आपको इससे बचना चाहिए था; इमरजेंसी के जिक्र से स्पीकर पर भड़की कांग्रेस, राष्ट्रपति से भी खफा

आपको इससे बचना चाहिए था; इमरजेंसी के जिक्र से स्पीकर पर भड़की कांग्रेस, राष्ट्रपति से भी खफा

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में इमरजेंसी का जिक्र करना और उसे काला दिन बताना कांग्रेस को रास नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किए गए इमरजेंसी के संदर्भ पर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है और इसे संसदीय परंपराओं का मजाक बताया है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया। मगर अपने संबोधन में उन्होंने इमरजेंसी को भारत के इतिहास में काला दिन भी कहा। लोकसभा में इसके लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया।

कांग्रेस ने जताई आपत्ति
गुरुवार को, बिरला द्वारा राहुल गांधी को औपचारिक रूप से विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद, गांधी और विपक्षी नेताओं के एक समूह ने बिरला से मुलाकात की और बातचीत के दौरान उन्हें बताया गया कि इसे (इमरजेंसी) चर्चा करने से बचा जा सकता था। इस बारे में बोलते हुए कांग्रेस महासचिव और लोकसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, “हमने संसद के बारे में कई मुद्दों पर चर्चा की। विपक्ष के नेता राहुल जी ने उन्हें (बिरला को) सूचित किया कि यह एक राजनीतिक संदर्भ था और इससे बचा जा सकता था।”

कुछ देर बाद वेणुगोपाल ने बिरला को खत लिखा जिसमें उन्होंने कहा, “मैं यह पत्र संसद की संस्था की विश्वसनीयता पर प्रभाव डालने वाले एक बहुत ही गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। कल यानी 26 जून, 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देने के समय, सदन में सामान्य सौहार्द था।” उन्होंने कहा, “हालांकि, उसके बाद आधी सदी पहले इमरजेंसी की घोषणा के संबंध में आपका भाषण बेहद चौंकाने वाला है।”

सभापति को ऐसे बयान नहीं देना चाहिए: वेणुगोपाल
वेणुगोपाल ने आगे लिखा, “सभापति की ओर से इस तरह का राजनीतिक संदर्भ देना संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है। एक नव-निर्वाचित अध्यक्ष द्वारा इस तरह के संदर्भ का जिक्र करना और भाषण देना और भी गंभीर है। मैं राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करता हूं।”

राष्ट्रपति के अभिभाषण से भी खफा कांग्रेस
कांग्रेस राष्ट्रपति के अभिभाषण से भी खफा नजर आई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर कहा कि कोई भी सरकार राष्ट्रपति के अभिभाषण में ऐसे राजनीतिक मामलों को नहीं डाल सकती है। खरगे ने एक्स पर लिखा, “मोदी सरकार द्वारा लिखित राष्ट्रपति के अभिभाषण को ऐसा लगा जैसे मोदी जी जनादेश को नकारने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।”

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