
चुनाव से 2 महीने पहले कांग्रेस घोषित करेगी 100 उम्मीदवार? बागियों से निपटने का भी प्लान तैयार







जयपुर। दिल्ली में लंबी बैठकों का सिस्टम बंद होना चाहिए। दो महीने पहले टिकट फाइनल कर दें, जिसे टिकट मिलना है, उसे इशारा कर दें। वो लोग काम में लग जाएं। हमने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी कहा है, दो महीने पहले टिकट तय हो जाएं। जिन्हें टिकट मिलना है, वह दो महीने पहले ही तय हो जाएं।’
आखिर गहलोत क्यों चाहते हैं कि चुनाव से दो माह पहले टिकट तय हो जाएं? क्या इतनी जल्दी टिकट घोषित होने से कांग्रेस ज्यादा सीटें जीत सकती है? क्या पहले उम्मीदवार घोषित करने से टिकट से वंचित दावेदारों से बगावत का खतरा नहीं रहेगा? इस रिपोर्ट में जानते हैं आखिर गहलोत ने दो माह पहले टिकट तय करने का फॉर्मूला पार्टी के सामने क्यों रखा है?
राजस्थान में पहली बार ऐसा प्रयोग क्यों?
कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि ष्टरू गहलोत इस बार सरकार रिपीट के लिए हर वह फॉर्मूला आजमा रहे हैं, जो कांग्रेस को हर हाल में जीत दिला सके। वे लगातार सरकार रिपीट की बात कहकर खुद की पार्टी, आम जन और विरोधियों में यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे हैं कि इस बार कांग्रेस फिर से सत्ता में आ सकती है। कांग्रेस का मानना है कि ष्टरू के अलग-अलग जिलों में लगातार दौरे और राहत कैंपों में लगातार बढ़ रही लाभार्थियों की संख्या से यह नैरेटिव बनता भी जा रहा है।
ऐसे में गहलोत का मानना है कि अगर चुनाव से दो माह पहले टिकट घोषित कर दिए जाते हैं तो कांग्रेस उम्मीदवारों को फील्ड में प्रचार करने का पूरा मौका मिल जाएगा। साथ ही इस दौरान अगर टिकट घोषणा के बाद कहीं कोई बगावती तेवर उठते हैं तो समय रहते उनको भी साधा जा सकेगा। ऐसा अक्सर होता आया है कि चुनाव के ऐन वक्त टिकट घोषित होने से बगावत के हालात को रोकने में कांग्रेस कमजोर पड़ जाती है। पिछले चुनाव में भी कई सीटों पर ऐसा हो चुका है।
कर्नाटक में कामयाब रहा ये फॉर्मूला, अब राजस्थान में तैयारी
कांग्रेस ने हाल ही कर्नाटक में क्चछ्वक्क को सत्ता से बाहर करके सरकार बनाई है। कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनाव से करीब डेढ़ माह पहले अपने ज्यादातर उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। उम्मीदवारों की पहली और दूसरी सूची तो कांग्रेस ने चुनाव घोषणा होने से पहले ही जारी कर दी थी। कर्नाटक में 10 मई को मतदान होना था, जबकि कांग्रेस ने अपनी पहली सूची 17 मार्च को दिल्ली में मंजूर कर दी थी। सियासी दांवपेंच पर बेस्ड इस खबर में पढऩे के लिए आगे और भी बहुत कुछ है… पर उससे पहले नीचे दिए गए पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय देते चलिए।
पहली सूची कांग्रेस ने 25 मार्च को घोषित करके अपने 124 उम्मीदवार करीब डेढ़ माह पहले मैदान में उतारकर क्चछ्वक्क से रणनीतिक रूप से बढ़त हासिल कर ली थी। इसके बाद कांग्रेस ने 42 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी चुनाव घोषणा से पहले ही 6 अप्रैल को जारी कर दी।
गौरतलब है कि कर्नाटक में चुनाव आयोग की तरफ से 13 अप्रैल को चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी, जबकि कांग्रेस इससे पहले अपने 166 उम्मीदवार जनता के सामने पेश कर चुकी थी। बाकी उम्मीदवार भी चुनाव की घोषणा होने के दो-तीन दिन में कांग्रेस ने घोषित कर दिए थे। जबकि क्चछ्वक्क टिकट घोषित करने में देरी करने के कारण नुकसान में रही।
ने हालांकि चुनाव घोषणा के दो दिन पहले 11 अप्रैल को 189 उम्मीदवारों की घोषणा की, लेकिन तब तक कांग्रेस के उम्मीदवार फील्ड में पकड़ बनाकर क्चछ्वक्क से आगे निकल चुके थे। कांग्रेस के उम्मीदवारों को फील्ड में काम करने का भरपूर समय मिला और पहले दिन से ही कांग्रेस चुनाव प्रचार में क्चछ्वक्क से आगे निकल गई।


