
एमजीएसयू में दिया तले अंधेरे जैसे हालात





खुलासा न्यूज,बीकानेर। लंबे संघर्ष के बाद बीकानेर में महाराजा गंगासिंह विवि की स्थापना हुई। आमजन व विद्यार्थियों को इस बात की उम्मीद बंधी की अब शायद उच्च शिक्षा का स्तर संभाग में सुधरेगा। इन उम्मीदों को तब ओर पंख लग गये। जब कांग्रेस सरकार के गठन पर उच्च शिक्षा मंत्री बीकानेर से बने। लेकिन अब संभागवासियों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। मंजर यह है कि बीकानेर संभाग में उच्च शिक्षा के हाल बद से बदतर है। विश्वविद्यालय के ऐसे हाल हैं कि बयां करते ही शर्म आती है। इस एक विश्वविद्यालय की व्यवस्था के आकलन मात्र से ही पूरे मंत्रालय की तस्वीर साफ हो जाएगी। विवि में फैली अव्यवस्थाएं इस बात को बयां कर रही है कि जिले का उच्च शिक्षा मंत्री फिर एमजीएसयू में दीपक तले अंधेरा। उच्च शिक्षण संस्थानों को खोलने का उद्देश्य शोध और शिक्षण को महत्व देना है। यह सब कितना हो पा रहा है बताने की जरूरत नहीं है। पूरा विश्वविद्यालय शिक्षा की बजाय सियासत का हब बन चुका है। खुद कुलपति ने संविदाकर्मियों की जानकारी ली थी। अंदरखाने की बात तो यह है कि कुलपति ने अपने दो चेहतों को संविदा पर नौकरी लगाने के लिये न केवल दो कार्मिकों के नौकरी की आहुति दे डाली। बल्कि यहां के कार्मिकों को वेतन के लिये भी डेढ़ महीने का इंतजार करना पड़ा।
महज दिखावें के खुल रहे है संकाय,रिक्त पदों पर भी नहीं हो रही नियुक्तियां
मजे की बात तो यह है कि विवि में नये संकाय की स्वीकृति तो सरकार स्तर पर दे दी गई है। लेकिन इन संकायों में न तो नियुक्तियां हुई है और न ही न ही इन्हें चालू करने की प्राथमिकता तय है।
विश्वविद्यालय में ड्रॉइंग पेटिंग्स, भूगोल, कॉमर्स मैनेजमेंट को मंज़ूरी मिली है। इन संकायों में नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई है और विधि संकाय की मान्यता मिल चुकी है। इस विभाग के लिए 11 पद भी स्वीकृति है पर भरे नहीं गए हैं। पहले से स्वीकृत पांच विभाग अंग्रेजी, इतिहास, पर्यावरण विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस,माइक्रो बायोलॉजी में कमोबेश आधे पद रिक्त है। स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमंों की तो हास्यास्पद स्थिति बनी हुई है। इनमें शिक्षक ही नहीं है। इतना ही नहीं कमोबेश 50 संविदा कर्मी लगे हैं और इससे ज्यादा की स्वीकृति और ली है। ये भी नियुक्तियां की जानी है। विवि की स्थिति यह है कि चार साल पहले विवि की ओर से रिक्त पड़े पदों के लिये सशुल्क आवेदन लिये थे। जिन पर भी हजारों युवाओं ने आवेदन किये। इनका भी निस्तारण आज तक नहीं हो पाया है। ऐसे में लगता है कि महाराज गंगासिंह विवि केवल परीक्षाएं करवाने और परिणाम घोषित करने का केन्द्र बिन्दु बन गया है।
कुलपति करते है अनावश्यक हस्तक्षेप
जानकारी मिली है कि यहां जो भी कुलपति बनकर आसीन होता है,उनका हर कार्य में अनावश्यक हस्तक्षेप रहता है। यहां आने वाले कुलपति अपने चेहतों को विवि में सैट करने के अलावा संविदा पर लगे कार्मिकों को परेशान करने का काम करते आएं है। जिनकी शिकायतें भी मंत्री व राज्य सरकार स्तर पर हो चुकी है। किन्तु शिकायतों का निस्तारण न होना भी कमजोर नेतृत्व की ओर इशारा करते है।


