है और अब किसी किसान की गेहूं की जो खेती है वह 3 महीने बाद तैयार होगी उसको डर है कि भविष्य में कीमत 2000 से नीचे भी जा सकती है, अगर भविष्य में कीमत नीचे जाती है तो किसान अपनी पैदावार को सुरक्षित कर सकता है। इसके लिए वह भविष्य में ₹2500 में खरीदने वाले व्यक्ति के पास जाकर अपनी कीमत को सुरक्षित कर सकता है और भविष्य में आने वाले कीमतों के उतार-चढ़ाव से बच सकता है। अब इसमें यह जोखिम भी है की कीमत अगर ₹25 से ऊपर चली गई तो किसान को बाजार भाव से कम दर पर ही अपना माल बेचना पड़ेगा परंतु कम से कम वह यह तो निश्चित कर पाएगा कि वह अपने उत्पादन को दो हजार से नीचे नहीं बेच रहा।

दूसरी तरफ अगर हम फिजिकल खरीद या हाजिर में खरीद से इतर बात करें, तो हम पाएंगे की कैश सेटेलमेंट के द्वारा कमोडिटी में अधिकतर खरीद निवेशकों द्वारा ही की जाती है। कमोडिटी की ट्रेडिंग में निवेशक स्पैक्यूलेशन के आधार पर ही लाभ बनाने की कोशिश करते हैं।

पीयूष जी बताते हैं कि इक्विटी और कमोडिटी दोनों के सौदे अथवा ट्रेडिंग अलग-अलग एक्सचेंज पर होते हैं। जहाँ इक्विटी के सौदे NSS, BSE, NYSE और Dow Jones पर होते हैं वहीं कमोडिटी के सौदों के लिए NCDEX, MCX जैसे एक्सचेंज उपलब्ध हैं।

कमोडिटी और इक्विटी के ट्रेडिंग मैकेनिजम में भी एक बड़ा अंतर है। इक्विटी का आप जितने लम्बे समय तक चाहो होल्ड करके रख सकते हो, परन्तु कमोडिटी के सौदे आमतौर पर फ्यूचर और फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट्स के द्वारा ट्रेड होते हैं। अतः इनकी एक्सपायरी डेट होती है। अब ऐसे में यह समझना बहुत बहुत जरूरी है कि किसी भी कंपनी का शेयर लेकर इक्विटी ट्रेडिंग के दौरान आप शेयर को जीवन भर तक होल्ड कर सकते हैं या जीवन में कभी भी उसकी खरीद बेच कर सकते हैं अथवा ट्रेडिंग कर सकते हैं। वहीं कमोडिटी में ऐसा नहीं होता हैम आमतौर पर कमोडिटी के सौदे अधिक लंबे समय तक नहीं चलते, क्योंकि कमोडिटी भी लंबे समय तक टिकने वाली वस्तु नहीं है। अतः हर कमोडिटी के फ्यूचर और फॉरवर्ड सौदों के कारण एक्सपायरी डेट होती है और एक निश्चित समय तक ही उसका सौदा बाजार में बना रहता है।

किसी निवेशक के तौर पर अगर देखा जाए तो हम पाएंगे की इक्विटी और कमोडिटी बाजार में दो अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करते हैं। जहां इक्विटी ट्रेडिंग किसी भी कंपनी में निवेश करके लंबे समय तक उसके शेयर के स्वामित्व को बनाए रखने में सहयोगी होता है और लंबे समय के निवेश और उसके बाद आने वाले लाभांश के उद्देश्य को पूरा करता है। वहीं कमोडिटी वाले बाजार में अल्प समय के लिए अल्पकालिक निवेश करके मुनाफा कमाने के उद्देश्य को ध्यान में रखा जाता है।

कमोडिटी बाजार में सौदे करने के तरीके की बात करें या उस प्रोसेस को जानें तो हम पाएंगे कि कमोडिटी बाजार के फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट्स किसी कमोडिटी की एक यूनिट (इकाई) को निर्दिष्ट करते हैं।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आप के आंकलन के अनुसार अगले 2 महीने में सोने के भाव ऊपर चढ़ने वाले हैं। अब आपको कमोडिटी एक्सचेंज में सोने में ट्रेड करने के लिए उसकी पूरी मात्रा को खरीदने की आवश्यकता नहीं है। अगर एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में 1 किलो सोने को कंट्रोल करने की क्षमता है, तो उसके लिए आपको पूरे 1 किलो सोने की कीमत चुकाने की कोई जरूरत नहीं। बल्कि उसके लिए आपको उसका एक छोटा सा हिस्सा ही चुकाना होगा। जब भी बाजार में उस फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का एक्सपायरी का दिन आएगा उस दिन उस सौदे का सेटलमेंट होगा। अगर आपने किसी फ्यूचर कांटेक्ट में सोने की कुछ मात्रा खरीद रखी है और अगर उसका भाव नीचे गिरता है, तो आपको उसकी कम होती कीमत के हिसाब से और पैसा बाजार में डालना होगा। इसी तरह से अगर उसकी कीमत बढ़ रही है तो वह जो भावों का अंतर है वह आपके मुनाफे को बढ़ाएगा।

विशेष रुप से समझाते हुए पीयूष जी कहा कि दोस्तों इस बाजार में ट्रेड करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है इसलिए यहां ट्रेड करते वक्त ध्यान देना आवश्यक रहता है क्योंकि अगर आपकी उम्मीद के खिलाफ मूल्यों में उतार-चढ़ाव होता है तो आप के सौदे में होने वाले घाटे के अंतर को कम करना मुश्किल हो सकता है।

इक्विटी मार्केट बहुत अलग तरीके से काम करता है। यहां विभिन्न व्यापारिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न वित्तीय साधनों को शामिल किया जाता है। इक्विटी में ट्रेड करने पर आप उक्त कंपनी की बैलेंस बैलेंस शीट को देख सकते हैं, उद्योगों के ऊपर विश्लेषण कर सकते हैं और उन आधारों पर आपको अपने निर्णय लेने होते हैं। इक्विटी में कंपनियों के लिए कुछ प्रकार के जोखिम उन उद्योगों के क्षेत्र से जुड़े हुए भी होते हैं। जबकि कमोडिटी ट्रेडिंग में जोखिम के कारक मौसम से लेकर भू राजनीतिक घटनाएं और अन्य मसले भी हो सकते हैं। हालांकि इक्विटी की तरह के जोखिम कारक कमोडिटी में अपेक्षाकृत भिन्न ही देखने को मिलते हैं।

कमोडिटी बाजारों में इक्विटी की तुलना में ज्यादा अस्थिरता होती है एवं तरलता भी कम होती है और यह सभी कार्य आपके जोखिम को बढ़ा देते हैं। तो यहां हमने आपको दोनों तरह के बाजारों का व्यापक अवलोकन करके बताया है अब निवेशक के तौर पर यह आपका चुनाव है कि आप कहां निवेश करना पसंद करते हैं।

Join Whatsapp
टी.एन.ज्वैलर्स हॉलमार्क ज्वैलरी शोरूम बाबूजी प्लाजा मो 800355555 जेवराती सोना 20 कैरट 101500 रेट , 22 कैरट 106500 चांदी 129500 |टी.एन.ज्वैलर्स हॉलमार्क ज्वैलरी शोरूम बाबूजी प्लाजा मो 800355555 जेवराती सोना 20 कैरट 101500 रेट , 22 कैरट 106500 चांदी 129500 |