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आचार्य सम्मेलन का समापन, सामाजिक परिवर्तन के पंच प्रण को पूरा करने का किया आह्वान

खुलासा न्यूज, बीकानेर। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान से सम्बद्ध आदर्श शिक्षण संस्थान, बीकानेर की ओर से संचालित आदर्श विद्या मंदिरों के बीकानेर जिला आचार्य सम्मेलन 2024 का समापन सोमवार को आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक नोखा में किया गया। प्रबन्ध प्रमुख आशीष डागा ने बताया कि समापन सत्र में आरएसएस बीकानेर विभाग संघ चालक टेकचंद बरडिय़ा, जिला समिति संरक्षक शिवनारायण झंवर, आनंदीलाल बजाज, जिला मंत्री अमोलकराम ज्याणी, क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख राजकुमार बंसल, सह व्यवस्थापक मुरली मनोहर मोहता, कोषाध्यक्ष अनिल जैन, शिवनारायण बिश्नोई, दुर्गाराम जाट, ओम प्रकाश बिश्नोई, रामसुखलाल प्रजापत, सुनील भार्गव, दिनेश भार्गव उपस्थित रहे। तीन दिवसीय चलने वाले इस आचार्य सम्मेलन का वृत्त जिला प्रवासी मूलचंद सारस्वत ने प्रस्तुत किया। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में भारत माता पूजन, गतिविधि आधारित शिक्षण एवं सभी विषयों में शिक्षण प्रशिक्षण, सुलेख, स्पोकन इंग्लिश, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सीखने के प्रतिफल, विद्या भारती अभिनव पंचपदी सहायक सामग्री आधारित शिक्षण कार्य जिसमें विज्ञान, गणित, आंग्ल, संस्कृत हिन्दी व सा. विज्ञान विषय व गतिविधि आधारित शिक्षण का प्रशिक्षण दिया गया। सम्मेलन में चर्चा सत्र में सहशैक्षणिक दायित्वों, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण में हमारी भूमिका, पांच आधारभूत विषयों शिक्षण प्रशिक्षण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सीखने के परिणाम,21 वीं सदी के कौशल आदि विषयों पर हुई। विभिन्न प्रकार की बैटरी टेस्ट का भी आयोजन हुआ।

आरएसएस बीकानेर विभाग संघ चालक टेकचंद बरडिय़ा ने कहा देशभक्ति सिर्फ विचार-विमर्श का विषय नहीं है, यह आचरण का विषय है। व्यक्ति के आचरण में जब देश हित का भाव निहित होगा, तब देशभक्ति के आचरण से ओतप्रोत समाज का निर्माण होगा और आज समाज में इसी आचरण की आवश्यकता है। सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को केंद्रित रखना है। इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि समाज में विभेद के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना तथा समरसता के लिए निरंतर प्रयास करना हम सभी का लक्ष्य है। अस्पृश्यता समाज के लिए कलंक है। हम इसे सामाजिक समरसता के जरिये मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कचरा प्रबंधन कर अपने परिवेश में कूड़ा न फैलाए, प्लास्टिक का उपयोग न करें और अपने जल स्रोतों को साफ-सुथरा रखें। ज्यादा से ज्यादा फलदार पेड़ लगाए। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दिया जा सकता है। कुटुंब ही आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इकाई है। । व्यक्ति को सबसे पहले संस्कार अपने परिवार से ही मिलते हैं। समाज को सुसंस्कृत, चरित्रवान, राष्ट्र के प्रति समर्पित और अनुशासित बनाने में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए हमे अपने परिवारों को भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणाओं से जोड़कर समाज को सशक्त बनाया जाए। कुटुंब प्रबोधन के जरिए हमे समाज के विभिन्न परिवारों के बीच बेहतर तालमेल, परस्पर सहयोग और सौहार्द कायम करने का प्रयास करे, जिससे समाज और देश मजबूत बन सके। समाज में स्व के प्रति स्वाभिमान शून्यता एवं पश्चिम के अंधानुकरण के लिए एवं समाज के लिए खतरनाक स्व संस्कृति, स्व वेशभूषा, स्वभाषा एवं स्व परंपराओं पर गौरव का भाव भावी पीढ़ी में जागृत करने की आवश्यकता है। किसी देश का समुचित विकास तभी संभव हो पाता है, जब उसके नागरिकों में नागरिक कर्तव्य का बोध हो एवं उसके पालन के प्रति हम कठोरता से पालन करें। वर्तमान की शिक्षा पद्धति में संस्कारों का अभाव है। आज की शिक्षा समाज से जुडऩे वाली होनी चाहिए। शिक्षा समाज का विषय है। समाज को सक्रिय करने में पञ्च प्राण का महत्त्व है। पञ्च प्राणों में आचार्य, छात्र, पूर्व छात्र, अभिभावक एवं प्रबंध समिति शामिल हैं। छात्र की पृष्ठभूमि, वातावरण और उसकी रुचि को देखकर ही कार्य देना चाहिए। हमें नई शिक्षा नीति के अनुसार अपना विद्या मंदिर बनाना है ताकि समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत हो सके। यह दायित्व मात्र सरकार का ही नहीं, बल्कि हम सबका भी है। यह शिक्षा नीति बहुत ही शानदार और अपने लक्ष्य के निकट है। परन्तु यदि इसका क्रियान्वयन ठीक प्रकार से हो। अत: हम सभी को इसको लागू करने और करवाने के लिए अपनी कमर कसकर जुट जाना चाहिए। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन जिला मंत्री अमोलक राम ज्याणी ने रखा। आचार्य सम्मेलन के दौरान आने वाले विषयों और विद्या भारती उद्देश्य को लेकर चलने वाली पाठ्य पुस्तकों से परीक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें आदर्श विद्या मन्दिर के आचार्य राजेश स्वामी, सांवरदान चारण, नरसीराम लखारा, मुरलीराम शर्मा, जस्सूराम, नथूसिंह राठौड़ ने स्थान प्राप्त करने पर स्मृति चिह्न देकर, साथ ही गत सत्र अपना अनुदान पूर्ण जमा करवाने वाले आचार्य दीदी को चांदी का सिक्का देकर सम्मानित किया। पूरे समय वर्ग को सुचारू रूप से चलाने वाले सेवा कर्मचारियों और वाहन चालकों को कंबल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार बिश्नोई ने किया।

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