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कांग्रेस ने श्रीडूंगरगढ़ सीट को फिर किया होल्ड, बीकानेर पूर्व में पुराना वादा पूरा, लूनकरणसर में नए चेहरे पर भरोसा

खुलासा न्यूज, बीकानेर। कांग्रेस ने आज अपने 56 प्रत्याशियों के साथ चौथी लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें बीकानेर से बीकानेर पूर्व में कांग्रेस शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत को टिकट दिया है। वहीं, लूणकरणसर में वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र बेनीवाल का टिकट काटकर युवा नेता राजेन्द्र मूण्ड पर पार्टी ने भरोसा जताया है। लेकिन श्रीडूंगरगढ़ में पार्टी ने अब भी प्रत्याशी को इंतजार बरकरार रखा है। यहां पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में इस संभावना को भी हवा दी जा रही है कि यहां कांग्रेस माक्र्सवादी पार्टी के प्रत्याशी गिरधारी महिया के साथ गठबंधन कर पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी। वहीं दूसरी बात यह भी सामने आ रही है कि पार्टी की अभी एक और सूची जारी होगी, जिसमें श्रीडूंगरगढ़ से प्रत्याशी का नाम सामने आ सकता है। हालांकि संभावना महिया के साथ गठबंधन की अधिक बन रही है।

वहीं, बीकानेर पूर्व की बात करें तो यहां पार्टी बहुत पहले तय कर चुकी थी कि यहां पार्टी अपना 2018 के विधानसभा चुनाव में किये वादे को पूरा करेगी। हुआ वहीं, पार्टी ने कांग्रेस शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत को टिकट दिया। जिनको 2018 में बीकानेर पश्चिम व पूर्व दोनों विधानसभाओं से टिकट मिला, लेकिन तुरंत ही टिकट वापस ले ली गई। उसके शहर में यशपाल गहलोत के समर्थकों ने विरोध किया, जगह-जगह आगजनी हुई। जिसको देखते हुए पार्टी ने यशपाल गहलोत को युआईटी चेयरमैन बनाने की बात कही। लेकिन पार्टी इस वादे को पूरा नहीं कर सकी। इस स्थिति में पार्टी आलाकमान ने यशपाल से विधानसभा चुनाव में टिकट दिए जाने की बात कही। जो आज पार्टी बकायदा पूरी भी की।

इसी तरह, लूनकरणसर में पार्टी ने युवा चेहरे राजेन्द्र मूंड पर भरोसा जताया है। यहां से वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल का टिकट काटा गया है। ऐसा इसलिए किया गया है कि बेनीवाल पिछला चुनाव हार चुके है और पिछले पांच में उतने सक्रिय नहीं दिखे जितने मूण्ड नजर आए। मूण्ड को टिकट मिलने के पीछे मूण्ड का यह पक्ष काफी मजबूत था कि उन्होंने पिछले पांच में क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए राजनीति की। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी घूमे और अपनी पहचान बनाई। खूब मेहनत की, जिसका परिणाम आज यह रहा कि पार्टी ने बेनीवाल का टिकट काट मूंड को दिया। हालांकि यहां पार्टी के इस फैसले से विरोध जरूर होगा। अब देखने वाला विषय यह होगा कि इस विरोध से पार्टी को कितना नुकसान होता है।

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